हे प्रभु!जीवन है जब तक,सही त्वचा,कान रहे
हे प्रभु!जीवन है जब तक,सही त्वचा,कान रहे।
निर्मल नासिका,नैन एवं मीठी,मधुर जबान रहे।
अनमोल पंच ज्ञानेन्द्रियाँ,सर्वदा गौरव वान रहे।
निरोग रहें ये तब तक,तन में जीवन व जान रहे।
हाथ,पैर,मल,मूत्र द्वार,और वाणी की शान रहे।
पंच कर्मेंद्रियों को सदा,स्वस्थता का वरदान रहे।
एकादश इंद्री,मन में नहीं,कभी कोई शैतान रहे।
पावन रहें सकल इंद्रियां,घर में ज्यों मेहमान रहे।