रामपुर के प्राचीन एवं प्रसिद्ध स्थान
रामपुर जनपद में विभिन्न प्रसिद्ध स्थान हैं जिनका पुरातात्विक महत्व है। सेफनी (सहस्त्रफणी)सेफनी (सहस्त्रफणी) नामक गांव शाहबाद तहसील का एक सुसंस्कृत ग्राम है जो अब उन्नतिशील है। बताया जाता है कि महाभारत काल में यहां अहिच्छत्र (पांचाल) राज्य के शासक द्रोणाचार्य ने एक किला बनवाया था जिसके सहस्त्रद्वार थे जो कि नाग के फण के रूप में बने हुए थे। इस कारण इसका नाम सहस्त्रफणी पड़ा जो कि अब अपभ्रंश होकर सेफनी कहलाता है। महाभारत युद्ध में जो अस्त्र-शस्त्र कौरवों की ओर से प्रयोग में लाए गए थे उनका निर्माणयहीं हुआ था। लौहशाला के अवशेष आज भी यहां देखे जाते हैं। इस कोट का अधिकारी भूरिश्रवा युद्ध में मारा गया था तब उसकी पत्नी को धैर्य देने दुर्योधन की पुत्रवधू लक्षणा यहां आयी थी।पुरातात्विक दृष्टि से सेफनी का विशेष महत्व है।
कोसी नदी
कोसी नदी पुरातन है। प्राचीन काल में इसे कौशिकी अथवा कौशिल्या कहा जाता थायह अब रामपुर नगर से पश्चिम की ओर कुछदूर हट गई है लेकिन पहले नगर के पास से ही बहती थी। नगर के किनारे बनी सीढ़ियों से यह बोध होता है कि यहां पक्के घाट स्नान के लिये बने होंगे।
पीपली (तहसील बिलासपुर)
मध्यकाल में सामारिक महत्व का स्थान था। यहां पर मुगलों से पूर्व भी आबादी थी तथा मुगलों के काल में यहां टकसाल भी थी जिसके बारे में कहा जाता है कि रुहेलों के समय में भी टकसाल यहां रही, जहां नवाब अली मोहम्मद खां के नाम का सिक्का ढलता था।
लखनौर
लखनौर अब शाहबाद कहलाता है। मध्यकाल से पूर्व इसको लखनपुर भी कहते थे। सल्तनतकालीन दिल्ली के बादशाहों के समय से ही इसकी उन्नति प्रारम्भ हो गयी। यह कठेरिया राजपूतों का कई शताब्दी तक मुख्य गढ़ रहा। मुगल बादशाह शाहजहां के समय में इसका नाम लखनौर से शाहबाद हो गया।
मदकर
यह कठेरिया राजपूतों का मुख्य गढ़ था। ऐसा कहा जाता है कि वीरशाह ने इसको बसाया था तथा मुगल बादशाह के समय में इसकी काफी उन्नति हुई। रूहेला रियासत स्थापित होने रूहेला रियासत स्थापित होने के समय यहां के शासक मदारा सहाय जिनके यहां प्रथम रूहेला सरदारदाउद खो रहे थे।
प्रसिद्ध मंदिर
रामपुर की मिलक तहसील में रठौड़ा में शिव मंदिर अति प्राचीन है। कहा जाता है कि यह वाणासुर के समय का है। महाशिवरात्रि पर यहां बहुत भारी मेला लगता है। जिसका प्रबंध जिला परिषद द्वारा होता है। वैसे पूरे वर्ष श्रद्धालु यहां आते रहते हैं। कहा जाता है कि यहां शिव लिंग पृथ्वी में से निकला था। भमरौआ के मंदिर के बारे में भी यही मान्यता है।यहां शिव लिंग जमीन के अंदर से है। पंजाब नगर के मंदिर का शिव लिंगजमीन से तीन चार फुट अंदर है। कोसी का मंदिर भी प्रसिद्धधर्मस्थल है। बाबा भैरवनाथ का मंदिर बहुत प्राचीन मंदिर था। उसपर गुम्बद था। यह गुम्बद का मंदिर कहलाता है। जौकी राम का मंदिर श्री जौकी राम हसरत ने बनवाया था जो फारसी के प्रसिद्ध शायर थे। इस मंदिर की बहुत मान्यता है। पुराना गंज में हरिहर की बगिया में बाबा बंशीवालों की समाधि है। सराय दरवाजे पर बाबा श्री लक्ष्मण दास की समाधि भी बहुत प्रसिद्ध है। यहां पर श्रद्धालु अपनी मनौतियां पूरी करने आते हैं। तहसील शाहबाद के लक्खी बाग के पुराने शिव मंदिर की बहुत मान्यता है। श्री दत्तराम का शिवाला मिस्टन गंज में है। यहां की भी बहुत मान्यता हैं।जैन मतावलम्बियों का जैन मंदिर प्रसिद्ध एवं दर्शनीय धर्मस्थल है।