बुन्देली लोकगायकी के सूरज पं. देशराज पटेरिया जी का हृदयाघात से आज तड़के स्वर्गवास
अपनी लोकगायन की धुन पर सभी को प्रफुल्लित कर देने वाले प्रसिद्ध बुन्देली लोकगायकी के सूरज पं. देशराज पटेरिया जी का हृदयाघात से आज तड़के स्वर्गवास हो गया ! उनके लोकगीत और भजन भारत भर में प्रसिद्ध हैँ.आल्हा -ऊदल और लाला हरदौल के जीवन पर रचे गए वीररस ,श्रृंगार रस और भक्ति रस के लोकगीत दुनिया भर में बड़े चाव से सुने जाते हैं.
एक बार मैंने उनसे पूंछा कि दादा आपने कभी फिल्मों में गाने का ट्राई नहीं किया। वे वही बात बोले जो एक जोगी या कलाकार ही बोल सकता है। उन्होंने कहा- "गाना गात में कोउ ताली नई बजाए और वाह-वाह नई करे तो मज़ा नई आत और फ़िल्मन में कया घरे हो, असली मज़ा तो गाबे को ठेठ बुंदेली गांव के कार्यक्रम में आत। ज़ब लरका गाना सुनत-सुनत उचकन लगत"
बुंदेलखण्ड के यश को अपनी आवाज से पूरी दुनिया को बताने वाले लोकप्रिय गायक " देशराज पटैरया" को अश्रुपूरित श्रद्धांजली। बुंदेली लोकगायकी का एक युग समाप्त हुआ।