मेरी मोहब्ब्त

मेरी मोहब्ब्त की दासता लिखने चला था,


मेरी कहानी बाज़ार में ना बिकी तो खुद बिकने चला था।


मेरा पहला खरीददार मेरी पहली मोहब्ब्त निकली,


पैसो से नहीं वो तो बस मेरे आसुओं से पिघली।


देखती रही मेरी आंखो को इस कदर ,


जैसे जन्नत का दीदार हुआ हो,


मेरी पहली मोहब्ब्त को मुझसे फ़िर प्यार हुआ हो।


वो शाम बरसात वाली थी,


आंखो में मोहब्ब्त बस मेरे लिए खाली थी,


मैने भी आंखे आसुओं से भर ली,


तू मोहब्ब्त थी मेरी तो क्यू दूरिया दरमिया कर ली।


उसे फ़िर अहसास हुआ उस दिन मुझे पा कर,


मुझसा ना मिला कोई दुनियां में फिर दिल लगाकर।


तुझे जो मिला उसके पास सब था मोहब्ब्त को छोड़ कर,


क्यों छोड़ गई तू मुझे यहां मेरा दिल तोड़ कर ।


तेरी गली में आना छोड़ दिया,


फ़िर तुझे पा कर अब किसी ओर से दिल लगाना छोड़ दिया।



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