अमर शहीद राजगुरु
कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी थी, भाद्रपद का महीना
24 अगस्त 1908 को जन्मा आजादी का नगीना
पार्वती बाई माता, हरि नारायण पिता जी का नाम
जिनके घर जन्मे थे, पुत्र श्री हरि राजगुरु शिवराम
महाराष्ट्र राज्य, जिला पुणे और पावन खेडा गाम
जिसकी पावन रज में खेले हरि राजगुरु शिवराम
छह साल की बाली उम्र में पिता का उठा साया
संस्कृत पढ़ने के लिए राजगुरु था वाराणसी आया
लग्न से की सब धर्म ग्रंथों की करी गहन पढ़ाई
लघु सिद्धांत कौमुदी जैसे क्लिष्ट ग्रंथ कण्ठस्ठ पाई
शौक ग्रंथ पढ़ना,घुड़सवारी,कसरत, तलवारबाजी
आदर्श महान लोकमान्य तिलक एवं वीर शिवाजी
देश को पराधीनता की बेडियो से कराना आजाद
क्रांतिकारियों संग मिलकर कर दिया था आगाज़
जलियांवाला बाग की घटना घुमती रहती मन में
लाला लाजपत राय हत्या का बदला लेने मन में
भगतसिंह, सुखदेव संग कर दी सांडर्स की हत्या
एसेम्बली पर बम फेंक दिया खडा रहा निहत्था
अंग्रेजी शासन ने तीनों पर हर तरह से जुल्म डाया
23 मार्च 1931के दिन तीनों को फांसी चढ़ाया
बाईस साल की उम्र में नाम अपना अमर कर गये
स्वतंत्रता बेदी पर निज जान न्योछावर कर गये
ऐसे स्वतंत्रता शिल्पियों ने ही यह आजादी दिलाई
डाॅ सतीश चंदाना जी स्वीकार करों कोटिशः बधाई