भाई ने भाई के तोड़े

अरमानों को रहे सँजोते, जीवन भर अपने


भाई ने भाई के तोड़े, क्षण भर में सपने।


नफरत की दीवार खड़ी कर


हर       सुख    छीना      है


माँ क्या आँसू पोछे उसका


आँचल       झीना         है।


जिन आँखों से प्यार बरसता


कमियाँ      खोज        रहीं


चिंता  भूखे  ना   सोयें  अब


रोटी       छीन           रहीं।


आर्शीवाद हाथ रख देते, नहीं दिया रखने


भाई ने भाई के तोड़े, क्षण भर में सपने।


सारा  ध्यान  ज्ञान  भी  भागा


तम    दुख    जब      आया


सत्य   छिपाना  झूठ  बताना


यह   भ्रम    ही        भाया।


मात-पिता ही न्याय छोड़ जब


कुपंथ         पग          धरते


अच्छा बुरा भोग दोनों    तब


संतति        ही           भरते


मन वाणी झूठी बैठे फिर, माला को जपने


भाई ने भाई के तोड़े क्षण भर   में   सपने।


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