मेरी भाषा
मेरी भाषा
मेरी अपनी हिन्दी भाषा,
नमन इसे बारम्बार है।
मिश्री सी मीठी मनभावन,
महिमा बड़ी अपरम्पार है।।
स्वर संधान का उजियारा,
समझ अनपढ़ के भी आता।
हिन्दी ही है प्यारी भाषा,
शास्त्रीय संगीत बतलाता।।
वेद शास्त्र बने हितकारी,
व्याकरण कौशल सिखलाती।
सब जगह यह सम्मान दिलाती,
मातृ भाषा जानी जाती।।
राज दरबार विदेश में,
सब रहे इसके आभारी।
भारत मां का बच्चा-बच्चा,
बन गया आज आज्ञाकारी।।
©®
रामबाबू शर्मा,राजस्थानी,दौसा(राज.)