उत्तर प्रदेश सरकार प्रदेश में बाल श्रम उन्मूलन हेतु कटिबद्ध है प्रदेश सरकार-योगी आदित्यनाथ

स्टेकहोल्डर्स को जागरूक व संवदेनशील कर बाल श्रम उन्मूलन की दिशा में प्रभावी कार्य-स्वामी प्रसाद मौर्य 


फाइल फोटो


प्रतिवर्ष 12 जून अन्तर्राष्ट्रीय बाल श्रम निषेध दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसका उद्देश्य पूरे विश्व में बाल श्रम प्रथा को समाप्त करने हेतु सम्बन्धित स्टेकहोल्डर्स को जागरूक व संवदेनशील कर बाल श्रम उन्मूलन की दिशा में प्रभावी संदेश प्रचारित व प्रसारित करना है। इस दिवस पर पूरे विश्व में विभिन्न स्तरों पर जनजागरण कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य होने के कारण यहाँ पर बड़ी संख्या में कामकाजी बच्चे भी है जो विभिन्न परिवारिक व आर्थिक परिस्थितियों के कारण बाल श्रम कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश सरकार प्रदेश में बाल श्रम उन्मूलन हेतु कटिबद्ध है। प्रदेश सरकार द्वारा बाल श्रम उन्मूलन हेतु अनकों प्रयास किए जा रहे हैं। राज्य सरकार द्वारा बाल श्रम उन्मूलन हेतु समय-समय पर बाल श्रमिकों के सर्वेक्षण, चिन्हांकन व प्रवर्तन की कार्यवाही की जाती है। राज्य सरकार द्वारा बाल श्रम के प्रति जीरो टालरेन्स अपनाते हुए बाल श्रम से सम्बन्धित प्रवर्तन की कार्यवाही को नई निरीक्षण प्रणाली से पृथक रखा गया है।


मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सम्बन्धित स्टेकहोल्डर्स को पत्र प्रेषित कर बाल श्रम उन्मूलन में सहयोग किए जाने की अपील की गयी


बाल श्रम उन्मूलन के कार्यों में सरकार के अतिरिक्त विभिन्न गैर सरकारी संगठनों व पंचायती राज संस्थाओं की महत्वपूर्ण भूमिका है। इसी क्रम में मुख्यमंत्री, उ0प्र0 सरकार, योगी आदित्यनाथ, जी द्वारा प्रदेश के सभी ग्राम प्रधानों/ब्लाक प्रमुखों/महापौर नगर निगम/अध्यक्ष नगर पालिका परिषद/नगर पंचायत/वार्ड पार्षद/अध्यक्ष/सदस्य जिला पंचायत, उ0प्र0 को व्यक्तिगत पत्र लिखकर बाल श्रम उन्मूलन के कार्यक्रमों में सहयोग करने व बच्चों की शिक्षा सुनिश्चित करने का अनुरोध किया गया। ऐसा किसी भी मुख्यमंत्री द्वारा पहली बार किया गया है।


 मुख्यमंत्री उ0प्र0 सरकार के प्रयास का असर यह हुआ है कि गत 2 वर्षों में बाल श्रम से सर्वाधिक जिलों के चिन्हित ग्राम पंचायतों को बाल श्रम मुक्त घोषित कराकर सभी बच्चों को शिक्षा से जोड़ा गया है। चूंकि इसमें से अधिंकाश बच्चे परिवार की विषम आर्थिक कारणों से अपने परिवार की आर्थिक मदद करने के उद्देश्य से कार्य करते है।


 ऐसी स्थिति में आवश्यक है कि उन्हें प्राथमिकता के आधार पर सरकार की अन्य योजनाओं का लाभ दिलाया जाये इस क्रम में श्रम विभाग, उ0प्र0 द्वारा पूर्व में ही यह निर्देश जारी कर दिए गए हैं कि यदि चिन्हित बाल श्रमिक का परिवार निर्माण श्रमिक की श्रेणी में आता है तो तत्काल उस परिवार के वयस्क सदस्यों का उत्तर प्रदेश भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड में पंजीकृत कराकर विभिन्न योजनाओं से प्राथमिकता आधार पर लाभान्वित कराया जाये। साथ ही अन्य सामाजिक सुरक्षा की योजनाओं कापरिवार के भी हैं जिनके परिवार में माता या पिता अथवा दोनों की मृत्य हो चुकी हो, माता या पिता अथवा दोनों स्थायी रूप से दिव्यांग हों, माता या पिता अथवा दोनों किसी गम्भीर असाध्य रोग से ग्रसित हो, ऐसे परिवार जहां महिला या माता परिवार की मुखिया हो, भूमिहीन परिवार है। अतः इन परिवारों की अति विषम परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए प्रदेश सरकार द्वारा बाल श्रमिक विद्या योजना जो कि कण्डीशनल कैश ट्रांसफर योजना है नये स्वरूप में लागू की जा रही है।


अतः इन परिवारों की अति विषम परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए प्रदेश सरकार द्वारा बाल श्रमिक विद्या योजना जो कि कण्डीशनल कैश ट्रांसफर योजना है नये स्वरूप में लागू की जा रही है।


वर्तमान योजना का स्वरूप निम्नवत है:


1. उक्त योजना वर्ष 2008 में संचालित की गयी थी, परन्तु योजना की कठिन शर्तों के कारण लक्ष्य के अनुरूप लाभार्थियों को लाभान्वित नहीं कराया जा सका था। पूर्व में संचालित योजना में मात्र 10 जिलों में 260 बच्चों का लक्ष्य निर्धारित था ।जबकि वर्तमान में मा0 मुख्यमंत्री द्वारा स्वीकृत योजना में योजना के प्रथम चरण में प्रतिवर्ष 2000 लाभार्थियों को लाभान्वित किए जाने का लक्ष्य है। वर्तमान योजना में पिछली योजना के मुकाबले आर्थिक सहायता की धनराशि में भी वृद्धि की गयी है पूर्व में दो किश्तों में मात्र 8000 रू0 प्रतिवर्ष मिलते थे जबकि संशोधन के उपरान्त अब प्रति माह धनराशि रू0 1,000/- (रूपया एक हजार मात्र) प्रति माह बालकों व धनराशि रू0 1,200/- (रूपया एक हजार दो सौ मात्र) प्रति माह बालिकाओं को दिए जाने की व्यवस्था है।


3. संशोधित योजना में 8-18 आयु वर्ग के बच्चों व किशोर-किशोरियों को सम्मिलित करते हुए पात्रता की शर्तों में शिथिलता प्रदान की गयी है ताकि अधिक से अधिक कामकाजी बच्चों के परिवारों को लाभ दिया जा सके। संशोधित पात्रता की शर्तों के अनुसार निम्न परिवार पात्र होंगे'-.


माता या पिता अथवा दोनों की मृत्य हो चुकी हो


माता या पिता अथवा दोनों स्थायी रूप से दिव्यांग हों


माता या पिता अथवा दोनों किसी गम्भीर असाध्य रोग से ग्रसित हो।



ऐसे परिवार जहां महिला या माता परिवार की मुखिया हो।


भूमिहीन परिवार


4. संशोधित योजना के अन्तर्गत लाभार्थियों के चयन की प्रक्रिया अत्यन्त सरल रखी गयी है जिसमें विद्यालय प्रबन्ध समिति व स्थानीय निकाय के प्रतिनिधियों को भी यह अधिकार दिया गया है कि वह ऐसे कामकाजी बच्चों के सम्बन्ध में जानकारी मिलने पर प्रस्तावित योजना में उनके आच्छादन की संस्तुति कर सकते हैं। जिसेचिन्हांकन हेतु सर्वेक्षण कराया जाता है। सर्वेक्षण में चिन्हित स्कूल न जाने वाले कामकाजी बच्चों को परियोजना के अन्तर्गत संचालित विशेष बाल श्रमिक विद्यालया। में अधिकतम 02 वर्षों के लिए विशेष प्रशिक्षण प्रदान कराकर आयु अनुरूप कक्षा में प्रवेशित कराया जाता है। इन प्रशिक्षण केन्द्रों में अध्ययन करने वाले चिन्हित कामकाजी बच्चों को प्रतिमाह रू0 400/- (STIPEND)के रूप में मिलते है।
योजना के अन्तर्गत दी गयी व्यवस्था के अनरूप श्रम विभाग के अधिकारियों द्वारा आवश्यक जांच पड़ताल कर सम्मिलित कर लिया जायेगा।


5. योजना के अन्तर्गत ऐसे बच्चों के परिवारों को अन्य सरकारी योजनाओं का भी लाभ दिलाये जाने की व्यवस्था है तथा जो बच्चे योजना के लाभार्थी के रूप में आच्छादित हो जायेंगे, को राज्य व केन्द्र सरकार की विभिन्न सामाजिक सुरक्षा व कल्याणकारी योजनाओं का प्राथमिकता के आधार पर लाभ दिलाये जाने का प्रयास किया जायेगा।


6. सम्पूर्ण योजना का क्रियान्वयन ऑनलाइन ट्रेकिंग साफ्टवेयर के माध्यम से किया जाना है। ऑनलाइन ट्रेकिंग साफ्टवेयर हेतु यूनीसेफ द्वारा सभी आवष्यक सहयोग उपलब्ध कराये जाने पर सहमति प्रदान की गयी है।


इस संशोधित योजना में उक्त योजना के अतिरिक्त राज्य सरकार द्वारा निम्न प्रयास किए जा रहे है।


श्रम विभाग, उ0प्र0 द्वारा बाल श्रम उन्मूलन के लिए अनेकों प्रयास किए जा रहे है:


1. बाल श्रम अधिनियम का प्रवर्तन - बाल एंव किशोर श्रम (प्रतिषेध एवं विनियमन) अधिनियम 2016 में बाल श्रम उन्मूलन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए श्रम एवं रोजगार मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा 1 सितम्बर, 2016 से इस अधिनियम में संशोधन के उपरान्त 14 वर्ष आयु तक के किसी भी बच्चे से किसी भी प्रकार का खतरनाक/गैर खतरनाक कार्य पूर्ण रूप से प्रतिबन्धित कर दिया गया है तथा 18 साल तक के किशोर-किशोरियों से भी खतरनाक प्रकृति का कार्य कराये जाने पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया है। साथ ही अधिनियम के अन्तर्गत सजा को भी सख्त करते हुए सभी प्रकरणों को संज्ञेय अपराध की श्रेणी में लाते हुए 2 साल की सजा और धनराशि रू0 50,000/- के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।


2. ऑनलाइन शिकायत की व्यवस्था - श्रम एवं रोजगार मंत्रालय, भारत सरकार ने बाल श्रमिकों के नियोजन के सम्बन्ध में शिकायत हेतु एक वेब पोर्टल भी लांच किया है। pencil.gov.in नाम के इस portal पर कोई भी व्यक्ति बाल श्रम से सम्बन्धित शिकायत कर सकता है।


बाल श्रम उन्मूलन हेतु संचालित योजनायें


(6) नया सवेरा योजना - जनगणना वर्ष 2011 के अनुसार जिन जिलों में सर्वाधिक कामकाजी बच्चे है उन जिलों को चरणबद्ध तरीके से बाल श्रम मुक्त कराने हेतु यूनीसेफ के सहयोग से कार्य किया जा रहा है।


(ii) राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना - श्रम एवं रोजगार मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना के अन्तर्गत प्रदेश के 46 जिले परियोजना से आच्छादित है। परियोजना के अन्तर्गत बाल श्रम से अवमुक्त कराये गये बच्चों को विशेष प्रशिक्षण प्रदान कर शिक्षा की मुख्यधारा में प्रवेशित कराया जाता है। प्रत्येक जनपद में 02 वर्ष में एक बार 6 से 18 आयु वर्ष तक के कामकाजी बच्चों के


(ii) उत्तर प्रदेश भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड की योजनाओं में लाभ - उ0प्र0 भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड की योजनाओं से बाल श्रमिक परिवारों को लाभान्वित कराया जाना है। उ0प्र0 भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड में कामकाजी बच्चों के सर्वेक्षण के उपरान्त सर्वेक्षण रिपोर्टों के विश्लेषण व उनके परिवारों के सम्बन्ध में उपलब्ध जानकारी से यह तथ्य प्रकाश में आया कि उनमें से लगभग 20 प्रतिशत कामकाजी बच्चों के परिवारों से सम्बन्धित वयस्क सदस्य ऐसे हैं जो कि निर्माण श्रमिक की श्रेणी में आते हैं। इन आंकड़ों को दृष्टिगत रखते हुए पहली बार नया सवेरा योजना से आच्छादित जिला में ऐसे बाल श्रमिक परिवारों के वयस्क सदस्य जो निर्माण श्रमिक की श्रेणी में आते हैं, उनको उत्तर प्रदेश भवन एवं अन्य सन्निर्माण बोर्ड में पंजीकृत कराकर बोर्ड की योजनाओं से लाभान्वित कराया जा रहा है।


(iv) बंधुआ श्रम उत्सादन अधिनियम 1976 के अन्तर्गत बाल श्रमिकों देय लाभ - श्रम विभाग द्वारा यदि कोई 14 वर्ष से कम आयु का बच्चा बंधुआ श्रम के रूप में अवमुक्त कराया जाता है तो उसके नियोक्ता के विरूद्ध कानूनी कार्यवाही के साथ अवमुक्त कराये गये बाल श्रमिकों को तत्काल धनराशि रू0 20,000/- की सहायता उपलब्ध करायी जाती है तथा प्रकरण में समरी ट्रायल के उपरान्त धनराशि रू0 2,00,000/- पुनर्वासन के लिए उपलब्ध करायी जाती है।


(1) नियोक्ता संगठनों के साथ आचार संहिता - दुकानों व उद्योगों में बाल श्रम नियोजित न करने हेतु विभिन्न नियोक्ता संगठनों व ईट निर्माता समितियों के साथ एक आचार संहिता हस्ताक्षरित की गयी है जिसके अन्तर्गत यह संगठन अपने-अपने क्षेत्रों में उद्योगों व दुकानों को बाल श्रम मुक्त घोषित करने का कार्य स्वेच्छा से कर रहे हैं।


(vii) कार्यशालायें व जन जागरण कार्यक्रम - बाल श्रम के प्रति आम जानकारियों उपलब्ध कराने व सरकारी व गैर सरकारी प्रतिनिधियों को प्रति जागरूक करने हेतु समय-समय पर रथ यात्रा, नुक्कड़, प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कराये जाते है।


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