कोरोना काल में गुर्दे के रोगियों को खानपान में रखनी है सावधानी: डॉ त्रिपाठी
अखिल भारतीय आयुर्वेद विशेषज्ञ सम्मेलन की केंद्रीय इकाई द्वारा एक वेबिनार का आयोजन आयुर्वेदिक मैनेजमेंट ऑफ रीनल डिसऑर्डर विषय के साथ डॉ अतुल वार्ष्णेय के संयोजन में सम्पन्न हुआ।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि प्रोफेसर अभिमन्यु कुमार उप कुलपति राजस्थान आयुर्वेद यूनिवर्सिटी जोधपुर ने वृक्क रोगों के आजकल बढ़ने के कारणों को विस्तार से समझाया।वैद्यराज धर्मवीर जी ने क्रोनिक रीनल फैलियर के अनुभूत चिकित्सा क्रम के बारे में बताया। फरीदाबाद के रिसर्च हैड डॉ श्रीविशाल त्रिपाठी जी ने ब्लड यूरिया बढ़ने व सीरम क्रिएटिनिन बढ़ने की अवस्था में अपने अनुभूत योगों को बताया जिससे रोगी को डायलिसिस से बचाया जा सके।प्रोफेसर लक्ष्मण सिंह प्रोफेसर शल्य तंत्र बी एच यू वाराणसी ने गुर्दे की पथरी की विभिन्न अवस्थाओं के आयुर्वेदिक व सर्जिकल चिकित्सा को विस्तार से बताया।उन्होंने बी एच यू में गुर्दे की पथरी के ऊपर संस्थान में हुए विभिन्न शोधों के बारे में भी विस्तार से बताया।
प्रोफेसर अलंकृता दवे जामनगर ने वहाँ के स्नातकोत्तर संस्थान में किये जा रहे विभिन्न शोध कार्यों की विस्तार से चर्चा की तथा विभिन्न रीनल डिसऑर्डर की अलग अलग अवस्थाओं में अनुभूत आयुर्वेदिक चिकित्सा को बताया। राजभवन लखनऊ के पूर्व मुख्य चिकित्सक डॉ शिवशंकर त्रिपाठी ने पुरुषों की प्रमुख समस्या प्रोस्टेट ग्लैंड के बढ़ने की अनुभूत आयुर्वेद चिकित्सा के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि इस कोरोना काल में गुर्दे के रोगियों को बहुत सावधानी से रहने की आवश्यकता है।तथा उन्हें अपने खानपान को बहुत संतुलित रखना होगा।कार्यक्रम के अंत मे एसोसिएशन के राष्ट्रीय सचिव प्रोफेसर वी डी अग्रवाल पुणे ने वृक्क रोगों की चिकित्सा में अपने अनुभवों को बताया।कार्यक्रम के संयोजक डॉ अतुल वार्ष्णेय ने बताया कि आजकल बड़ी संख्या में गुर्दे के रोगी आयुर्वेद चिकित्सा से पूर्ण लाभ प्राप्त करते हैं।कार्यक्रम में बी एच यू के प्रोफेसर राजेन्द्र प्रसाद,दिल्ली से प्रोफेसर रमाकांत यादव सहित विभिन्न आयुर्वेद कॉलेज के अध्यापक भी उपस्थित रहे।