गफ़्तगु (नज़्म)
एक तन्हा क़ोफ्त लम्हा
किताबों की सलवटों में दबा रखा है
मुर्दा पुरानी यादों को वहीं सजा रखा है
गुफ़्तगू-मौन जो चली हमारे बीच कभी
उन्हीं मौन फ़रियाद का सिलसिला
अब भी जारी रखा है।
एक तन्हा क़ोफ्त लम्हा
किताबों की सलवटों में दबा रखा है
मुर्दा पुरानी यादों को वहीं सजा रखा है
गुफ़्तगू-मौन जो चली हमारे बीच कभी
उन्हीं मौन फ़रियाद का सिलसिला
अब भी जारी रखा है।