एटीएम खराब होने से दर दर भटक रही जनता

अपना ही पैसा निकालने के लिए खाताधारक दिनभर बहाता है पसीना, फिर भी नही मिलता है पैसा



हमीरपुर के मौदहा कस्बा स्थित ज्यादातर बैंकों की एटीएम मशीनें तकरीबन दो माह से धड़ाम पड़ी हुई हैं। जिससे कस्बा सहित ग्रामीण क्षेत्र के दूरदराज से आने वाले उपभोक्ताओं को खासी समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। महामारी के दौरान घोषित लॉक डाउन के चलते सभी गरीब व मजदूर के खातों पर केंद्र व प्रदेश की सरकार ने कुछ धनराशि देकर मरहम लगाने का प्रयास जरूर किया था, लेकिन उससे भी कहीं ज्यादा तकलीफ उपभोक्ताओं को कड़कती धूप में बैंकों के बाहर लाइन लगाने में भूखे प्यासे रह कर करनी पड़ रही है।
   आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने लोगों की सुरक्षा के नजरिए से विश्वव्यापी महामारी के चलते देश में लॉक डाउन  लागू किया था, जिसके बाद से अभी तक कस्बा स्थित सभी बैंकों के एटीएम धड़ाम पड़े हुए हैं। जिससे लोगों को खासी समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। अवगत हो कि सरकार ने गरीब तबके के लोगों व मजदूर वर्ग को राहत के तौर पर कुछ धनराशि राशि देकर मरहम लगाने का प्रयास किया था। लेकिन डिजिटल इंडिया के दौर में कस्बे के बैंक ऑफ बड़ौदा, एचडीएफसी बैंक व स्टेट बैंक की सभी एटीएम मशीनें दुश्मन बन खड़ी हुई, कभी कभार तो एटीएम चालू मिल जाते हैं परंतु ज्यादातर खराब ही रहते हैं, कभी पैसे न होने का बहाना तो कभी मशीन खराब होने का तो कभी सर्वर न होने का बहाना बनाया जाता है। बैंकों में लंबी लंबी कतार में दिन दिन भर महिलाएं, पुरुष व बच्चों के साथ कड़कती धूप में लाइन लगाए हुए गुजार देते हैं। बैंकों में ना तो कहीं छाया की व्यवस्था है और ना ही शुद्ध पीने के पानी की। जिससे महज ₹500 के लिए पूरे दिन मजदूरों को इस कड़कती धूप में मजदूरी करने से कम मेहनत में नहीं करनी पड़ती है। मकरांव गांव के प्रद्युम्न ने बताया कि वह एटीएम से पैसे निकालने के लिए आया था मगर सभी एटीएम खराब हैं, इसके पहले भी वह एक बार लौट चुका है। उसने बताया कि वह गांव से किराया लगाकर मौदहा आता है और खाली हाथ ही लौटना पड़ता है। लेकिन जिसके बाद भी बैंक प्रशासन व जिम्मेदार अधिकारियों को इस बात की जरा भी खबर नहीं है । ऐसे में केंद्र सरकार के द्वारा नए इंडिया के युग में चल रही डिजिटल इंडिया जैसी योजनाएं दम तोड़ती नजर आ रही हैं।


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