आबकारी विभाग की संपूर्ण कार्य प्रणाली को पी.ओ.एस. मशीनों सहित आनलाइन किये जाने के क्रम में सेवा प्रदाता के चयन हेतु संपादित की गयी निविदा प्रक्रिया में न्यूनतम दर पर कार्य सम्पादन हेतु अनुमोदन प्रदान किया गया

लखनऊ, दिनांक 23 सितम्बर 2020

1. आबकारी विभाग की संपूर्ण कार्य प्रणाली को पी.ओ.एस. मशीनों सहित आनलाइन किये जाने हेतु एण्ड टु एण्ड सोल्युशन एक ही सेवा प्रदाता के माध्यम से लिये जाने का निर्णय लिया गया। इस हेतु परामर्शदाता के रूप में अर्नस्ट एण्ड यंग एल.एल.पी., गोल्फ व्यू, कारपोरेट टावर-बी, सेक्टर-42, सेक्टर रोड, गुरूग्राम का चयन किया गया। तद्क्रम में नियमानुसार चयनित परामर्शदाता द्वारा तैयार रिक्वेस्ट फाॅर प्रपोजल (आर.एफ.पी.) पर पूर्व में मा. मंत्रि परिषद के अनुमोदन उपरांत निर्गत किया गया।
2. चयनित संस्थाओं एसिस साइबर नेटिक्स प्रा.लि. को ट्रांजेक्शन दर जी.एस.टी. सहित प्रति बोतल 0.293 पैसे भुगतान किया जायेगा। चयनित संस्था द्वारा उपरोक्तानुसार निर्धारित दरों के जी.एस.टी. आंकलन एवं राउन्ड आॅफ किये जाने के सम्बन्ध में भुगतान किये जाने की तिथि पर तत्समय प्रचलित जी.एस.टी. की दर से सकल भुगतान राशि अथवा इन वाइस में अंकित वैल्यू आॅफ सप्लाई पर जी.एस.टी. की गणना की जायेगी।
3. सेवा प्रदाता को वास्तविक भुगतान फुटकर दुकानों में स्थापित पी.ओ.एस. मशीनों से स्कैन की गयी बोतलों की संख्या के आधार पर शासनादेशों द्वारा अनुमोदित प्रक्रिया के अनुसार किया जायेगा। आर.एफ.पी. के स्कोप आफ वर्क में सभी दुकानों पर पी.ओ.एस. मशीनों की आपूर्ति, सम्पूर्ण साफ्टवेयर का विकास, क्लाउड सर्वर, कम्प्यूटर टैब की आपूर्ति एवं 5 वर्ष संचालन एवं अनुरक्षण का दायित्व भी है।
4. आबकारी विभाग की सम्पूर्ण काय प्रणाली को पी.ओ.एस. मशीनों सहित आॅनलाइन किये जाने के क्रम में ओएसिस साइबर नेटिक्स प्रा. लि. को सिस्टम इंटीग्रेटर     (एस.आई.) हेतु चयन किये जाने का निर्णय मा. मंत्रि परिषद द्वारा लिया गया है।
5. आर.एफ.पी. में निर्धारित भूमिका एवं दायित्व के समुचित रूप से निर्वहन हेतु प्रोजेक्ट मैनेजमेन्ट कन्सलटेन्ट की नियुक्ति नियोजन विभाग द्वारा निर्गत शासनादेश दिनाॅंक 25-09-2018 में विहित प्रक्रिया का पालन करते हुए नियमानुसार पृथक से सुनिश्चित की जायेगी।
6. उपर्युक्त वर्णित व्यवस्था से राज्य सरकार के राजस्व संवर्धन, अवैध मदिरा के कारोबार पर रोक आदि लाभ होंगे। राज्य सरकार के राजस्व संग्रह में वृद्धि होने से अन्य जनहितकारी सेवाएं एवं सुविधायें दिया जाना सम्भव होगा तथा मदिरा के निष्कासन एवं बिक्री में पारदर्शीता स्थापित होगी।

कोविड-19 महामारी की रोकथाम हेतु किये गये देशव्यापी लाॅकडाउन के कारण आबकारी नीति 2020-21 के प्राविधानांे के अनुपालन में उत्पन्न कठिनाइयों के निवारण के संबंध में
1. देशी मदिरा की फुटकर दुकानें जो कन्टेनमेंट जोन में स्थित होने के कारण प्रभावित रहीं उन्हें माह जून, जुलाई एवं अगस्त, 2020 हेतु निर्धारित एम.जी.क्यू. को उठाने की अनिवार्यता से छूट प्रदान किये जाने एवं जो कोविड-19 महामारी के कुप्रभावों के कारण माह जून, जुलाई एवं अगस्त, 2020 में निर्धारित      एम.जी.क्यू. का उठान नहीं कर सकी हैं, को कम उठायी गयी मात्रा का उठान माह अक्टूबर, 2020 तक कर लिये जाने की अनुमति प्रदान किया गया।
2. विदेशी मदिरा, बियर की ऐसी दुकानें और माडल शाप्स जो माह जून, 2020 के निर्धारित राजस्व के समतुल्य निकासी नहीं ले सकीं उन दुकानों को कम उठाई गयी निकासी में सन्निहित राजस्व से छूट प्रदान किये जाने एवं जो कन्टेनमेंट जोन में स्थित होने के कारण प्रभावित रहीं उनको माह जुलाई 2020 एवं अगस्त 2020 हेतु निर्धारित राजस्व के समतुल्य निकासी लिये जाने की अनिवार्यता से छूट प्रदान किया गया।
3. समस्त बियर की दुकानों एवं माॅडल शाॅप को वित्तीय वर्ष के द्वितीय त्रैमास में निर्धारित राजस्व के सम्तुल्य बियर के निकासी लिये जाने की अनिवार्यता से छूट प्रदान किये जाने एवं ऐसी विदेशी मदिरा एवं माॅडल शाॅप्स जो द्वितीय त्रैमास में निर्धारित राजस्व के सम्तुल्य विदेशी मदिरा की निकासी नहीं ले सकी उन दुकानों को कम उठान एवं निकासी को बिना किसी दण्ड दिसम्बर माह के अन्त तक उठान की अनुमति प्रदान किया गया।
4. अर्द्धसैनिक बलों यथा भारत-तिब्बत सीमा पुलिस कैन्टीनों एवं यूनिटों को भी सैनिक बलों की भाॅति एफ.एल.-9 अनुज्ञापन (रियायती रम के अतिरिक्त विदेशी मदिरा की फुटकर बिक्री हेतु) अनुमन्य किये जाने का प्रस्ताव है।

उत्तर प्रदेश विदेशी मदिरा को बोतलो में भरने की (चैबीसवां संशोधन) नियमावली, 2020 प्रख्यापित किए जाने के सम्बन्ध में
1. वर्तमान वित्तीय वर्ष में विदेशी मदिरा की विभिन्न ब्राण्डों की मांग निरन्तर बढ़ रही है तथा आगामी वर्षों में भी और अधिक मांग होने की संभावनाएं हैं। मांग के अनुरूप आपूर्ति को सुचारू रूप से बनाये रखने हेतु राजस्व अभिवृद्धि के दृष्टिकोण से उत्तर प्रदेश विदेशी मदिरा को बोतलों में भरने की नियमावली के कतिपय प्रस्तरों में संशोधन का निर्णय लिया गया।
2. अन्य राज्य के बाटलिंग प्लान्ट के लाइसेंस धारक को भी राज्य की आसवनियों में एफ.एल.-3 ए लाइसेंस के अन्तर्गत विदेशी मदिरा की बोतलों में भरने के लिए लाइसेंस प्रदान किये जाने का निर्णय लिया गया। अन्य राज्य के बाटलिंग प्लान्ट के लाइसेंस धारक बाटलिंग इकाई की वार्षिक कारोबार व्यापारावर्त    रू.150 करोड़ (राजस्व एवं प्रतिफल शुल्क सहित) से कम न हो। बाटलिंग इकाई की वार्षिक उत्पादन क्षमता पाॅंच लाख केसेज से कम न हो तथा बाटलिंग इकाई का कारोबार कम से कम 03 राज्यों में हो, जिसमे प्रत्येक की जनसंख्या एक करोड़ से कम न हो। प्रदेश के पी.डी.-33 लाइसेंस धारकों को एफ.एल.-3 लाइसेंस स्वीकृत किये जाने के दिनांक से 01 वर्ष के भीतर पेय आसवनी अधिष्ठापित करना होगा की व्यवस्था को परिवर्तित कर एफ.एल.-3 लाइसेंस स्वीकृत किये जाने के दिनांक से 02 वर्ष के भीतर रू.25/- प्रति   के.एल. स्वीकृत क्षमता के आधार पर जमा करके पेय आसवनी अधिष्ठापित करना होगा का प्राविधान पारित किया गया।
3. आसवनी के टैंकों में अल्कोहल को मापने हेतु पुरानी पद्धति के प्रचलित मापक यंत्रों तथा बोतल भराई के उपरान्त बोतलों की गणना हेतु यथा उपयुक्त स्थान पर आधुनिक इलेक्ट्रानिक उपकरण लगाये जाने हेतु व्यवस्था किये जाने के प्राविधान नियमावली में जोड़े जाने का प्रस्ताव है, जो राज्य सरकार की पूर्वानुमति से आबकारी आयुक्त द्वारा यथासमय लागू किये जायेंगें।
4. विदेशी मदिरा बाटलिंग प्लान्ट में मदिरा के आयतन तथा तीव्रता को मापने हेतु इलेक्ट्रानिक उपकरण लगाना तथा अनुरक्षण करने का निर्णय लिया गया। मास फ्लोमीटर के डाटा के आधार पर विदेशी मदिरा की मात्रा व तीव्रता का अंकन किया जाएगा, जो एस.ओ.पी. पद्धति पर आधारित होगा।  

उत्तर प्रदेश देशी मदिरा को बोतलो में भरने की नियमावली, 2020 प्रख्यापित किए जाने के सम्बन्ध में
1. प्रदेश में कई ऐसी आसवनियां है जिनकी पेय क्षमता स्वीकृत है परन्तु उनका समुचित उपयोग नहीं हो पा रहा है। ऐसी भी इकाईयां है, जिनकी मांग इनकी क्षमता से अधिक है। ऐसी इकाईयों को अपना उत्पाद किसी अन्य आसवनी जहाॅ पर क्षमता उपलब्ध है वहां बाटलिंग करने हेतु कोई व्यवस्था नही है, जबकि ऐसी व्यवस्था विदेशी मदिरा व बीयर के लिए उपलब्ध है। बदलते परिदृश्य में देशी मदिरा के उत्पाद को बोतलों में आपूर्ति सुव्यवस्थित करने की दृष्टि से देशी मदिरा की बोतल भराई प्रक्रिया को विनियमित किया जाना आवश्यक है, जिसके लिए देशी मदिरा की बोतलों में भरने की नियमावली, 2020 को प्रख्यापित किये जाने का निर्णय लिया गया।
2. प्रदेश के आसवक एवं पी.डी.-33 लाइसेंस धारण करने वाली ऐसी कम्पनी या इकाई जिसका न्यूनतम 50 करोड़ रूपये का निवेश तथा न्यूनतम 40 के.एल. प्रतिदिन की क्षमता हो, को 25 लाख रूपये की बैंक प्रत्याभूति सहित शपथपत्र द्वारा यह आश्वासन प्रतिबद्धता प्रदान करने पर की उसे स्प्रिट की बोतल भराई हेतु लाइसेंस स्वीकृत किये जाने के दिनांक से 02 वर्षों के भीतर स्वीकृत क्षमता का  रू.25 प्रति कि.ली. जमा कर पेय आसवनी अधिष्ठापित कर लेगा, तदनुसार लाइसेंस स्वीकृति का प्राविधान किया गया।
3. दो लाख रूपये की लाइसेंस फीस का संदाय किए जाने पर वर्ष या उसके आंशिक भाग के लिए प्रपत्र सी.एल.बी.-1 (उत्तर प्रदेश में स्थापित अथवा स्थापित होने वाली आसवनी हेतु) में लाइसेंस प्रदान किया जा सकता है। पाँच लाख रूपये की लाइसेंस फीस का संदाय किए जाने पर वर्ष या उसके आंशिक भाग के लिए प्रपत्र सी.एल.बी.-2 (उत्तर प्रदेश में अथवा उत्तर प्रदेश के बाहर स्थापित आसवनी को उत्तर प्रदेश में स्थापित किसी अन्य आसवनी में देशी मदिरा की भराई हेतु) में लाइसेंस प्रदान किया जा सकता है। परन्तु यह कि प्रपत्र सी.एल.बी.-2 में नये लाइसेंस की स्वीकृति हेतु फ्रेंचाइजी फीस रू.5,00,000/- (पाॅंच लाख) वर्ष या वर्ष के आंशिक भाग के लिए सदेय होगी, का प्राविधान प्रस्तावित है। ट्रैक एण्ड ट्रेस संबंधी समस्त आवश्यक व्यवस्थाओं की यथा बारकोड/क्यू.आर. कोड आदि चस्पा किये जाने की अनिवार्यता का प्राविधान किया गया।
4. अनुमन्य सीमा से अधिक छीजन पर प्रतिफल शुल्क की वसूली का प्राविधान प्रस्तावित है। प्रपत्रों को आसवनी में भी अनुरक्षित किये जाने तथा प्रतिदिन आबकारी विभाग द्वारा अभिहित पोर्टल पर अपलोड किये जाने का प्राविधान प्रस्तावित है। उत्तर प्रदेश (विदेशी मदिरा को बोतलों में भरने की) नियमावली, 1969 (यथा संशोधित) के अन्य सुसंगत एवं आवश्यक प्राविधान किया गया।
5. कोई आसवक, बोतल में भरी गई स्प्रिट के लेबलों पर आबकारी आयुक्त का अनुमोदन प्राप्त करने के पश्चात् अपना ब्राण्ड नाम लिखने का हकदार होगा एवं आबकारी आयुक्त की विशेष अनुज्ञा के अधीन के सिवाय और उसके अनुसार रंगना, समिश्रण करण (ब्लेडिंग), सुवासित करना या तीव्रतावरोह करना निषिद्ध होगा, का प्राविधान प्रस्तावित है। बॉटलिंग इकाई ठोस कचरे के पुनर्चक्रण और प्रबंधन के लिए ऐसी समस्त व्यवस्थाएं करेगा जैसा कि ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 में विहित किया गया है, का प्राविधान किया गया।


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