ऐसे करें बारिश में त्वचा की देखभाल

                  गर्मी की चिलचिलाती धूप और लू के बाद  बरसात की फुवारें एक नई ताजगी और स्फूर्ति का अहसाह कराती हैं | 


परंतु सुहावना बरसात का मौसम अपने साथ कई तरह की बीमारियों को भी लेकर आता है। 


बरसात में  जहां पेट,  दस्त ,फ़ूड विषाक्तता, जॉन्डिस , मियादी बुखार तथा अन्य कई संक्रामक बीमारियां होने का खतरा बहुत बढ़ जाता है वंही पर बरसात के मौसम में वातावरण में नमी काफी बढ़ जाती है,जिसके कारण कई तरह के जीवाणु और फंगस आदि काफी
सक्रिय हो जातें है।


इस मौसम में पसीना जल्दी सूखने , बारिश में भीगने,गीले कपड़ों को ज्यादा देर तक पहनने के कारण, गंदे पानी और वातावरण की नमी के 
कारण ये बैक्टीरिया और फंगस त्वचा  से संबंधित कई बीमारियां उत्पन्न कर सकतें है


इसलिए बारिश के मौसम में हमें अपनी त्वचा का और भी अधिक ध्यान रखना जरूरी है । बरसात के मौसम में त्वचा संबंधी जो विमारियाँ ज्यादा होती हैं उनमें


1.दाद 


 2.नाखूनों में संक्रमण,
3. फोड़े -फुंसी


4.खुजली का होना


5. घमौरी का होना ,


6. कील-मुँहासे होना,


7.दाग धब्बे होना 


8.एथलीट्स फुट


आदि प्रमुख हैं ।



1. दाद : दाद बारिश के मौसम में होने वाले सामान्य चर्म रोगों में से एक है। 



◇दाद एक संक्रामक फंगल संक्रमण है



 ◇दाद की शुरुवात लाल छोटे गोल चकत्तों से होती है, जिनमे काफी खुजली भी होती है। खुजाने से और इलाज़ न कराने से इन चकत्तों का  आकर  बढ़ता जाता है और इनका गोल घेरा दिनों दिन बढ़ने लगता है यह शरीर के दूसरे हिस्सों में भी फैल सकतें हैं।



◇यह मुख्यतः पैरों , पैरों की उँगलियों के बीच में ,गर्दन और त्वचा के उन हिस्सों में जहाँ  मुड़ती है तथा नमी रहती है वहां ज़्यादा पाया जाता है।



◇दाद संक्रामक है इसलिए एक दूसरे का तौलिया इस्तेमाल करने,नंगे पैर चलने, सार्बजनिक बाथरूम इस्तेमाल करने आदि से भी फैल सकता है।



◇बच्चों,बूढ़ों और  मधुमेह रोगियों में इसके होने का खतरा ज़्यादा पाया जाता है।



2. नाखूनों में संक्रमण :


♧नाखूनों में भी बारिश के मौसम में फंगल संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।  


♧इसमे नाखूनों का रंग सफ़ेद या पीला होना,नाखून की जड़ के पास से उसका टूट जाना, या मवाद पड़ जाना और दर्द होना आदि इसके लक्षण हैं।
♧ इसके कारणों में अधिक देर पानी में रहना,पसीना ज्यादा आना, गंदे मोज़े और जूते पहनना आदि मुख्य कारण है।


3.  एथलीट फुट :  
यह भी पैरों में फंगल संक्रमण के कारण होता है। इसके लक्षणों में पैरों में खुजली होना, दरारें पड़ना, फटना,लाल होना, परतें पड़ना आदि  देखने को मिलते हैं।


●यह भी ज्यादा देर पानी में रहने, पैरों में नमी रहने, गंदे पानी के आने, गंदे मोजे आदि से होता है।


 


4. कील -मुँहासे :


बारिश के मौसम में स्वेद ग्रंथियाँऔर तेल-ग्रंथियां अधिक सक्रिय हो जाती हैं और नमी के कारण पसीना न सूखने आदिसे कील मुहाँसों कि समस्या इस मौसम में बढ़ जाती है। 


5.  स्कैबीज़  अथवा खुजली:


 बरसात के मौसम में स्केबीज़ का खतरा भी बढ़ जाता है।


इसमें  भी त्वचा में छोटे परजीवी  माइट के संक्रमण से होने वाली बीमारी है|


□ यह एक संक्रामक बीमारी है।
 इसमें अत्यधिक खुजली वाले पिम्पल्स जैसे  रैशेज पाए जाते हैं जो काफी लाल भी होते हैं।


□इसकी खुजली रात के समय ज्यादा बढ़ जाती है।


□यह शरीर के किसी भी भाग में हो सकती  है परन्तु कलाई, उंगलियों के बीच में,  कमर पर ज्यादा पायी जाती है।     


अन्य:
बरसात में नमी, गंदे पानी, वातावरण में  जीवाणु, फंगस, वायरस आदि के सक्रिय होने और तेज़ धूप आदि के कारण अन्य त्वचा संबंधी परेशानियां जैसे की फोड़े , फुंसी, एक्ज़ीमा, खुजली ,चकत्ते  आदि हो सकते  है। 


 परन्तु अब ये जानना बहुत आवयशक है कि कैसे हम खुद को और अपने परिवार को इन बिमारियों से बचाएँ। 


बरसात के मौसम में होने वाली त्वचा संबंधी बीमारियों से कुछ
 सावधानियां बचा जा सकता है । 


- शरीर को सूखा रखे। नहाने के बाद और बारिश में भीग जाने के बाद शरीर को तौलिया से अच्छे से सुखा लें। 


- सूखे धुले हुए साफ़ कपडे ही पहने गीले या नम कपडे पहनने से बचें। 


- सूती कपडे पहने तो ज्यादा बेहतर है क्यूंकि यह पसीने को सोखने में मदद करतें हैं। 


- घर या बाहर किसी और के कपडे और तौलिया का प्रयोग कभी भी न करें। 


- बारिश में भीगने से बचें। हमेशा अपने साथ छाता जरूर रखें। 


- बारिश में भीग जाने की स्थिति में जल्द से जल्द गीले कपड़ों और जूतों को बदल लें। 


- नहाने के लिए मेडिकेटेड साबुन 
का प्रयोग करें। 
- एन्टी फंगल पावडर जैसे 
 कैलेंडुला आदि का प्रयोग करें ।
- बारिश के मौसम में खुले चप्पल और जूते पहने। बंद जूते पहनने से बचें। 


- बारिश में बाहर से आकर अपने पैरों को गरम पानी और साबुन आदि से धोएं। 


- पैरों की स्वछता पर विशेष ध्यान दें क्योंकि बारिश में गंदे पानी और कीचड़ के संपर्क में ज्यादा आते हैं ।


- पभीड़- भाड़ वाले स्थान और बारिश में जहाँ गन्दा पानी भरा हो ऐसी जगहों पर जानें से बचें।
- तैलीय क्रीम का प्रयोग ना करें ।
- विटामिन सी का प्रयोग करें ।
- पौष्टिक भोजन करें । 
- अपने शरीर की इम्युनिटी को मजबूत रखें  यदि सावधानी रखने के बाद भी आपको किसी प्रकार की त्वचा संबंधी समस्या हो तो चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए । 


होम्योपैथी में ऐसी अनेक औषधियां हैं जो आपको बरसात की त्वचा संबंधी समस्याओं से  छुटकारा दिला सकती हैं । इस मौसम की त्वचा संबंधी बीमारियों के उपचार में प्रयोग होने वाली दवाईओं में सल्फर, रस टॉक्स, सीपिया, इचनिसिया, डल्कामारा, हिपर सल्फ , साइलीशिया, मर्क साल आदि प्रमुख हैं परंतु इनका प्रयोग होम्योपैथिक चिकित्सक की सलाह पर ही करना चाहिए ।


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