एसएनबीएनसीबीएस द्वारा विकसित सक्रिय श्वासयंत्र मास्क और नैनो-सैनिटाइजर, कोविड-19 का मुकाबला करने में मदद कर सकते हैं
कोविड-19 महामारी ने फेस मास्क के उपयोग को दैनिक जीवन का अनिवार्य हिस्सा बना दिया है। हालाँकि लोग मास्क का उपयोग कर रहे हैं, लेकिन इसके कारण उन्हें कुछ असुविधाओं का भी सामना करना पड़ रहा है जो वायरस के प्रसार को रोकने के लिए इसके उपयोग को प्रभावित करता है। मास्क के उपयोग में आने वाली कुछ समस्याएं हैं– छोड़े गए कार्बन डाइऑक्साइड (सीओ 2) का फिर से सांस लेना, लंबे समय तक ऐसा होने से मानव दक्षता कम हो सकती है और यह मस्तिष्क-हाइपोक्सिया का भी कारण बन सकता है, साँस की नमी, जो चश्मे को धूमिल करती है, मास्क के अंदर पसीने और गर्म वातावरण जैसे सुरक्षा मुद्दे, चेहरे का मास्क के कारण व्यक्ति की बातचीत में अस्पष्टता आदि।
भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के तहत एक स्वायत्त अनुसंधान संस्थान एस एन बोस नेशनल सेंटर फॉर बेसिक साइंसेज (एसएनबीएनसीबीएस), कोलकाता के निदेशक प्रोफेसर समित कुमार रे के मार्गदर्शन में प्रोफेसर समीर के पाल और उनकी टीम ने स्वच्छ व आराम से साँस लेने के लिए एक सक्रिय श्वासयंत्र मास्क विकसित किया है, जिसमें सांस छोड़ने के लिए वाल्व और सूक्ष्म कण नियंत्रण के लिए फ़िल्टर लगा हुआ है।
संस्थान, डीएसटी द्वारा वित्त पोषित तकनीकी अनुसंधान केंद्रों (टीआरसी) में से एक को होस्ट भी कर रहा है। सक्रिय श्वासयंत्र मास्क कार्बन डाइऑक्साइड को पुनः सांस लेने, उत्सर्जित नमी तथा पसीने और गर्म वातावरण की समस्या के लिए एक अभिनव समाधान है। यह फेस मास्क व्यक्ति की बातचीत की स्पष्टता में भी सुधार करता है और पहनने वाले को वायुजनित दूषित पदार्थों के संपर्क से बचाते हुए आरामदायक, स्वच्छ सांस लेने की सुविधा देता है।
इसके अलावा, संस्थान द्वारा एक सूक्ष्मजीव-रोधी परत के साथ नैनो-सैनिटाइजर भी विकसित किया गया है। नैनो-सैनिटाइटर नवाचार सामान्य सेनिटाइटर्स के उपयोग से होने वाली समस्याओं का समाधान है। सामान्य सेनिटाइटर के लगातार उपयोग के कारण त्वचा के निर्जलीकरण की समस्या होती है, जिसका कारण सामान्य सैनिटाइबर्स की तात्कालिक रोगाणुरोधी कार्रवाई की प्रकृति है। यह अभिनव सैनिटाइटर प्रौद्योगिकी, लंबी अवधि के उपयोग के बावजूद आरामदायक हाथ स्वच्छता का आश्वासन देती है।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार के डीएसआईआर के उद्यम, राष्ट्रीय अनुसंधान विकास निगम (एन आर डी सी) ने इन दोनों तकनीकों को कोलकाता स्थित कंपनी, मेसर्स पॉलमेक इन्फ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड को हस्तांतरित किया है। कंपनी के निदेशक श्री शांति रंजन पॉल ने स्वदेशी तरीके से कोविड-19 के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में भाग लेने का अवसर मिलने पर संतोष व्यक्त किया। दोनों उत्पादों के पहले बैच को लॉन्च करने का लक्ष्य, हमारे देश के स्वतंत्रता दिवस - 15 अगस्त 2020 के दिन तय किया गया है।
मास्क उत्पाद (बोस-शील्ड)
सैनिटाइटर उत्पाद (बॉसेटाइज़र)
डीएसटी के सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा, एसएन बोस नेशनल सेंटर फॉर बेसिक साइंसेज के निदेशक श्री समित कुमार रे, वैज्ञानिक प्रोफेसर समीर कुमार पाल, रजिस्ट्रार सुश्री शोहिनी मजुमदार, एस.एन. बोस नेशनल सेंटर फॉर बेसिक साइंसेज के तकनीकी अनुसंधान केंद्र (टीआरसी) के नोडल अधिकारी डॉ सौमेन मंडल, पॉलमेक कंपनी के श्री प्रियंकन एस शर्मा व श्री सोमव गुप्ता तथा डीएसटी के वरिष्ठ अधिकारियों की डिजिटल उपस्थिति में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौते पर एनआरडीसी के सीएमडी डॉ एच पुरुषोत्तम और पॉलमेक इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक श्री शांति रंजन पॉल ने ऑनलाइन हस्ताक्षर किए।
इन नवोन्मेषी उत्पादों से बाजार में उपलब्ध मास्क और सैनिटाइटर की मौजूदा समस्याओं पर काबू पाने में उपयोगकर्ताओं को मदद मिलेगी। डीएसटी के सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने समाज को लाभ पहुंचाने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी के उपयोग के लिए सभी हितधारकों को बधाई दी। एस एन बोस सेंटर के निदेशक प्रो समित के रे ने टीआरसी को एक बुनियादी विज्ञान संस्थान के रूप में स्थापित करने में डीएसटी के उदार वित्त पोषण की सराहना की।
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