विष्णु के चार स्वरूपों को सम्मिलित करती वैकुंठ मूर्ति


विष्णु के चार स्वरूपों को सम्मिलित करती वैकुंठ मूर्ति में मध्य में विष्णु, दोनों ओर नृसिंह और वराह, पीछे की ओर कपिल का मुख दर्शाया जाता है।शास्त्रानुसार यह अष्ट-हस्त है लेकिन आम तौर पर चार हाथ बताए जाते हैं जिनमें शंख, सुदर्शन चक्र, कौमोदकी गदा और पद्म होते हैं। इस प्रतिमा में वराह सृजन का, विष्णु पालन का और नृसिंह संहार का प्रतिकात्मक चित्रण हैं। एक और मत ऐसा भी है जिसमें चार मुखों को अनुक्रम में वासुदेव, संकर्षण (बलराम), प्रद्युम्न और अनिरुद्ध को व्यक्त करते हैं। आम जनधारणा में वैकुंठ को विष्णु का निवास स्थान माना जाता है लेकिन कुछ जानकारों के मतानुसार वै-कुंठ = जहां कुंठा के लिए स्थान नहीं। विष्णु सहस्रनाम में भी चतुर्मूर्ति का उल्लेख किया गया है।


जब वैकुंठ चतुर्मूर्ति को लक्ष्मीजी के साथ दिखाया जाता है तब इसे लक्ष्मी-वैकुंठ मूर्ति कहा जाता है।


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