जहरीले सर्प ने तीनों बच्चों को डस लिया,बुझ गया उम्मीदों का चिराग


सर्प दंश से तीन सगे भाइयों की मौत हो गई। तीनों भाई अपने माता-पिता के साथ घर के अन्दर बने कमरे में जमीन पर सो रहे थे।   सर्प के काटने के बाद मची चीख पुकार सुनकर मौके पर पहुँचे परिजनों ने सांप को देखा। जब तक सांप भी घर से रफूचक्कर हो गया। सर्प दंश से तीनों भाइयों की मौत होते ही कोहराम मचा है।    


थाना सदरपुर क्षेत्र के ग्राम पिपरी मजरा पिपराकलां निवासी सुनील कुमार गुरुवार की देर रात अपनी पत्नी एवं तीनों बच्चों सल्लू 09 वर्ष, पवन 07 वर्ष एवं अंश के साथ घर के अंदर कमरे में जमीन पर सो रहे थे। कि इसी बीच जहरीले सर्प ने तीनों बच्चों को डस लिया। सर्प के काटने के बाद मची चीख पुकार सुनकर मौके पर पहुँचे परिजनों ने सांप को देखा। जब तक सांप भी घर से रफूचक्कर हो गया। बच्चों की हालत नाजुक देखते हुए परिजनों ने आनन-फानन में सीएचसी बिसवां  में भर्ती करवाया। यहां चिकित्सकों ने हालत नाजुक देखते हुए जिला अस्पताल रेफर कर दिया। इसी दौरान तीनों मासूम बच्चों की दर्दनाक मौत हो गई। सूचना मिलते ही मौके पर उपजिलाधिकारी बिसवां सुरेश कुमार एवं थानाध्यक्ष सदरपुर विकास मिश्रा दल बल के साथ पहुंचे। एसडीएम बिसवां सुरेश कुमार ने बताया कि विधिक कार्यवाई की जा रही है। बच्चों के शवों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सर्प दंश से मौत आने पर परिजनों को दैवीय आपदा के तहत सहायता राशि दी जाएगी।


बुझ गया उम्मीदों का चिराग।



सर्पदंश से तीन सगे भाइयों की मौत के बाद गांव में कोहराम मच गया। मृतक मासूम बच्चों के माँ-बाप सहित परिजनों जा रो रो कर काफी बुरा हाल है। सुनील के परिवार में पत्नी रिंकी सहित सिर्फ तीन ही बेटे थे। सर्प दंश से हुई तीनों बेटों की मौत के बाद अब सुनील के परिवार से उम्मीदों का चिराग हमेशा हमेशा के लिए बुझ गया है। सुनील के घर में अब किलकारी सुनाई नहीं देगी। मृतक तीनों बेटों में सल्लू एवं पवन प्राथमिक विद्यालय पिपराकलां में कक्षा तीन एवं चार के छात्र थे।


झाड़-फूंक के चक्कर में पोस्टमार्टम में हुई देर



गुरुवार की देर रात सर्प के काटने से तीन सगे भाइयों की मौत के बाद से लेकर शुक्रवार को शाम सात बजे तक बच्चों के शवों को पोस्टमार्टम के लिए नहीं भेजा जा सका था। बताया जा रहा है कि सहूल से कुछ तांत्रिक गांव पहुंच रहे हैं जो मृत बच्चों को सही कर देंगे। अंधविश्वास पर कायम  परिजनों को जिम्मेदार समझाने बुझाने में नाकाम साबित हुए। नतीजा यह रहा कि बच्चों के  शवों को पोस्टमार्टम के लिए  शुक्रवार की शाम तक नहीं भेजा जा सका। इस बाबत थानाध्यक्ष सदरपुर विकास मिश्रा ने बताया कि मृत बच्चों के नाना-नानी दिल्ली से आ रहे हैं। इन्हीं लोगों के आने का इंतजार किया जा रहा है। पहुंचते ही बच्चों के शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया जाएगा।


इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

सबसे बड़ा वेद कौन-सा है ?