ग्रीष्मकालीन तिल प्रजाति गुजरात तिल 2 व 5 के प्रभावशाली जनपद हित में सफल परिणाम को नजदीकी से देखा व तकनीकी हस्तांतरण करने के साथ-साथ खेत में उतार कर कृषि वैज्ञानिक प्रसन्न हुए

हमीरपुर, 22 जुलाई 2020।कृषि विज्ञान केंद्र कुरारा का चार सदस्यीय वैज्ञानिक प्रतिनिधिमंडल गोहांड ब्लाक के गांव चिल्ली में नवीनतम एवं सफलतम तकनीक को किसानों के खेत में ग्रीष्मकालीन तिल प्रजाति गुजरात तिल 2 व 5 के प्रभावशाली जनपद हित में सफल परिणाम को नजदीकी से देखा व तकनीकी हस्तांतरण करने के साथ-साथ खेत में उतार कर कृषि वैज्ञानिक प्रसन्न हुए। केंद्र की वैज्ञानिक डॉक्टर शालिनी के विशेष अथक प्रयास से जनपद हमीरपुर में ग्रीष्मकालीन प्रजाति गुजरात 2 व 5 का जोरदार परिप्रणाम जनपदहित में सार्थक हुआ। उन्होंने बताया कि अब किसान भाई मात्र 3 माह की  गीष्मकालीन तिल को फरवरी के मध्य से मार्च के मध्य में बुवाई कर फसल में लाभ कमा सकते हैं। इस फसल को बोने से ग्रीष्मकालीन ऋतु में खेत खाली भी नहीं रहेगा और बुआई करने से शासन की मंशा के अनुसार किसानों की आय दोगुना करने में भी सहायक सिद्ध होगी। उन्होंने कहा कि इस प्रजाति में सात से आठ कुंतल प्रति हेक्टेयर उत्पादन रहने की प्रबल संभावना है। गांव चिल्ली के कृषक रघबीर सिंह के खेत में आए किसानों ने किसान की फसल को देखकर हतप्रभ रह गये। उन्होंने अभी से ही अपनी मंशा जाहिर कर दी अगले साल में हम भी करेंगे। रघुवीर सिंह का कहना है कि बहुत कम खर्च व कम पानी में लगभग 90 से 95 दिन में फसल पककर तैयार हो जाती है। उन्होंने कहा कि आगामी साल में गांव के किसानों को बीज देकर अधिक से अधिक क्षेत्रफल में तिल की बुवाई कराऊंगा।
 केंद्र के वैज्ञानिक डॉ प्रशांत कुमार, डॉक्टर फूल कुमारी व डॉक्टर एसपी सोनकर सहित शिवम मिश्रा, अरविंद के अलावा अन्य कृषकगण मौके पर मौजूद रहे।


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