जनता भाजपा सरकार की कथनी और करनी में भारी अंतर का दंड भुगतने को मजबूर- अखिलेश यादव

लखनऊ
             
     समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने कहा है कि उत्तर प्रदेश की जनता भाजपा सरकार की कथनी और करनी में भारी अंतर का दंड भुगतने को मजबूर है। डबल इंजन सरकार वादे पर वादा करके लोगों को सिर्फ बहकाने का काम कर रही है और बचे खुचे दिन काटने की जुगत में है। कोरोना संकट से ऐसे ही जनजीवन सामान्य नहीं हो पा रहा है उस पर भी भाजपा सरकार बिजली, पानी, सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य सम्बंधी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति में भी विफल साबित हो रही है।
     मुख्यमंत्री जी इन दिनों ताबड़तोड़ जन सुविधओं के आदेश जारी कर रहे हैं। उधर कुछ प्रगति न होते देख अब वे जनता की समस्याओं से सबका ध्यान हटाने के लिए नए-नए वादे कर रहे हैं, उनका ताजा दावा 24 घंटे बिजली आपूर्ति करने का है। यह दावा किसान की आमदनी सन् 2022 तक दुगनी करने जैसा निकले तो आश्चर्य नहीं। मुख्यमंत्री जी बेहतर होता इस नए दावे के साथ यह भी बता देते कि प्रदेश में कितनी बिजली बन रही है, कितनी खपत हो रही है और कितनी बिजली की जरूरत होगी?
     सच तो यह है कि प्रदेश में भाजपा सरकार के समय एक यूनिट बिजली का उत्पादन नहीं हुआ है। समाजवादी सरकार के समय जो बिजली घर बने थे उन्हीं के बल पर बिजली आपूर्ति हो रही है। बिजली सम्बंधी जो कथित एमओयू हुए उनका कहीं अतापता नहीं है। बिजली की बढ़ती लाइन हानि पर रोक के सम्बंध में कोई उचित व्यवस्था नहीं है। समाजवादी सरकार में अण्डर ग्राउण्ड कैबलिंग शुरू की गई थी, भाजपा सरकार में उस पर काम रूक गया।
     जनता को राहत मिले, भाजपा की इसमें जरा भी रूचि नहीं। उसे तो जनता को परेशानी में देखकर अच्छा लगता है। भाजपा राज केन्द्र और राज्य के कार्यकाल में गांव की बिजली 500 प्रतिशत और शहरी क्षेत्र में 84 प्रतिशत तक मंहगी हो गई है। सभी जिलों में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि फीडर बन जाने से किसानों को ही सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ रहा है। किसानों को समाजवादी सरकार में पहले 18 घंटे विद्युत आपूर्ति होती थी अब केवल 10 घंटे विद्युत आपूर्ति भी नहीं मिल रही है।
     किसानों के नलकूपो का विद्युत भार भी मनमाने तरीके से बढ़ाकर भारी-भरकम बिल जारी किए जा रहे हैं। बिना जांच ऐसी कार्रवाई से लोगों में बहुत असंतोष है। कनेक्शन देने की प्रक्रिया अफसरशाही ने जटिल बना दी है। ट्रांसफार्मरों के फूंकने पर समय से उनकी मरम्मत नहीं हो पाती है। जबकि समाजवादी सरकार में एक निश्चित अवधि में ट्रांसफार्मर बदल जाते थे। तमाम जगह बिजली पोल की जगह सिर्फ बांस बल्ली के सहारे कनेकशन दिए गए हैं।
     बिजली के बढ़े बिलों के कारण बुनकर और किसान आत्महत्या को विवश हो रहे हैं। बुनकरों को पहले फ्लैट रेट पर समाजवादी सरकार ने बिजली दी थी। व्यापारी परेशान हैं क्योंकि बाजार बंदी और मंदी के शिकार है। बैंक और साहूकारों के कर्ज, बकाया भुगतान न हो पाने की दिक्कत और बढ़ती बेरोजगारी के चलते कितने ही लोग आत्महत्या कर चुके हैं। भाजपा सरकार की गलत नीतियों से जनसामान्य की दशा बिगड़ती जा रही है। भाजपा सरकार ने किसानों को ठौर मार दिया है और बुनकर मरणासन्न है वहीं व्यापारियों की आर्थिक स्थिति बिगड़ती ही जा रही है। क्या यही भाजपा सरकार में अच्छे दिन हैं?


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