नहीं निकला मुहर्रम का जुलूस, घरों में ही हुई फातिया खानी और ताजिया रोजे की जियारत, नहीं किये गए ताजिया कर्बला में सुपुर्दे खाक

नहीं बजे ढोल तासे नही मनाया गया मुहर्रम, ताजियों के पास पुलिस रही तैनात



ललितपुर।
कोरोना संक्रमण को नज़र में रखते हुए सरकार ने अपने घरों पर रहकर मुहर्रम ताजिया का त्योहार मनाने का आदेश दिया। सरकार के आदेश का पालन अवाम ने और ताज़ियादारों ने बखूबी किया। जहां कस्बा मड़ावरा की हर गलियों में ताज़िया दारी होती रही वहीं आज कस्बे में पूरी तरह सन्नाटा छाया रहा। लोगो ने अपने घरों में फातिहा दुरूद कराई। कस्बा मड़ावरा में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने सरकार की गाइड लाइन का सम्मान करते हुए एबं प्रशासन का सहयोग करते हुये कोरोना संक्रमण को देखते हुय किसी जुलूस का कोई एहतेमाम नही किया, सभी ने सोशल डिस्टेंसिग का पालन करते हुये अपने-अपने घरों में रहकर ही मुहर्रम ताजिया का त्योहार मनाया। कस्बे के सभी तजियादारों ने मोहर्रम ताजिया का त्योहार अपने-अपने घर पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए मनाया।पुलिस प्रशासन द्वारा सुबह से ही सरकार द्वारा बताई गई गाइड लाइन एबं प्रशासन का सहयोग करने की अपील की।साथ ही मुस्लिम समुदाय के लोगों से अपने-अपने घरों में ताजिया मुहर्रम का त्योहार मनाने की अपील करते की।


उल्लेखनीय है कि कस्बा मड़ावरा में चार ताजिया निकाले जाते रहे हैं जिनमें से जामा मस्जिद का ताजिया, ब्लॉक स्थित सुन्नी मुंबबरी मस्जिद का ताजिया, तकिया का ताजिया एबं तजियादार मास्टर मुजीम खां का मिलाकर सहित कुल चार ताजिया निकाले जाते रहे हैं । बैश्विक महामारी को देखते हुये सरकार द्वारा दी गयी गाइड लाइन के अनुसार एबं प्रशासन का सहयोग किया गया।
ताजिया (मुहर्रम) कस्बे में इस वर्ष सभी तजियादार एबं मुस्लिम समुदाय के लोगों ने ताजिया अपने-अपने घरों पर ही रखते हुए इमाम हुसैन की याद में दरुद सालम व फातिया पड़कर हजरत इमाम हुसैन को याद किया। हजरत इमाम हुसैन के चाहने वाले गमी हुसैन अजमत हुसैन इमाम हुसैन, हुसैन से निसबत हो तो ऐसे हो या हुसैन मौला हुसैन के नारे लगाए। घर पर इमाम हुसैन को याद किया। पारंपरिक रूप से ही ताजियादारी का सिलसिला जारी है।हर वर्ष मुस्लिम समुदाय के साथ कस्बे के सभी वर्गों के लोग हजरत इमाम हुसैन की याद में ताजियो की जियारत करते।सभी लोग इमाम हुसैन की बारगाह में अपनी दुआओं को अकीदत के साथ पेश करते हैं।


गौरतलब है कि हजरत इमाम हुसैन और उनके सहयोगियों को चिड़ियाघर के करबला में जालिम बादशाह यजीद की गलत नीतियों के समर्थन न करने के कारण इमाम हुसैन व उनकें 72 जांन निसार सहयोगियों को भूखा और प्यासा शहीद कर दिया गया था। यजीद जालिमों ने जहाँ एक ओर औरतों और बच्चों का भी लिहाज नहीं किया गया बही दूसरी ओर इमाम हुसैन ने अपने साथियों को धैर्य और त्याग की सीख दी। हजरत इमाम हुसैन की याद में मुस्लिम समुदाय के लोग अपनी अकीदतों का इजहार करते हैं व उन्हें अपनी-अपनी दरूदो सलाम पेश करते है।


फातिहा खानी के बाद सभी मुस्लिम समुदाय के लोगों ने हजरत इमाम हुसैन की बारगाहे में हांथो को उठाकर देश मे चल रहे हालात से निजात पाने एबं देश मे अम्नो चेन की दुआ मांगी।


इस दौरान मुख्यरूप से हाफिज ब कारी रियाजुद्दीन चिश्ती निजामी, दादा रहमान खान, मास्टर मुजीम खा, हाजी कामरान खान, मुन्नाशाह,अजमेरी खा, जिला मंसूरी समाज समिति के नयाब सदर मु0 जाकिर मंसूरी, एडवोकेट एन0एन0मंसूरी, असरफ खां ठेकेदार, शराफत शाह, रमजान खान, मुन्ना खान,  साकिर अली, हलकाई शाह, मुस्ताफ माते, इमरान खान, सदर रफीस खान, असगर खा भोती, राशिद खान, रज्ज़ब खान, नबाब खान, सलीम खान, अब्दुल खां, बशारत खां, मास्टर हमीद खां, मास्टर यासीन खां, मास्टर मु0 जमील अहमद, गफ्फार खां,  बाबू खां, रहमान नन्ना, जब्बार खान, बाहिद राइन, असगर खा, रज्जाक शाह आदि उपस्थित रहे।


 


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