अन्नदाता को हर बार बनाया जाता उत्पीडऩ का शिकार : सपा*






सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष के निर्देश व प्रदेशीय आह्वान पर राज्यपाल को भेजा ज्ञापन*

ललितपुर। प्रदेश के किसानों की दिन-प्रतिदिन बद से बदत्तर होती हालत पर गहरी चिन्ता व्यक्त करते हुये समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के निर्देश व प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल के आह्वान पर पूरे प्रदेश में जिला मुख्यालयों से प्रदेश की महामहिम राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन भेजे गये। इसी क्रम में ललितपुर से समाजवादी पार्टी जिलाध्यक्ष तिलक यादव एड. के नेतृत्व में महामहिम राज्यपाल को ज्ञापन भेजा गया।

ज्ञापन में बताया गया कि केन्द्र और प्रदेश की भाजपा सरकारों की नीतियों से किसान और श्रमिकों के हितों को गहरा आघात लग रहा है। इन नीतियों से कारपोरेट घरानों को ही फायदा होगा जबकि किसानों और श्रमिकों की बदहाली और बढ़ेगी। कृषि और किसान के साथ श्रमिक ही कठिन समय देश की अर्थ व्यवस्था को सम्हालता है पर अब अन्नदाता को ही हर तरह से उत्पीडऩ का शिकार बनाया जा रहा है। यदि समय रहते कृषि और श्रमिक कानूनों को वापस नहीं लिया गया तो प्रदेश में खेती बर्बाद हो जाएगी और श्रमिक बंधुआ मजदूर बनकर रह जाएंगे। किसानों के सम्बंध में भाजपा सरकारों का रवैया पूर्णतया अन्यायपूर्ण है। वह खेतों से किसानों का मालिकाना हक छीनना चाहती है। इससे एमएसपी सुनिश्चित करने वाली मंडिया धीरे- धीरे खत्म हो जाएंगी। किसानों को फसल का लाभप्रद तो निर्धारित उचित दाम भी नहीं मिलेगा। फसलों को आवश्यक वस्तु अधिनियम से बाहर किए जाने से आढ़तियों और बड़े व्यापारियों को किसानों का शोषण करना आसान हो जाएगा। सच तो यह है कि लम्बे संघर्ष के बाद किसानों को जो आजादी मिली थी, कांट्रैकट खेती से वह देर सबेर फिर पुराने हाल में लौट आएगा और अपनी ही खेती पर मजदूर हो जाएगा। तंगहाली में किसान आत्महत्या के लिए विवश होगा। पिछले पांच वर्षों में हजारों किसान अपनी जान गंवा बैठे हैं। गन्ना किसानों का अभी तक 13 हजार करोड़ रूपया बकाया है। किसान को फसल की लागत से डयोढ़ी कीमत देने, आय दुगनी करने और सभी कर्जे माफ करने के वादे जब हवा में रह गए तो भाजपा नेतृत्व के किसानों के समर्थन में दिए गए भाषणों पर कौन भरोसा करेगा? प्रदेश में अन्ना पशु किसानों की फसल बर्बाद कर रहे हैं। खेत मालिक चौकीदार बनकर रात- रात भर खेत की रखवाली करते हैं। सड़कों पर इनके कारण दुर्घटनाएं होती रहती हैं। सरकार इनकी रोकथाम के लिए कुछ नहीं कर रही है। भाजपा सरकार की नीति देश की सम्पदा को निजी क्षेत्रों में सौप देने की है। उसकी निजीकरण के प्रति दुराग्रह के चलते रोजगार की सम्भावनाएं धूमिल हो चली है। कोरोना संकट के दौर में लाखो श्रमिकों का पलायन हुआ। लॉकडाउन ने उनकी नौकरियां छीन ली। संयुक्त राष्ट्रीय संघ के अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की रिपोर्ट में संकेत है कि कोरोना काल में 40 करोड़ रोजगार खत्म हो सकते हैं। श्रम मंत्रालय का अनुमान है कि प्रदेश में 14.62 लाख की संख्या नौकरी मांगने वालो की है कृषि अध्यादेश के बाद भाजपा सरकार श्रमिक विरोधी औद्योगिक सम्बंध संहिता-2020 विधेयक ले आई है। श्रमिक कानून में बदलाव के बाद तो श्रमिकों का शोषण करने का पूरा अधिकार फैक्ट्री मालिकों को मिल जाएगा। अभी तक 100 कर्मचारी वाले औद्यौगिक प्रतिष्ठान बिना सरकारी मंजूरी लिए कर्मचारियों को हटा नहीं सकते थे। नई व्यवस्था में 300 से ज्यादा कर्मचारियों वाली कम्पनी सरकार से मंजूरी लिए बिना जब चाहे कर्मचारियों को नौकरी से निकाल बाहर कर सकती है। नए प्राविधान से अब बड़े फैक्ट्री मालिकों के हाथ में छंटनी का ऐसा हथियार आ गया है जिसका दुरूपयोग करके और दबाव डालकर एक तो कर्मचारी यूनियन ही बनने नहीं देंगे, दूसरे अपने कर्मचारियों को छंटनी का जब तब भय दिखाकर उन्हें बंधुआ मजदूर बनाकर रखने को स्वतंत्र होंगे। भाजपा कर्मचारियों के हितों की हत्या कर मालिकों को मलाई बांटने का काम कर रही है। भाजपा किसानों और श्रमिक वर्ग का मनोबल तोडऩे, उन्हें असहाय बनाने की साजिश में जुट गई है। इससे साबित हो गया है कि किसानों को फायदा पहुंचाने और श्रमिकों को रोजगार देने के उसके दावे सिर्फ सफेद झूठ कानूनों को वापस लिया जाना चाहिए। ऐसी झूठी और प्रपंच रचने वाली सरकार के खिलाफ जनता में भारी आक्रोश है। समाजवादी पार्टी ने महामहिम राज्यपाल से किसानों और श्रमिकों के हितों की सुरक्षा के लिए आप कृषि विधेयक तथा श्रम कानूनों को वापस लेने न करने के निर्देश दिये जाने की मांग उठायी है। ज्ञापन देते समय पूर्व विधायक रमेश कुशवाहा, पूर्व विधायक फेरनलाल अहिरवार, जिला महासचिव कृष्ण स्वरूप निरंजन, फूलसिंह यादव, ज्योति सिंह लोधी, एड. महेन्द्र यादव, पूर्व जिलाध्यक्ष महेन्द्र सिंह यादव, अमर सिंह, विजय सिंह, नैपाल सिंह, जगदीश कुशवाहा, रामदास श्रोतीय, नीलेश झां, सुरेन्द्र पाल सिंह, रामजीवन, एड. महेन्द्र यादव जिजयावन, राजेश यादव, रहीश सिंह, गिरधारी यादव, हाजी रिजवान, शिवम मिश्रा, सेतू यादव, परवेज पठान, पंकज श्रीवास, रामान सिंह, प्रताप सिंह, रोहित यादव, मुकेश यादव, अभिषेक रजक, अरविन्द अण्डेला, विशाल पारोचे, अनुराग यादव, कोमल सिंह चौधरी, भानु प्रताप सिंह, रामरतन यादव आदि मौजूद रहे।


 

 




 




 



 



इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

सबसे बड़ा वेद कौन-सा है ?

कर्नाटक में विगत दिनों हुयी जघन्य जैन आचार्य हत्या पर,देश के नेताओं से आव्हान,