उत्तर प्रदेश में प्रदूषण रहित उद्योगों हेतु फ्लैटेड फैक्टरी मॉडल अपनाने की योजना
- नई औद्योगिक इकाइयों के लिए सरप्लस औद्योगिक भूमि की जाएगी उप-विभाजित
• यपीसीडा बोर्ड द्वारा नीति दिशा निर्देशो को अपने ओद्योगिक क्षेत्री हेत अनमोदित किया गया
• एक फ्लैटेड (बहुमंजिली) फैक्ट्री परिसर में प्रत्येक बिल्डिंग ब्लॉक को केवल एक प्रकार की मैन्यूफैक्चरिंग इकाइयों की अनुमति होगी
• फ्लैटेड फैक्टरी में परिवर्तन हेतु प्रस्तावित न्यूनतम भूखण्ड क्षेत्र 5 एकड़ से कम नहीं होगा
• राज्य के सभी औद्योगिक विकास प्राधिकरण 2.5 एकड़ के न्यूनतम सकल क्षेत्र वाले औद्योगिक भूखण्डों पर उप-विभाजन की अनुमति दे सकेंगे
• उप-विभाजित भूखण्ड का न्यूनतम आकार 1000 वर्गमीटर से कम नहीं होगा
• दोनों ही प्रकरणों में आंतरिक विकास मूल आवंटी द्वारा किया जाएगा
लखनऊ, 12 जून 2020: मुख्यमंत्री, श्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशों का अनुसरण करते हुए उद्योगों और निवेशकों को भूमि की सुलभ उपलब्धता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सभी औद्योगिक विकास प्राधिकरणों के लिए एक समान नीति के अन्तर्गत प्रदूषण रहित उद्योगों के लिए फ्लैटेड (बहुमंजिली) फैक्टरी औद्योगिक बुनियादी ढांचे की अनुमति प्रदान करने हेतु नीति तैयार की गई है। इसके अतिरिक्त नए निवेशकों को पर्याप्त औद्योगिक भूमि उपलब्ध कराने के लिए मौजूदा इकाइयों में उपलब्ध अधिशेष (सरप्लस) औद्योगिक भूमि के उप-विभाजन (सब-डिवीज़न) के लिए एक समान नीति भी बनाई गई है। गत् दिवस उ. प्र. राज्य आद्यागिक विकास प्राधिकरण (यपोसोडा) बाड को बठक म उक्त नोतिया का सम्पण राज्य म अपन आद्यागिक क्षत्रा म कायान्वित करन क लिए अनमादित भो कर दिया गया। प्रमुख सचिव, अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास, श्री आलोक कुमार की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति द्वारा मिश्रित/ प्रदूषणकारी / घरेलू उप-क्षेत्रों को छोड़ कर सभी औद्योगिक भूमि उपयोग उप-क्षेत्रों में न्यूनतम 5 एकड़ सकल क्षेत्र में स्थापित प्रदूषण रहित औद्योगिक इकाइयों को फ्लैटेड फैक्ट्री में परिवर्तित करने की संस्तुति की है। समिति ने 2.5 एकड़ के न्यूनतम सकल क्षेत्र के औद्योगिक भूखण्डों पर उप-विभाजन की अनुमति देने की भी संस्तुति की है। उक्त समिति के अन्य सदस्यों में यूपीसीडा, नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यीडा) के मुख्य कार्यपालक अधिकारी सदस्य के रूप में सम्मिलित थे मंत्री, औद्योगिक विकास, श्री सतीश महाना ने कहा कि विद्यमान समय में हमारा दें" और राज्य आयात को कम करने तथा आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रयासरत् है, इसके लिए आवश्यक है और आईटी, इलेक्ट्रॉनिक्स, गारमेंट मैन्यूफैक्चरिंग जैसे सेक्टरों के लिए फ्लैटेड फैक्टरी मॉडल को अपनाया जाए, जिससे अधिक भूमि की आवश्यकता वाले अन्य सैक्टरों, जैसे डिफेंस, ऑटोमाबाइल के लिए आवश्यक भूमि आसानी से उपलब्ध कराई जा सके। उन्होंने कहा कि औद्योगिक इकाइयों की सरप्लस भूमि के सब-डिवीज़न से प्रदेश में त्वरित औद्योगिक विकास हो सकेगा। प्रमुख सचिव, अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास तथा समिति के अध्यक्ष, श्री आलोक कुमार ने कहा कि यह पहली बार होगा कि राज्य में उद्योगों के लिए प्लग एण्ड प्ले मॉडल को अपनाया जाएगा, जिसका लाभ रेडीमेड कपड़ों, हस्तशिल्प या औद्योगिक विकास प्राधिकरणों द्वारा अनुमन्य अन्य गैर-प्रदूषणकारी विनिर्माण इकाइयां उठा सकती हैं। उन्होंने कहा- “एक फ्लैटेड फैक्टरी परिसर में न्यूनतम चार मंजिला भवन ब्लॉक में केवल एक प्रकार की मैन्यूफक्चरिंग इकाइयों को अनुमति दी जाएगी। इकाई के बहुमंजिली फैक्टरी में परिवर्तन के प्रस्ताव को संबंधित विकास प्राधिकरण द्वारा अनुमोदित किया जाएगानीति के अन्तर्गत एक घोषित रुग्ण इकाई द्वारा संबंधित मानदण्डों के साथ किसी भी इच्छुक कंपनी के साथ संयुक्त उद्यम स्थापित करने का प्राविधान भी है। बहुमंजिली फैक्टरी में परिवर्तन हेतु प्रस्तावित न्यूनतम भूखण्ड क्षेत्र 5 एकड़ से कम नहीं होगा। समिति द्वारा राज्य के सभी औद्योगिक विकास प्राधिकरणों में 2.5 एकड़ के न्यूनतम सकल क्षेत्र के साथ औद्योगिक भूखंडों पर उप-विभाजन की अनुमति के लिए भी एक समान नीति की संस्तुति की है, बशर्ते आवेदन से पहले कम से कम 5 वर्षों के लिए इकाइयां क्रियाशील और उत्पादन में रही हों तथा प्राधिकरण के प्रचलित भवन उपनियमों के अनुसार उनमें न्यूनतम निर्मित क्षेत्र हो। नीति के अनुसार उप-विभाजन के लिए प्रस्तावित अधिकतम भूखण्ड क्षेत्र और वापस खरीदने बाई-बैक) के लिए मूल रूप से आवंटित भूखण्ड क्षेत्र का 50 प्रतिशत् से अधिक नहीं होगा और उप-विभाजित भूखण्ड का न्यूनतम आकार 1000 वर्गमीटर से कम नहीं होगा। यूपीसीडा इस क्षेत्र को अपनी प्रचलित नीति के अनुसार अनुमन्य दर पर वापस खरीद सकेगा और अन्य प्राधिकरणों द्वारा उनके बोर्ड द्वारा अनुमोदित दर पर खरीदा जाएगायद्यपि रुग्ण इकाइयों के मामले में कुल भूखण्ड क्षेत्र के 50 प्रति” त् से अधिक क्षेत्र पर इस शर्त के अधीन उप-विभाजन करने की अनुमति दी जा सकती है यदि यह आईबीबीआई (इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी बोर्ड ऑफ इंडिया) या बीआईएफआर द्वारा संशोधित पैकेज में तय किया गया हो।