मंत्रिपरिषद के महत्वपूर्ण निर्णय

लखनऊ : 08 जुलाई, 2020 उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की अध्यक्षता में आज यहां उनके सरकारी आवास पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग द्वारा सम्पन्न मंत्रिपरिषद की बैठक में निम्नलिखित महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए :


'उत्तर प्रदेश स्टार्टअप नीति-2020' को मंजूरी


मंत्रिपरिषद ने 'उत्तर प्रदेश स्टार्टअप नीति-2020' को अनुमोदन प्रदान कर दिया है।


ज्ञातव्य है कि उत्तर प्रदेश में वर्तमान में 'उ0प्र0 सूचना प्रौद्योगिकी एवं स्टार्टअप नीति-2017' प्रचलन में है, जिसकी परिकल्पना सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र की स्टार्टअप इकाइयों के दृष्टिगत की गई थी। सरकार के प्रयासों के फलस्वरूप वर्तमान में उत्तर प्रदेश से 1800 से अधिक स्टार्टअप इकाइयां उद्योग संवर्द्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग, भारत सरकार के साथ पंजीकृत हुई हैंस्टार्टअप इकाइयों के वित्तपोषण के लिए सिडबी के साथ 1,000 करोड़ रुपये के स्टार्टअप फण्ड की स्थापना तथा 'यूपी एन्जेल नेटवर्क' की स्थापना की गई हैइन्क्यूबेटर्स और स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के लिए एक समर्पित ऑनलाइन पोर्टल आरम्भ किया गया है।


प्रदेश के सभी प्रकार के उद्योगों हेतु कोई समग्र स्टार्टअप नीति वर्तमान में नहीं है, अतः प्रदेश में सभी क्षेत्रों – यथा कृषि, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, ऊर्जा, खादी, शिक्षा, पर्यटन, परिवहन इत्यादि क्षेत्रों में भी स्टार्टअप संस्कृति को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से एक सुदृढ़ स्टार्टअप ईकोसिस्टम बनाने के लिए एक स्वतन्त्र एवं समग्र स्टार्टअप नीति निर्गत किये जाने की आवश्यकता अनुभव की गई है। इस क्रम में अन्य प्रदेशों की स्टार्टअप नीतियों के अध्ययन तथा प्रस्तावित नीति के सम्बन्ध में विभिन्न स्तरों पर चर्चा में प्राप्त सुझाव एवं परामर्श का समावेश करते हुए 'उत्तर प्रदेश स्टार्टअप नीति 2020' बनाये जाने का निर्णय लिया गया है।


भारत सरकार द्वारा संचालित 'राज्यों की स्टार्टअप रैंकिंग' के अन्तर्गत प्रदेश का 03 शीर्ष राज्यों में स्थान ग्रहण करना, प्रदेश में 100 इन्क्यूबेटर्स तथा राज्य के प्रत्येक जनपद में कम से कम एक इन्क्यूबेटर की स्थापना, स्टार्टअप के लिए कम से कम एक मिलियन वर्ग फुट इन्क्यूबेशन/ एक्सीलेरेशन स्थान का विकास/ सहायता, राज्य में कम से कम 10,000 स्टार्टअप की स्थापना के अनुकूल ईकोसिस्टम का सृजन, स्टेट ऑफ आर्ट उत्कृष्टता के केन्द्रों की स्थापना तथा भारत के सबसे बड़े इन्क्यूबेटर की स्थापना लखनऊ में किया जाना इस नीति का लक्ष्य है। यह नीति अधिसूचना की तिथि से 05 वर्षों के लिए वैध होगी। तथा नीति में प्रोत्साहनों के अन्तर्गत इन्क्यूबेटर्स को पूँजीगत अनुदान, परिचालन व्यय हेतु सहायता, सेण्टर ऑफ एक्सीलेन्स की स्थापना, नवरत्न इन्क्यूबेटर्स की व्यवस्था तथा स्टार्टअप्स को सरकारी खरीद में वरीयता, भरण-पोषण भत्ता, पेटेन्ट फाइलिंग लागत की प्रतिपूर्ति, स्टार्टअप्स फण्ड, विश्वविद्यालयों एवं विद्यालयों में नवाचार और उद्यमिता पाठ्यक्रम, पूर्वांचल तथा बुन्देलखण्ड के स्टार्टअप्स हेतु अतिरिक्त प्रोत्साहनों का प्राविधान निहित है।


प्रश्नगत नीति प्रदेश के युवाओं को रोजगार आकांक्षी' के बजाय 'रोजगार प्रदाता के रूप में ढालने में सहायक होगी और इससे प्रदेश में लगभग 50,000 व्यक्तियों को प्रत्यक्ष एवं 01 लाख व्यक्तियों हेतु अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित होने की सम्भावना है।


मंत्रिपरिषद ने यह निर्णय भी लिया है कि 'उत्तर प्रदेश स्टार्टअप नीति-2020' में समय की आवश्यकताओं के अनुरूप किसी प्रकार का परिवर्तन मुख्यमंत्री जी के अनुमोदनोपरान्त किया जा सकेगा।


'मुख्यमंत्री शिक्षुता प्रोत्साहन योजना के क्रियान्वयन के सम्बन्ध में


शिक्षुता प्रशिक्षण योजना के अधीन भारत सरकार द्वारा संचालित राष्ट्रीय शिक्षुता प्रोत्साहन योजना (एन0ए0पी0एस0) का लाभ अधिकाधिक युवाओं को प्रदान कराने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा वित्तीय वर्ष 2020-21 से मुख्यमंत्री शिक्षुता प्रोत्साहन योजना (सी0एम0 ए0पी0एस0) को प्रारम्भ किया जाना हैइसके अन्तर्गत केन्द्र सरकार द्वारा प्रतिपूर्ति की जा रही 25 प्रतिशत धनराशि (अधिकतम 1,500 रुपये प्रतिमाह) में सी0एम0 ए0पी0एस0 के अन्तर्गत राज्य सरकार द्वारा 1,000 रुपये प्रतिमाह की धनराशि का अतिरिक्त टॉपअप किया जायेगा। इस प्रकार, प्रत्येक चयनित प्रशिक्षु हेतु उद्योगों एवं अधिष्ठानों को कुल 2,500 रुपये प्रतिमाह की धनराशि की प्रतिपूर्ति होने लगेगी। 'मुख्यमंत्री शिक्षुता प्रोत्साहन योजना' (सी0एम0 ए0पी0एस0) के अन्तर्गत वे ही प्रशिक्षु लाभ प्राप्त करेंगे, जो केन्द्र सरकार द्वारा संचालित एन0ए0पी0एस0 में पंजीकृत हैं।


प्रदेश सरकार द्वारा वित्तीय वर्ष 2020-21 में सी0एम0 ए0पी0एस0 के अन्तर्गत 85,000 युवाओं को नियोजित कराने का लक्ष्य रखते हुए राज्य के बजट में 100 करोड़ रुपये की धनराशि का प्राविधान किया गया है


योजना में राज्य सरकार द्वारा भी 1,000 रुपये प्रति शिक्षु को भुगतान किए जाने की स्थिति में उद्योग/अधिष्ठान अधिक से अधिक युवाओं को शिक्षुता प्रशिक्षण प्रदान करने हेतु आकर्षित होंगे। वित्तीय वर्ष 2020-21 से प्रारम्भ होने वाली 'मुख्यमंत्री शिक्षुता प्रोत्साहन योजना के क्रियान्वयन हेतु मार्गदर्शी सिद्धान्तों को मंत्रिपरिषद द्वारा अनुमोदित कर दिया गया है


'मुख्यमंत्री शिक्षुता प्रोत्साहन योजना' (सी0एम0 ए0पी0एस0) का क्रियान्वयन, एन0ए0पी0एस0 के संचालन हेतु केन्द्र सरकार द्वारा प्रतिपादित किये गये नियमों के अनुरूप किया जाएगा। 'मुख्यमंत्री शिक्षुता प्रोत्साहन योजना का क्रियान्वयन राज्य के व्यावसायिक शिक्षा एवं कौशल विकास विभाग द्वारा किया


जाएगाइस हेतु प्रशिक्षण एवं सेवायोजन निदेशालय, उ0प्र0, लखनऊ में राज्य शिक्षुता एवं अनुश्रवण सेल स्थापित की जाएगी। यह सेल निदेशक, प्रशिक्षण एवं सेवायोजन के दिशा-निर्देशन तथा प्रमुख सचिव, व्यावसायिक शिक्षा एवं कौशल विकास विभाग के नियंत्रणाधीन कार्य करेगी'मुख्यमंत्री शिक्षुता प्रोत्साहन योजना' का अनुश्रवण जनपद स्तर पर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में मासिक आधार पर, निदेशक, प्रशिक्षण एवं सेवायोजन के स्तर पर प्रति दो माह तथा प्रमुख सचिव, व्यावसायिक शिक्षा एवं कौशल विकास विभाग की अध्यक्षता में त्रैमासिक आधार पर किया जाएगा'मुख्यमंत्री शिक्षुता प्रोत्साहन योजना के अन्तर्गत चयनित प्रशिक्षुओं का सत्यापन सम्बन्धित जनपद के नोडल प्रधानाचार्य, राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान द्वारा किया जाएगा। शिक्षुता प्रशिक्षण योजना के क्रियान्वयन हेतु जनपदों में उपायुक्त, जिला उद्योग केन्द्र द्वारा कार्यवाही सम्पादित की जाएगी


 


'मुख्यमंत्री शिक्षुता प्रोत्साहन योजना' के सुचारु एवं सफल क्रियान्वयन/ संचालन हेतु एक राज्य स्तरीय वेब पोर्टल विकसित किया जाएगा। केन्द्र सरकार द्वारा अपरेन्टिसशिप ट्रेनिंग स्कीम/एन0ए0पी0एस0 के क्रियान्वयन हेतु संचालित ऑनलाइन पोर्टल के साथ इसे इण्टीग्रेट किया जाएगायोजना के संचालन हेतु विकसित किये जाने वाले राज्य स्तरीय वेब पोर्टल पर समस्त चयनित प्रशिक्षुओं को प्रदान किये जा रहे प्रशिक्षण के मूल्यांकन की व्यवस्था होगीराज्य स्तरीय वेब पोर्टल पर प्रशिक्षण उपरान्त प्रशिक्षुओं को प्राप्त हुए सेवायोजन की ट्रैकिंग की भी व्यवस्था उपलब्ध करायी जाएगी, जिससे योजना के सम्बन्ध में फीडबैक प्राप्त हो सके


उ0प्र0 फार्मास्युटिकल उद्योग नीति, 2018 में संशोधन तथा नये प्रस्तर जोड़े जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति


मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश फार्मास्युटिकल उद्योग नीति, 2018 के अनुच्छेद 13, 13.1, 13.2 एवं 13.3 में संशोधन तथा नये प्रस्तर 13.4 एवं 13.5 जोड़े जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। संशोधन के अनुसार उत्तर प्रदेश फार्मास्युटिकल उद्योग नीति, 2018 के कार्यान्वयन और निगरानी के लिए खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग को नोडल विभाग बनाया गया है। संशोधन के पूर्व, नीति के कार्यान्वयन और निगरानी के लिए अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास विभाग को नोडल विभाग बनाया गया थाकौशल विकास हेतु फार्मा सेक्टर के लेबर इन्टेन्सिव सेक्टर होने के दृष्टिगत उत्तर प्रदेश फार्मास्युटिकल उद्योग नीति, 2018 में भी उत्तर प्रदेश वेयर हाउसिंग तथा लॉजिस्टिक्स नीति-2018, पर्यटन नीति व इलेक्ट्रॉनिक्स नीति की भांति कौशल विकास के लिए प्रोत्साहन की व्यवस्था की गयी हैइसके अन्तर्गत सभी सम्बन्धित फार्मा इकाइयों को कौशल प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए अधिकतम 50 प्रशिक्षु प्रतिवर्ष के अनुसार 06 माह तक 1,000 रुपये प्रतिमाह प्रति प्रशिक्षु की प्रतिपूर्ति 05 वर्षों तक की जाएगीवर्तमान वित्तीय वर्ष में व्यावसायिक शिक्षा विभाग (अनुदान संख्या-69) के बजट में 'मुख्यमंत्री शिक्षुता प्रोत्साहन योजना हेतु नयी मांग के माध्यम से 100 करोड़ रुपये की व्यवस्था करायी गयी है, जिससे सभी सेक्टर के प्रशिक्षु आच्छादित हैं। मंत्रिपरिषद ने फार्मास्युटिकल इकाइयों द्वारा प्रशिक्षुओं को किये गये भुगतान के सापेक्ष अनुमन्य प्रतिपूर्ति की धनराशि का भुगतान 'मुख्यमंत्री शिक्षुता प्रोत्साहन योजना हेतु व्यवस्थित धनराशि से किये जाने का निर्णय लिया है। साथ ही, यह निर्णय भी लिया गया है कि नीति के प्रस्तर 13.2 तथा 13.3 पर मंत्रिपरिषद के आदेशोपरान्त शासनादेश खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग द्वारा निर्गत किया जाएगा


खाद्य मुख्यमंत्री किये मुख्यमंत्री 100 किये सी०एस०सी०-3.0 योजना के क्रियान्वयन के लिए नवीन डिस्ट्रिक्ट सर्विस प्रोवाइडर संस्थाओं के चयन हेतु आर0एफ0पी0 का अनुमोदन


कि पी0पी0पी0 मॉडल वर्ष 2008 से दिसम्बरसी0एस0सी0 2.के माध्यम से हुआ से जन सेवा केन्द्रों मंत्रिपरिषद ने सी0एस0सी0-3.0 योजना के क्रियान्वयन के लिए नवीन डिस्ट्रिक्ट सर्विस प्रोवाइडर संस्थाओं के चयन हेतु आर0एफ0पी0 को अनुमोदित कर दिया है। ज्ञातव्य है कि पी0पी0पी0 मॉडल पर जन सेवा केन्द्रों की स्थापना एवं संचालन का कार्य वर्ष 2008 से दिसम्बर, 2015 (सी0एस0सी0 1.0) तथा जनवरी, 2016 से वर्तमान में सी0एस0सी0 2.0 सम्पादित हो रही है। दोनों बार संस्थाओं का चयन निविदा के माध्यम से हुआ है। अतः पूर्व की भांति इस बार भी खुली निविदा के माध्यम से जन सेवा केन्द्रों की स्थापना एवं संचालन हेतु डिस्ट्रिक्ट सर्विस प्रोवाइडर संस्थाओं के चयन के लिए आर0एफ0पी0 प्रकाशित की जानी है,जिसमें शहरी क्षेत्रों में 10 हजार की आबादी पर 02 और ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति ग्राम पंचायत 02 जनसेवा केन्द्र खोले जाने का प्रस्ताव हैयह व्यवस्था स्ववित्त पोषित है, अतः इसमें राज्य सरकार अथवा केन्द्र सरकार पर कोई वित्तीय व्यय भार नहीं आएगा। यह व्यवस्था आगामी 03 वर्षों के लिये होगी, जिसे डी0ई0जी0एस0 एवं डी0एस0पी0 संस्थाओं की आपसी सहमति से 02 वर्षों तक आगे बढ़ाया जा सकेगा। जन सेवा केन्द्रों के माध्यम से वर्तमान में 34 शासकीय विभागों की दी जा रही 254 सेवाओं के साथ-साथ व्यावसायिक सेवाओं को भी उपलब्ध कराया जायेगा। आम जनमानस को शहरी, अर्ध शहरी क्षेत्रों से लेकर प्रदेश की सुदूर ग्राम पंचायतों तक जन सेवा केन्द्रों के माध्यम से शासकीय सेवाओं के अतिरिक्त चयनित संस्था/वी0एल0ई0 बैंकिंग, बीमा, मोबाइल रिचार्ज, फास्टैग इत्यादि सेवाएं भी अपने नेटवर्क पर आपसी सहमति से आम जनमानस को सुलभ कराने हेतु स्वतन्त्र होंगी। उल्लेखनीय है कि चयनित संस्था/वी0एल0ई0 स्वयं के संसाधनों से समस्त निवेश आवश्यकतानुसार करेंगे। शासकीय सेवाएं नागरिकों को उनके निवास स्थान के समीप सुलभ होने से समय एवं धन की बचत के साथ सम्बन्धित विभागों की योजनाएं भी व्यवस्थित एवं पारदर्शी होगी। शहरी क्षेत्र में प्रत्येक दस हजार की आबादी पर 02 एवं ग्रामीण क्षेत्र में प्रत्येक ग्राम पंचायत में न्यूनतम 02 जनसेवा केन्द्र खोले जाने से इस परियोजना में लगभग 02 लाख से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार का अवसर उपलब्ध हो सकेगा। मंत्रिपरिषद ने योजना के सफल संचालन हेतु अन्य कोई भी निर्णय लिये जाने हेतु मुख्यमंत्री जी को अधिकृत किये जाने का निर्णय भी लिया है


हरदुआगंज 1x660 मे0वा० तापीय विस्तार परियोजना द्वितीय, अलीगढ़ की द्वितीय संशोधित लागत 6011.83 करोड़ रुपये को मंजूरी


मंत्रिपरिषद ने हरदुआगंज 1X660 मे0वा0 तापीय विस्तार परियोजना द्वितीय, अलीगढ़ की द्वितीय संशोधित लागत 6011.83 करोड़ रुपये के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है। साथ ही, पूर्व में अनुमोदित परियोजना लागत हेतु स्वीकृत ऋण एवं अंश पूंजी के अनुपात 80:20 को पुनरीक्षित करते हुए 70:30 करने के प्रस्ताव को भी अनुमोदित कर दिया है। परियोजना की द्वितीय संशोधित परियोजना लागत 6011.83 करोड़ रुपये का 30 प्रतिशत (1803.549 करोड़ रुपये) वित्त पोषण शासकीय अंशपूंजी द्वारा तथा 70 प्रतिशत (4208.28 करोड़ रुपये) वित्तीय ऋण द्वारा किया जाएगा। मंत्रिपरिषद द्वारा यह निर्णय भी लिया गया है कि परियोजना की द्वितीय संशोधित लागत 6011.83 करोड़ रुपये के 70 प्रतिशत (4,208.281 करोड़ रुपये) भाग पर लिये जाने वाले वित्तीय ऋण हेतु बिना प्रत्याभूति शुल्क, शासकीय प्रत्याभूति प्रदान की जाएगी। हरदुआगंज (1x660) मे0वा0 तापीय विस्तार परियोजना-द्वितीय की अनुमोदित प्रथम संशोधित लागत 5500.98 करोड़ रुपये में रेल नेटवर्क के अनुमानित लागत में वृद्धि, वस्तु एवं सेवा कर के लागू होने के कारण टैक्स में वृद्धि एवं पर्यावरण अनापत्ति प्रमाण पत्र की शर्त के अनुपालन मे Social Responsibility में व्यय इत्यादि के कारण परियोजना की पुनरीक्षित लागत 6011.83 करोड़ रुपये हुई है। परियोजना से 660 मेगावाट विद्युत उत्पादन माह दिसम्बर, 2020 से प्रारम्भ होगा, जिसकी शत-प्रतिशत बिजली प्रदेश को प्राप्त होगी।


उ0प्र0 राज्य विद्युत उत्पादन निगम लि0 की हरदुआगंज तापीय परियोजना की इकाई सं0-7 (1x110 मे0वा०) के आर एण्ड एम एवं अपरेटिंग योजना की पुनरीक्षित लागत अनुमोदित


मंत्रिपरिषद ने उ0प्र0 राज्य विद्युत उत्पादन निगम लि0 की हरदुआगंज तापीय परियोजना की इकाई सं0–7 (1x110 मे0वा0) के आर एण्ड एम एवं अपरेटिंग योजना की स्वीकृत लागत 392 करोड़ रुपये के सापेक्ष, पुनरीक्षित लागत 457.97 करोड़ रुपये को अनुमोदित कर दिया है। साथ ही, लागत में हुई वृद्धि 80.97 करोड़ रुपये में से 80 प्रतिशत अर्थात 67.176 करोड़ रुपये मै0 पी0एफ0सी0 द्वारा तथा 20 प्रतिशत शासकीय अंश पूंजी अर्थात 16.794 करोड़ रुपये के वित्त पोषण के प्रस्ताव को भी अनुमोदित कर दिया है। मंत्रिपरिषद द्वारा यह निर्णय भी लिया गया है कि पूर्व में स्वीकृत 313.60 करोड़ रुपये की प्रत्याभूति को बढ़ाकर 380.776 करोड़ रुपये किया जाए तथा बढ़ी हुई लागत के सापेक्ष 67.176 करोड़ रुपये की अतिरिक्त शुल्क रहित शासकीय प्रत्याभूति प्रदान की जाए।


राज्य अध्यापक पुरस्कार हेतु चयन की नीति/प्रक्रिया/मानदण्ड आदि के निर्धारण के प्रस्ताव को अनुमोदित


मंत्रिपरिषद ने माध्यमिक शिक्षा विभाग के प्रधानाचार्य / शिक्षक के राज्य अध्यापक पुरस्कार हेतु चयन की नीति/ प्रक्रिया/मानदण्ड आदि के निर्धारण के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है। इसके अन्तर्गत राज्य अध्यापक पुरस्कार प्रदान करने हेतु राजकीय एवं अशासकीय सहायता प्राप्त हाईस्कूल/इण्टर कॉलेजों/ सहायता प्राप्त संस्कृत पाठशालाओं के नियमित सेवारत प्रधानाचार्य/ प्रधानाध्यापक/अध्यापक के चयन पर विचार किया जाएगाप्रधानाचार्य/ प्रधानाध्यापक/अध्यापकों हेतु राज्य अध्यापक पुरस्कारों की संख्या 09 होगीराज्य अध्यापक पुरस्कार हेतु पात्र प्रधानाचार्य / प्रधानाध्यापक/अध्यापकों के चयन हेतु राज्य स्तर पर प्रमुख सचिव/सचिव/माध्यमिक शिक्षा मण्डल स्तर पर मण्डलायुक्त तथा जनपद स्तर पर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में चयन समिति गठित की जाएंगी। प्रत्येक शैक्षिक सत्र के लिए राज्य अध्यापक पुरस्कार हेतु 15 अप्रैल से 15 मई तक ऑनलाइन आवेदन किया जा सकेगा। जनपदीय समिति द्वारा 16 मई से 15 जुलाई, मण्डलीय समिति द्वारा 16 जुलाई से 31 जुलाई तथा राज्य स्तरीय समिति द्वारा 01 अगस्त से 20 अगस्त तक चयन कार्यवाही सम्पादित की जाएगी।


कोविड-19 के दृष्टिगत शैक्षिक सत्र 2020-21 में 15 जुलाई से 30 जुलाई, 2020 तक ऑनलाइन आवेदन किया जा सकेगा। चयन की कार्यवाही जनपदीय समिति द्वारा 01 से 10 अगस्त, 2020 तक, मण्डलीय समिति द्वारा 11 17 अगस्त, 2020 तक तथा राज्य स्तरीय समिति द्वारा 18 से 25 अगस्त, 2020 तक की जाएगीराज्य अध्यापक पुरस्कार हेतु अर्हता के अन्तर्गत प्रधानाचार्यों/प्रधानाध्यापकों के लिए कुल सेवा अवधि 15 वर्ष होगी, जिसमें से प्रधानाचार्य/ प्रधानाध्यापक के पद पर न्यूनतम 05 वर्ष की नियमित सेवा अवधि पूर्ण कर ली गयी हो। अध्यापकों के लिए 10 वर्ष नियमित सेवा अवधि मान्य होगीअवधि की गणना आवेदन वर्ष के पूर्व शैक्षिक सत्र के अन्तिम दिवस अर्थात 31 मार्च को आगणित की जाएगीज्ञातव्य है कि प्रत्येक वर्ष 5 सितम्बर शिक्षक दिवस के अवसर पर माध्यमिक शिक्षा विभाग में शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले शिक्षकों को राज्य अध्यापक पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है। वर्ष 2016 तक भारत सरकार द्वारा निर्धारित दिशा निर्देशों के अनुरूप राष्ट्रीय अध्यापक पुरस्कार/ राज्य अध्यापक पुरस्कार का चयन किया जाता था।


वर्ष 2017 में भारत सरकार द्वारा पूर्व में निर्धारित व्यवस्था को परिवर्तित करते हुए राष्ट्रीय अध्यापक पुरस्कार हेतु ऑनलाइन प्रक्रिया/मापदण्ड निर्धारित किये गयेअत: राज्य अध्यापक पुरस्कार के चयन हेतु नीति/प्रक्रिया/मापदण्ड निर्धारित किया जाना आवश्यक था। राष्ट्रीय अध्यापक पुरस्कार के चयन हेतु निर्धारित ऑनलाइन प्रक्रिया की भांति राज्य अध्यापक पुरस्कार के चयन के सम्बन्ध मे ऑनलाइन आवेदन पत्र प्राप्त किये जाने की व्यवस्था की गयी हैराज्य अध्यापक पुरस्कार हेतु ऑनलाइन आवेदन पत्र प्राप्त कर निर्धारित मानदण्ड के अन्तर्गत चयन से पारदर्शिता आएगी- - --


उत्तर प्रदेश मोटरयान कराधान अधिनियम, 1997 के अन्तर्गत देय कर पर शास्ति में छूट प्रदान करने के सम्बन्ध में


विश्वव्यापी कोरोना वायरस (कोविड-19) के संक्रमण के दृष्टिगत पूरे देश में माह मार्च, अप्रैल एवं मई, 2020 में लागू लॉकडाउन की अवधि में प्रदेश के सभी विभागीय कार्यालयों के बन्द रहने तथा नागरिकों के आवागमन प्रतिबन्धित होने के फलस्वरूप वाहन स्वामियों द्वारा लॉकडाउन की अवधि में देय कर का समय से भुगतान नहीं किया जा सका है। ___ उत्तर प्रदेश मोटरयान कराधान अधिनियम-1997 की धारा-9(3) में मोटरयानों पर अधिरोपित करों को समय से भुगतान न करने पर शास्ति के आरोप का प्राविधान हैउ0प्र0 मोटरयान कराधान नियमावली, 1998 के नियम-24 में प्राविधान है कि यदि देय कर का समय के अन्दर भुगतान नहीं किया जाता है तो देय कर पर 5 प्रतिशत की दर से प्रतिमाह शास्ति वसूली जाएगी परन्तु यह शास्ति देय कर से अधिक नहीं होगी। उत्तर प्रदेश मोटरयान कराधान अधिनियम की धारा-3 में राज्य सरकार को छूट देने का अधिकार प्राप्त है। अतः उत्तर प्रदेश मोटरयान अधिनियम, 1997 की धारा-3 की उपधारा (1) के खण्ड (क) के प्राविधानान्तर्गत माह मार्च एवं अप्रैल, 2020 में देय करों पर शास्ति के भुगतान से वाहन स्वामियों को छूट प्रदान करने हेतु अधिनियम की धारा-9(3) के क्रियान्वयन से छूट प्रदान की गयी हैयह छूट अधिसूचना के निर्गमन की तिथि के उपरान्त 30 दिन की समय अवधि के अंतर्गत देय कर के भुगतान करने पर ही प्रदान की जायेगी। इस समय अवधि के अंतिम दिन अर्थात 30वां दिन अवकाश होने पर देय छूट अग्रिम कार्य दिवस तक प्रदान की जायेगी


जनपद गौतमबुद्धनगर एवं जनपद लखनऊ के शहरी क्षेत्रों में पुलिस कमिश्नर प्रणाली स्थापित हो जाने के कारण सुरक्षा हेतु गनर, शैडो एवं गार्द उपलब्ध कराये जाने हेतु सामान्य दिशा निर्देश/ नीति निर्धारण के प्रस्ताव को मंजूरी


मंत्रिपरिषद ने जनपद गौतमबुद्धनगर एवं जनपद लखनऊ के शहरी क्षेत्रों में पुलिस कमिश्नर प्रणाली स्थापित हो जाने के कारण सुरक्षा हेतु गनर, शैडो एवं गार्द उपलब्ध कराये जाने हेतु सामान्य दिशा-निर्देश/नीति निर्धारित किये जाने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है। ___ जनपद गौतमबुद्धनगर एवं जनपद लखनऊ के शहरी क्षेत्रों में पुलिस कमिश्नर प्रणाली के अन्तर्गत सुरक्षा हेतु गनर, शैडो एवं गार्द उपलब्ध कराये जाने हेतु गठित समिति का अध्यक्ष पुलिस कमिश्नर होगा। संयुक्त पुलिस आयुक्त, जिलाधिकारी स्वयं अथवा उनके द्वारा नामित अपर जिलाधिकारी स्तर के अधिकारी, पुलिस उपाधीक्षक/निरीक्षक, स्थानीय अभि0 इकाई (उपलब्धता के अनुसार) समिति के सदस्य होंगेपुलिस कमिश्नर की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा जीवनभय पर आधारित सुरक्षा का औचित्य पाये जाने पर आवेदक को 02 माह के लिए सुरक्षा व्यवस्था उपलब्ध करायी जायेगी, जिसे आवश्यकता पड़ने पर 02-02 माह कर दो बार बढ़ाया जा सकेगा। इस प्रकार, कुल 06 माह तक सुरक्षा प्रदान की जा सकेगीपुलिस कमिश्नर की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा सुरक्षा दिये जाने हेतु अपने आदेश में सुरक्षा कर्मियों की संख्या, सुरक्षा प्रदत्त कराये जाने की अवधि, सुरक्षा का व्ययभार आदि बिन्दुओं का उल्लेख अवश्य किया जायेगा। पुलिस कमिश्नर की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा जिस जीवनभय के आधार पर 06 माह हेतु सुरक्षा प्रदान की गयी है, उस जीवनभय को कम करने/अपास्त करने के लिए स्थानीय प्रशासन द्वारा गम्भीर प्रयास किया जायेगा__ पुलिस कमिश्नर स्तर पर कुल 06 माह की सुरक्षा अवधि समाप्त होने पर 15 दिन पूर्व पुलिस कमिश्नर की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा सम्बन्धित महानुभाव के जीवनभय का पुनर्मूल्यांकन किया जायेगा एवं जीवनभय विद्यमान होने की दशा में अपनी स्पष्ट संस्तुति सहित सुविचारित प्रस्ताव/जीवन भय आख्या शासन को विचारार्थ प्रस्तुत की जायेगी। इसके अतिरिक्त, अन्य सभी निर्देश शासनादेश दिनांक 09.05.2014 एवं शासनादेश दिनांक 01.01.2016 के अनुसार प्रभावी होंगे।


मुख्यमंत्री एवं प्रदेश सरकार के अनगिनत कार्यक्रमों की ए०एन०आई० एजेंसी से लाइव स्ट्रीमिंग कराने के सम्बन्ध में


मंत्रिपरिषद ने मुख्यमंत्री जी एवं प्रदेश सरकार के अनगिनत कार्यक्रमों का सजीव प्रसारण (लाइव स्ट्रीमिंग) कार्य ए0एन0आई0 (एशियन न्यूज इन्टरनेशनल) से पूर्व अनुमोदित शर्तों एवं दर 01 करोड़ रुपये वार्षिक एवं 18 प्रतिशत जी0एस0टी0 सहित कुल धनराशि 1.18 करोड़ रुपये में कराये जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया हैमंत्रिपरिषद ने भविष्य में यथावश्यकता इस एजेन्सी का कार्यकाल बढ़ाये जाने एवं किसी भी प्रकार के संशोधन के लिए मुख्यमंत्री जी को अधिकृत किया हैज्ञातव्य है कि मुख्यमंत्री जी एवं प्रदेश सरकार के अनगिनत कार्यक्रमों की सोशल मीडिया पर सजीव प्रसारण की निरन्तर आवश्यकता के दृष्टिगत मंत्रिपरिषद के अनुमोदनोपरान्त शासनादेश संख्या-06/2018/502/उन्नीस-2 -2018/180/2017, दिनांक 27 अप्रैल, 2018 द्वारा मुख्यमंत्री जी एवं प्रदेश सरकार के अनगिनत कार्यक्रमों का सजीव प्रसारण (लाइव स्ट्रीमिंग) कराये जाने हेतु नामांकन के आधार पर ए0एन0आई0 (एशियन न्यूज इन्टरनेशनल) का चयन करते हुए कवरेज 01 करोड़ रुपये वार्षिक एवं जी0एस0टी0 यथा लागू दर अतिरिक्त पर स्वीकृति प्रदान की गयी थीमा0 मुख्यमंत्री जी एवं प्रदेश सरकार के सोशल मीडिया हेण्डल पर उनके सभी कार्यक्रमों के सजीव प्रसारण करने से सरकार के सन्देश सोशल मीडिया के अधिकाधिक उपयोगकर्ताओं तक आसानी से पहुंचा है, जिससे जनसामान्य को लाभ प्राप्त हुआ है। अतः पुनः ए0एन0आई0 का चयन नामांकन के आधार पर किया गया है। सरकार की नीतियों एवं कार्यक्रमों का वृहद प्रचार/प्रसार तथा जनसामान्य से फीडबैक प्राप्त करने हेतु ए0एन0आई0 (एशियन न्यूज इन्टरनेशनल) के माध्यम से मुख्यमंत्री जी एवं प्रदेश सरकार के अनगिनत कार्यक्रमों का लाइव स्ट्रीमिंग कराया जायेगाए0एन0आई0 द्वारा लाइव स्ट्रीमिंग कराये जाने पर स्वत: ए0एन0आई0 न्यूज फीड कई राष्ट्रीय एवं प्रदेश स्तरीय इलेक्ट्रॉनिक न्यूज चैनलों को प्राप्त होगा, जिससे इन चैनलों पर भी मा0 मुख्यमंत्री जी एवं प्रदेश सरकार के अनगिनत कार्यक्रमों के सजीव प्रसारण की सम्भावना और अधिक बढ़ जायेगी।


उत्तर प्रदेश चलचित्र (वीडियो द्वारा प्रदर्शन का विनियमन) नियमावली, 1988 के नियम-17(1) तथा नियम-17(2) के प्राविधानों में संशोधन का निर्णय


मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश चलचित्र (वीडियो द्वारा प्रदर्शन का विनियमन) नियमावली, 1988 के नियम-17(1) तथा नियम-17(2) के प्राविधानों में संशोधन का निर्णय लिया है। इसके तहत, उत्तर प्रदेश चलचित्र (वीडियो द्वारा प्रदर्शन का विनियमन) (6वां संशोधन) नियमावली, 2020 के प्रख्यापन का निर्णय लिया गया है। उत्तर प्रदेश चलचित्र (वीडियो द्वारा प्रदर्शन का विनियमन) नियमावली 1988 के नियम-17(1) एवं 17 (2) में वर्तमान में 5,000 रुपये लाइसेंस शुल्क एवं प्रति टी0वी0 स्क्रीन प्रतिवर्ष 100 रुपये अतिरिक्त लाइसेंस अधिरोपित किया गया था। प्रति टी0वी0, प्रतिवर्ष रु० 100.00 अतिरिक्त लाइसेंस अधिरोपित किये जाने से, केबल टी0वी0 के माध्यम से स्थानीय चैनलों का प्रसारण आर्थिक रूप से व्यावहारिक न रह जाने के कारण प्रदेश में स्थानीय चैनलों के प्रसारण के तीव्रता से बन्द होने की प्रवृत्ति बढ़ गयी थी और प्रदेश के केबल टी0वी0 उद्योग से जुड़े संगठनों द्वारा स्थानीय चैनलों पर प्रति टी0वी0, प्रतिवर्ष 100 रुपये अतिरिक्त लाइसेंस शुल्क समाप्त किये जाने की मांग की जा रही थी, जिसपर विचारोपरान्त सरकार द्वारा केबल टी0वी0 के माध्यम से स्थानीय चैनलों के प्रसारण पर देय अतिरिक्त लाइसेंस शुल्क की व्यवस्था को समाप्त करते हुए नियम-17(1) के अन्तर्गत देय लाइसेंस शुल्क 5,000 रुपये प्रतिवर्ष को बढ़ाकर 10,000 रुपये कर दिया गया हैयह निर्णय जनसामान्य को स्थानीय न्यूज़, संस्कृति, अन्य सांस्कृतिक एवं मनोरंजक कार्यक्रमों के प्रदर्शन को सुलभ किये जाने तथा स्थानीय चैनलों के प्रदर्शन को आर्थिक रूप से व्यावहारिक बनाने के दृष्टिगत लिया गया है


 


 


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