बच्चों की स्वास्थ और अच्छी परवरिश के अपनायें गर्भनिरोधक
बच्चों की स्वास्थ और अच्छी परवरिश के अपनायें गर्भनिरोधक
आपको यह स्लोगन खूब याद होगा जगह-जगह इसके होर्डिंग भी लगे थे और रेलवे से जब किसी गंतव्य स्थान को जाते थे तो पूरे ट्रैक पर लिखे थे दो या तीन बच्चे होते हैं अच्छे उसके बाद धीरे-धीरे यह दो या तीन बच्चों से आ गया एक या दो बच्चे लड़का हो या लड़की दोनों ही है अच्छे जी हां आप हम बात कर रहे हैं आज विश्व गर्भ निरोधक दिवस की ।विश्व गर्भनिरोधक दिवस हर साल 26 सितंबर को मनाया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ-साथ दुनिया भर में 2007 से विभिन्न चिकित्सीय संस्थान और गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) भी इस दिन को अपना समर्थन देते हैं। विश्व गर्भनिरोधक दिवस का मकसद गर्भनिरोधक के बारे में लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाना है और साथ ही युवाओं को उनके यौन और प्रजनन स्वास्थ्य को लेकर बेहतर विकल्प चुनने के लिए सक्षम बनाना है।
भारत चीन के बाद दूसरा जनसंख्या में बड़ा देश है तो 1952 में ही परिवार नियोजन कार्यक्रम को लागू कर दिया गया था। लेकिन 1977 में नई बर्थ कंट्रोल पॉलिसी जनता पार्टी सरकार ने लागू की। बाद में इसका नाम बदलकर परिवार कल्याण कार्यक्रम कर दिया।गर्भनिरोधक साधनों के उपयोग से अनचाहे गर्भ से बचा जा सकता है। अनचाहे गर्भ से जहां माताओं को बच्चों के बेहतर देखभाल में मुश्किलें आती हैं, वहीं इससे माता व शिशु के स्वास्थ्य प्रभावित होने के ख़तरे भी बढ़ जाते हैं।
हम सभी जानते हैं एक अच्छे स्वास्थ और अच्छी परवरिश के लिए इस महंगाई के जमाने में अधिक बच्चों का पालना कितना मुश्किल है साथ ही जनसंख्या के अधिक होने से सरकार को भी अनेक उपाय में परेशानियों का सामना करना पड़ता है इसीलिए गर्भनिरोधक साधनों से अनचाहे गर्भ से बचा जा सकता है इससे ना केवल माताएं व पिता अपने बच्चों की बेहतर देखरेख कर सकते हैं बल्कि अच्छी उच्च पढ़ाई के साथ खुद भी स्वस्थ जीवन जी सकते है ।छोटा परिवार सुखी परिवार के नियम को का आनंद ले सकते हैं
लोकस्वर के अध्यक्ष राजीव गुप्ता कहते हैं कि छोटे परिवार से ना केवल हम अपने परिवार का अच्छी देखभाल कर सकती हैं बल्कि देश को भी विकासशील होने में बहुत बड़ी मदद कर सकते हैं । समस्त समाजिक संस्थाओं को और स्कूल कॉलेजों में इस प्रकार की शिक्षा देनी चाहिए की हम अपने परिवार के साथ देश की भी सेवा करें और सरकार के दो बच्चों वाले नियम का पालन करें