शिक्षकों के व्यक्तित्व विकास हेतु दिनांक-20 जुलाई से 26 जुलाई तक के एक साप्ताहिक कार्यशाला


डाॅ0 राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय, अयोध्या तथा इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय क्षेत्रीय केन्द्र, लखनऊ के संयुक्त तत्वाधान में शिक्षकों के व्यक्तित्व विकास हेतु दिनांक-20 जुलाई से 26 जुलाई तक के एक साप्ताहिक कार्यशाला का शुभारंभ आज विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर मनोज दीक्षित द्वारा किया गया। कुलपति ने कहा कि शिक्षण की स्थापित मान्यताओं में आमूलचूल परिवर्तन आया है। परम्परागत शिक्षण प्राविधियों के समक्ष गम्भीर चुनौतियाँ उत्पन्न हुई है। शिक्षण की नई नई प्रणाली और विधियों को सीखने का समय है। उन्होंने कहा की क्लास रूम टीचिंग और आभासी शिक्षण में काफ़ी परिवर्तन है। बड़ी संख्या में छात्र आइ0सी0टी0 के माध्यम से जुड़ सकें ये एक बड़ी चुनौती होगी। प्रोफेसर दीक्षित ने कहा कि ई कंटेंट को विकसित करना एक कला है।
कार्यक्रम की सह संरक्षक तथा इग्नू की क्षेत्रीय निदेशक डाॅ0 मनोरमा सिंह ने अतिथियों का स्वागत करते हुये कहा कि आज कोविड़ का मुकाबला भी करना है और शिक्षण कार्य भी चलाना है। इस कार्यशाला से नये विचार निकलेंगे नई अवधारणाओं का विकास होगा।
मुख्य वक्ता के रूप में मौजूद हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर मध्य प्रदेश के समाजकार्य विभाग के मुखिया प्रोफ़ेसर दिवाकर सिंह राजपूत ने कहा कि ई कंटेंट को अत्यंत बुद्धिमत्ता के साथ विकसित करना चाहिये। ई कंटंेट सरल सुगम और बोधगम्य होना चाहिये साथ इस सम्बन्ध में नियमों कानून का ज्ञान होना चाहिय। ई कंटंेट में लय बद्धता जिज्ञासा तथा नवीनता का समावेश होना चाहिये।
इस अवसर पर शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव श्री अतुल भाई कोठारी ने कहा कि कोविड के कारण अत्यन्त व्यापक प्रभाव पड़ा हैं नवीनता के साथ शिक्षकों को अपडेट होने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि कोविड़ का हाल फिलहाज जाना सम्भव नहीं लगता इसलिए हमें आपदा में अवसर तलाशना होगा। आज विद्यार्थियों में तनाव और नकारात्मकता बढ़ रही है बहुत अधिक देर तक आॅनलाइन रहना भी उचित नहीं है। हमें आॅनलाइन प्रयोग पर भी जोर देना होगा और उसकी नई प्रविधियाँ निकालनी होंगी। उन्होंने कहा कंटेंट वस्तुतः अपनी भाषा में हो जो विवरणात्मक तथा बहुविकल्पिय दोनो हो सकता है। विद्यार्थियों के अभिभावकों के साथ भी समन्वय स्थापित करना चाहिये।डाॅ0 कीर्ति विक्रम सिंह, सहायक क्षेत्रीय निदेशक, एवं आज के कार्यक्रम के समन्वयक  ने अतिथियों को जानकारी दी कि ई कंटेंट को विकसित करने तथा उसे सरल सहज और बोधगग्म बनाने की दिशा में इग्नू द्वारा विशेष प्रयास किये जा रहे है। इस सम्बन्ध में काउंसलर्स के साथ कार्यशालाओं का आयोजन किया गया है तथा अनेक अतिथियोें को आमंत्रित किया गया है जिन्होंने ई कंटेंट के कानूनी तथा अन्य पक्षों पर अपने विचारों से अभिसिंचित किया है। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय निदेशक के मार्गदर्शन में ई लर्निंग तथा ई कक्षाओं के बारे में रणनीति तैयार की गई है जिससे इस आपदा काल में भी यथासम्भव कक्षाओं का संचालन किया जा सके।
कार्यशाला में सह संरक्षक तथा प्रो0वी0सी0 डाॅ0 एस0एन0 शुक्ला ने कार्यक्रम को उपयोगी बताया तथा कहा की निश्चित रूप से इससे अच्छे नतीजे प्राप्त होंगे।
कार्यशाला के चेयरमैन डाॅ0 हिमांषु शेखर सिंह ने संचालन किया तथा प्रतिभागियों के साथ समन्वय स्थापित किया।
इग्नू अध्ययन केन्द्र समन्वयक डाॅ0 नरेष कुमार चैधरी, इग्नू के सहायक निदेशक डाॅ0 कीर्ति विक्रम सिंह तथा पी0एस0एस0डी0सी0 की निदेशक डाॅ0 गीतिका श्रीवास्तव ने अपने विचारों से अवगत कराया।
कार्यशाला के आयोजक सचिव इंजीनियर राजीव कुमार ने सबका आभार ज्ञापन किया। 
धन्यवाद ज्ञापन समन्वयक डाॅ0 कीर्ति विक्रम सिंह ने किया तथा आख्या का प्रस्तुतिकरण डाॅ0 गीतिका श्रीवास्तव ने किया।
 


 


 


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