झांसी की रानी
बचपन से छत से किले 🏰 को देखती,
कभी-कभी छूने की कोशिश करती।
समझ के फेरे से ये एहसास हुआ,
झांसी की रानी 👑 नाम से रौशन हुआ।
हर इतवार को सैर 🚶♀️करने जाते थे,
अलग-अलग जगहों को देख खुश होते थे।
कभी रानी की तोप कभी बगीचे🏞️ में घूमते,
कभी जहाँ से छलांग लगाई उसे देखते।
झंडे 🇮🇳 को ऊचाई पर देख ख़ुशी होती,
अंदर से आजाद भारत महसूस करती।
गर्व होता है मुझे, मैं उस शहर में पैदा हुई,
कमजोर जहां पड़ी वहां मजबूत💪 हुई।
पूछता हैँ यदि कोई मेरी पहचान, जुबानी,
गर्व से कहती हूँ मैं हूं झांसी की रानी।