अरे मनुज चेतो, समझो मत उल्लू सा वर्ताव करो
अरे मनुज चेतो समझो मत उल्लू सा वर्ताव करो।
अन्धकार से दूर रहो अज्ञान तिमिर का नाश करो।।
ज्ञान वान बन ज्ञान प्रभा बसुधा मंडल में फैलाओ।
अज्ञान तिमिर को दूर हटा निज ज्ञान प्रभा को दिखलाओ।।
भेडिया जिस तरह निज शिकार का विना वजह बध करता है ।
भूखा है या नहीं लालची लालच में तन हरता है।।
उसी तरह लालच में फंस कर तुम संग्रह का त्याग करो ।
बसुधा पर अगणित मनुष्य है उन जीवों का कष्ट हरो ।।
कुत्ता मालिक के चरणों पर लोट-पोट हो जाता है।
चारों पैर उठा कू-कू कर अपनी पूछ हिलाता है।।
कर्म-वान तो बनों मगर कुत्ते सा न वर्ताव करो ।
चाटुकारिता छोड़ कर्म कर बसुधा का कल्याण करो।।
चकवा जैसी कामुकता को छोड़ बिषय का त्याग करो।
गतिशीलता गरुण से लो पर अहंभाव का त्याग करो ।।
जैसे गृद्ध लालची होता तुम लालच से दूर रहो।
दूरदर्शिता किन्तु गृद्ध से प्राप्त करें अरु सुयश लहे।।
अन्धकार में दिव्यदृष्टि उल्लू की हो पर ज्ञान रहे।
भेड़िये से लो कार्यकुशलता कर्म हेतु तैयार रहे।।
कुत्ते से लो स्वामि-भक्ति चकवे से विषय विकार हरे।
गतिशीलता गरुड़ से ले और गृद्ध से दृष्टि अपार लहे।।
*दण्डी स्वामी रामानंद आश्रम अद्वैत विज्ञानमठ दण्डी-आश्रम आजाद नगर कानपुर)*