हर्षोल्लास पूर्वक धूमधाम के साथ मनाया गया श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर्व * मंदिरों में सजी भगवान श्रीकृष्ण की भव्य झाकियां

ललितपुर।

ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने.. प्रणत: क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नम:॥  कोरोना महामारी को ध्यान में रखते हुए मड़ावरा थाना परिसर एवं धौरीसागर पुलिस चौकी में बड़े ही धूमधाम से भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव कार्यक्रम धूमधाम के साथ मनाया गया।  मड़ावरा थाना परिसर के मंदिर में इंस्पेक्टर मड़ावरा कृष्ण वीर सिंह के निर्देशन में भगवान श्रीकृष्ण की भव्य झांकी सजाई गई। मन्दिर को सुंदर विद्युत झालरों से भव्यता के साथ सजाया गया। सायंकाल थाना प्रांगण में स्थानीय संभ्रांत नागरिकों को प्रसाद भी ग्रहण कराया गया। जन्मदिन मनाते हुए लोगों ने मिष्ठान वितरण कर एक दूसरे का मुंह मीठा कराया, बधाई व शुभकामनाएं दीं। मड़ावरा, सौरई सहित विभिन्न क्षेत्रों में जय जय कन्हैया लाल की हाथी घोड़ा पालकी की ध्वनि सुनाई दी। 

आपको बताते चलें कि श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष के रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। जन्माष्टमी 2020 में 12 अगस्त, बुधवार को मनाई गई है। प्राचीन काल से ही हिंदू धर्म में जन्माष्टमी के त्योहार को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता है कि श्री कृष्ण भगवान विष्णु के ही अवतार हैं। जिन्होंने द्वापर युग में अनेकों राक्षसों का वध किया था। साथ ही यह वही परम पुरुषोत्तम भगवान हैं जिन्होंने कुरुक्षेत्र के युद्धस्थल में अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था। आज पूरी दुनिया गीता के ज्ञान का लाभ ले रही है। हिंदू धर्म में भगवान श्री कृष्ण को मोक्ष देने वाला माना गया है।

 

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी बुधवार को धूमधाम के साथ मनाई गई। माना जाता है कि श्री कृष्ण के अवतार का एक बहुत महत्वपूर्ण कारण कंस का वध करना था श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष के रोहिणी नक्षत्र में हुआ था श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष के रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। जन्माष्टमी 2020 में 12 अगस्त, बुधवार को मनाई  प्राचीन काल से ही हिंदू धर्म में जन्माष्टमी के त्योहार को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता है कि श्री कृष्ण भगवान विष्णु के ही अवतार हैं। जिन्होंने द्वापर युग में अनेकों राक्षसों का वध किया था। साथ ही यह वही परम पुरुषोत्तम भगवान हैं जिन्होंने कुरुक्षेत्र के युद्धस्थल में अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था। आज पूरी दुनिया गीता के ज्ञान का लाभ ले रही है। हिंदू धर्म में भगवान श्री कृष्ण को मोक्ष देने वाला माना गया है।

 श्री कृष्ण के अवतार का एक बहुत महत्वपूर्ण कारण कंस का वध करना था। कंस की एक बहन थी देवकी। देवकी कंस को अत्यंत प्रिय थी। कंस जब अपनी बहन का विवाह करवाकर वापस महल लौट रहा था। तब ही आकाशवाणी हुई कि हे कंस, तेरी इस प्रिय बहन के गर्भ से जो आठवीं संतान होगी वही तेरी मृत्यु का कारण बनेगी। इसलिए कंस ने अपनी बहन को कारागार में डाल दिया। जैसे ही देवकी किसी बच्चे को जन्म देती कंस उसे तुरंत जान से मार देता था।

जब आठवें बालक यानी श्री कृष्ण को देवकी जी ने जन्म दिया। तब भगवान विष्णु की माया से कारागार के सभी ताले टूट गए और भगवान श्री कृष्ण के पिता वासुदेव उन्हें मथुरा नन्द बाबा के महल में छोड़ कर चले गए। वहां एक कन्या ने जन्म लिया था। वह कन्या माया का अवतार थी। वासुदेव उस कन्या को लेकर वापस कंस के कारागार में आ गए। कंस ने उस कन्या को देखा और गोद में लेकर उसे मारने की इच्छा से जमीन पर फेंका। नीचे फेंकते ही वो कन्या हवा में उछल गई और बोली कि कंस तेरा काल यहां से जा चुका है। वही कुछ समय बाद तेरा अंत भी करेगा। मैं तो केवल माया हूं। कुछ समय बाद ऐसा ही हुआ,भगवान श्रीकृष्ण ने कंस के महल आकर वहीं उसका अंत किया।

 

इनका कहना है-

कथा ब्यास पंडित सन्दीप मिश्रा 

जन्माष्टमी का महत्व बहुत अधिक है। सभी वैष्णव जन्माष्टमी का व्रत करते हैं। शास्त्रों में जन्माष्टमी को व्रतराज कहा गया है यानी यह व्रतों में सबसे श्रेष्ठ व्रत माना गया है। इस दिन लोग पुत्र, संतान, मोक्ष और भगवद् प्राप्ति के लिए व्रत करते हैं। माना जाता है कि जन्माष्टमी का व्रत करने से सुख-समृद्धि और दीर्घायु का वरदान मिलता है। साथ ही भगवान श्री कृष्ण के प्रति भक्ति भी बढ़ती है। जन्माष्टमी का व्रत करने से अनेकों व्रतों का फल मिलता है। 

 

शास्त्रों मैं बताया कि धरती पर बढते पापों से व्यथित पृथ्वी ने गाय रूप में ब्रह्माजी के पास जाकर पारब्रह्म परमेश्वर भगवान कृष्ण को धरती पर जन्म के लिए मनाने की करूण गुहार लगाई धरती की गुहार पर ब्रहमदेव ,देवआदिदेव महादेव को ब्रह्मा लेकर भगवान श्री कृष्ण के धाम पहुचे भगवान श्री कृष्ण के नित्तलीला कुंज की भव्यता का बखान करते हुए  कि अंतरण कुंज में हजारों सूर्याें के प्रकाश की चकाचौंद हैं जहां सगुण रूप में कोई नजर नही आता तब देव गणों की प्रार्थना पर भगवान श्री कृष्ण विराट रूप में प्रकट होकर दर्शन देते हैं देवगण धरती पर बढते पापों का नाश करने के लिए धरती पर शीर्घ प्रकट होने की प्रार्थना करते हें। देवगणों की प्रार्थना पर भगवान श्री कृष्ण पृथ्वी पर अन्य देवी देवताओं के साथ प्रकट होने का भरोसा जताते हैं।

 

मनाया श्रीकृष्ण जन्मोत्सव:

 

भगवान श्री कृष्ण विराट रूप में देवकी के यहां जन्म लेते हैं भगवान श्री कृष्ण के इस जन्मोत्सव को मड़ावरा सहित धोरीसागर पुलिस चौकी मैं कोरोना महामारी को ध्यान में रखते हुये थाना परिसर में  पर बड़ी धूमधाम से मनाया गया जन्मोत्सव की कथा से भावविहोर होते श्रोता थिरकने लगे नंद घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की जयकारों से पूरा सत्संग भवन गूंज उठा। माखन मिश्राी और फूलों की बौछार पूरे स्थल पर की गई ढोल ढमाकों के साथ भगवान श्री कृष्ण के पात्र स्वरूप की सभी श्रोताओं ने पूजा-अर्चना की पूरे स्थल पर उत्साह और आनंद का वातावरण निर्मित हो गया।

 

 

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