लाल किले से प्रधानमंत्री ने चीन और पाकिस्तान को दी चेतावनी, आंख उठाने वालों को दिया करारा जवाब
【 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से चीन और पाकिस्तान का नाम लिए बिना आतंकवाद और विस्तारवाद को लेकर जोरदार हमला बोला। उन्होंंने कहा कि लद्दाख में क्या हुआ उसे दुनिया ने देखा है। 】
★ प्रधानमंत्री मोदी ने ऐतिहासिक लाल किले की प्राचीर से चीन और पाकिस्तान को सख्त चेतावनी दी
★ पीएम ने नाम लिए बिना कहा कि आतंकवाद हो या विस्तारवाद भारत डटकर मुकाबला कर रहा है
★ प्रधानमंत्री ने लाल किले से कहा कि हमारे जवान क्या कर सकते हैं, ये लद्दाख में दुनिया ने देख लिया है
★ पीएम मोदी ने कहा कि जिसने (चीन ने लद्दाख में) चुनौती दी, उसे उसी की भाषा में जवाब दिया गया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर ऐतिहासिक लाल किले की प्राचीर से चीन और पाकिस्तान के विस्तारवाद तथा आतंकवाद पर जोरदार प्रहार किया। प्रधानमंत्री ने चीन और पाकिस्तान का नाम लिए बिना कहा कि (पाकिस्तानी) आतंकवाद हो या (चीन का) विस्तारवाद भारत आज डटकर मुकाबला कर रहा है। हमारे जवान क्या कर सकते हैं, ये लद्दाख में दुनिया ने देख लिया है। पीएम मोदी ने कहा कि जिसने चुनौती दी, उसे उसी की भाषा में जवाब दिया गया।
चीन और पाकिस्तान के साथ तनाव के बीच प्रधानमंत्री ने कहा, 'भारत की संप्रभुता का सम्मान हमारे लिए सर्वोच्च है। हमारे जवान क्या कर सकते हैं, ये लद्दाख में दुनिया ने देख लिया है। LOC से लेकर LAC तक, देश की संप्रभुता पर जिस किसी ने आंख उठाई है, देश ने, देश की सेना ने उसका उसी भाषा में जवाब दिया है। मैं आज मातृभूमि पर न्योछावर उन सभी जवानों को नमन करता हूं। आतंकवाद हो या विस्तारवाद भारत आज डटकर मुकाबला कर रहा है। आज दुनिया का भारत पर विश्वास और मजबूत हुआ है।'
उन्होंने कहा, '192 में से 184 ने भारत को संयुक्त राष्ट्र में अस्थायी सदस्यता के लिए भारत को समर्थन दिया था। विश्व में कैसे हमने पहुंच बढ़ाई है, उसका यह उदाहरण है। ये तभी होता है जब भारत सशक्त हो, जब भारत सुरक्षित हो।' भारत का लगातार प्रयास है कि अपने पड़ोसी देशों के साथ सांस्कृतिक और आर्थिक रिश्तों को और गहराई दें। पीएम मोदी ने कहा, 'हमारे पड़ोसी देशों के साथ, चाहे वो हमसे ज़मीन से जुड़े हों या समंदर से, अपने संबंधों को हम सुरक्षा, विकास और विश्वास की साझेदारी के साथ जोड़ रहे हैं।'
पीएम मोदी ने कहा, 'दक्षिण एशिया में दुनिया की एक चौथाई जनसंख्या रहती है। हम सहयोग और सहभागिता से इतनी बड़ी जनसंख्या के विकास और समृद्धि की अनगिनत संभावनाएं पैदा कर सकते हैं। इस क्षेत्र के देशों के सभी नेताओं की इस विशाल जन समूह के विकास और प्रगति की ओर एक अहम जिम्मेदारी है। आज पड़ोसी सिर्फ वो ही नहीं हैं जिनसे हमारी भौगोलिक सीमाएं मिलती हैं बल्कि वे भी हैं जिनसे हमारे दिल मिलते हैं। जहां रिश्तों में समरसता होती है, मेल जोल रहता है।'