पाॅच वर्षीय संविदा प्रस्ताव पर भड़के कर्मचारी, शिक्षक,अगले माह विधानसभा घेराव

कर्मचारी शिक्षक अधिकार एवं पेंशनर्स समाज का उत्पीडन कर रही सरकार
लखनऊ,15सितम्बर। कर्मचारी शिक्षक अधिकार एवं पेंशनर्स अधिकार मंच ने सरकारी नौकरी की शुरुआत में पांच वर्ष की संविदा के प्रस्ताव पर आक्रोश जाहिर करते हुए कहा कि सरकार निरन्तर ऐसे कदम उठा रही है जिससे कर्मचारी- शिक्षक वर्ग को आर्थिक तथा मानसिक पीड़ा का समाना करना पड़ रहा है। कर्मचारी शिक्षक समाज को नकारा घोषित कर सरकार कर्मचारी शिक्षक संवर्ग की सामाजिक प्रतिष्ठा से भी खिलवाड़ कर रही है। ऊर्जा सहित कई विभागों को निजी करण की ओर ले जाने के लिए सरकार इस तरह के दमनात्मक कदम उठा रही है। मंच ने सरकार के सामने पाॅच सवाल भी रखे है।  इस सम्बंध में मंच की वीडियों कान्फेसिंग में भड़क कर्मचारी शिक्षक नेताओं ने सरकार के इन मनमाने रवैये के खिलाफ अक्टूबर में विधानसभा घेराव से लेकर प्रान्त व्यापी आन्दोलन का निर्णय लिया है। विडियों कांफेसिंग के दौरान सुशील त्रिपाठी, इं.हरिकिशोर तिवारी,डा.दिनेशचन्द्र शर्मा, यादवेन्द्र मिश्रा,सतीश कुमार पाण्डेय ने महत्वपूर्ण सुझाव रखें।
मंच के नेताओं ने कहा कि सरकारी नौकरी की शुरुआत में पांच वर्ष की संविदा के प्रस्ताव बेरोजगारों में डर और उत्पीड़न जैसे प्रभाव रोजगार मिलने से पहले उत्पन्न हो गए है। सरकार के इस प्रस्ताव को युवा और कर्मचारी विरोधी करार देते हुए मंच के नेताओं ने सरकार को 2022 के चुनाव याद दिलाया है। उनका दो टूक कहा कि युवाओं का आत्मसम्मान नहीं छीनने देंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि समूह ‘ख’ व ‘ग’ की भर्ती प्रक्रिया में बदलाव किया जा रहा है, जिससे सरकारी नौकरियों में भी ठेका प्रथा लागू हो जाएगी। परीक्षा के जरिये चुने गए अभ्यर्थी पांच वर्ष की कठिन संविदा प्रक्रिया में छंटनी से जब बच पाएंगे, तभी पक्की नौकरी मिल पाएगी। संविदा काल में कर्मचारी पूरी तरह बंधुआ बनकर रहेगा। जले पर नमक छिड़क कर युवाओं को चुनौती दी जा रही है। गुजरात में यही फिक्स पे सिस्टम है। वर्षों सैलरी नहीं बढ़ती, परमानेंट नहीं करते। यही नही उनका आरोप यहाॅ तक है वर्तमान समय में ही आउटसोर्सिग के माध्यम से काम कर रहे 90 प्रतिशत ठेका कार्मिकों को सरकार द्वारा निर्धारित मानदेय से 20 से 30 प्रतिशत की कटौती कर ठेकेदार भुगतान कर रहा है।
बैठक में कहा गया कि निजीकरण, वेतन,भत्तों मे कटौती, पुरानी पेंशन बहाली,आउटसोर्सिंग, संविदा बंद कर नियमित नियुक्तिउत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कोरोनाकाल महामारी के दरमियान ही कर्मचारियों के शोषण करने का एक नया तरीका निकाल लिया है। कर्मचारी की भर्ती के बाद 05 वर्ष तक हर 06 महीने में समीक्षा की जाएगी। बैठक में कहा गया कि ै जो कर्मचारी नियुक्त होगा उसको 05 वर्ष तक मानदेय आउसोर्सिंग निर्धारित वेतन मिलेगा वह कर्मचारी काम करेगा। जो कर्मचारी नया नियुक्त होगा वह  एकाउंटिंग से लेकर मॉनिटरिंग का काम भी देखेगा ऐसे में वह अधिकारियों के दबाव में रहेंगा और उन नियमों का पालन किसी कीमत पर अधिकारियों से नहीं करा पाएगा। क्यांेकि अधिकारी जैसा चाहे वैसा उनको लिखना अथवा प्रस्तुत करना उनकी मजबूरी होगी। क्योंकि हर 06 महीने में नौकरी से निकाला जाएगा। सरकारी कर्मचारी के प्रत्येक पद की कार्मिक नियमावली है। ऐसे में यह प्रस्ताव कर्मचारियों के मौलिक अधिकार हनन की श्रेणी में नही आता। ऐसा लगाता है कि सरकार बेरोजगारी की फौज का मजाक उड़ाते हुए उन्हंे 05 साल बंधुआ मजदूर बनाना चाहती है। मानलो सरकार बदल जाएगी फिर दूसरी सरकार नए नियम लाकर उनको नौकरी से बाहर कर देगे। यह भी वह सरकार अपने समर्थकों को नौकरी देने का प्रयास करेंगे यह पूरी तरह से बेरोजगार समाज एवं कर्मचारी समाज का मजाक है। कान्फेसिंग के दौरान कहा गया कि इससे पूर्व वर्षो से मिल रहे भत्तों में कटौती, कर्मचारियेां की 50 वर्ष की सेवा के बाद सेवानिवृत्ति और पेंशन जैसे मामलों में सरकार कर्मचारियों और शिक्षकों का अहित कर चुकी है। ऐसी स्थिति में कर्मचारी और शिक्षक समाज के पास आन्दोलन के अलावा कोई रास्ता नही बचता।

इन कर्मचारी शिक्षक नेताओं की भागीदारी
मुख्य रुप से सुशील त्रिपाठी प्रदेश अध्यक्ष कलेक्ट्रेट एसो. डॉक्टर दिनेश चन्द्र शर्मा प्रदेश अध्यक्ष प्राथमिक शिक्षक संघ हरि किशोर तिवारी प्रदेश अध्यक्ष राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद सतीश पांडे प्रदेश अध्यक्ष राज्य कर्मचारी महासंघ यादवेन्द्र मिश्रा अध्यक्ष सचिवालय संघ, राकेश त्यागी अध्यक्ष डिप्लोमा इंजीनियर महासंघ बाबा हरदेव सिंह पूर्व अध्यक्ष पीसीएस एसोसिएशन, एस.के. सिंह अध्यक्ष अधिकारी महापंचायत, निखिल शुक्ला अध्यक्ष तहसीलदार एसो.,रामराज दूबे अध्यक्ष चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी महासंघ वीरेन्द्र चैहान अध्यक्ष यूनिवर्सिटी शिक्षक संघ एन.एस. नेगी अध्यक्ष सांख्यिकी महासंघ, चेत नारायण सिंह अध्यक्ष माध्यमिक शिक्षक संघ, बृजेश श्रीवास्तव महामंत्री लेखपाल संघ अवधेश मिश्रा अध्यक्ष सीनियर बेसकि शिक्षक संघ प्रेम कुमार सिंह अध्यक्ष स्वास्थ्य विभाग मिनि. एसो. आदि संगठनों ने शिवबरन सिंह यादव राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद वीडियों कान्फेसिंग में अपने विचार रखे।


मंच ने किए पाॅच सवाल
1. मंच ने सरकार से पूछा कि क्या इस तरह की नियुक्ति कर्मचारी सेवा नियमावली के विपरीत नही है।
2. इस बाॅत की क्या गांरटी है कि कर्मचारी पाॅच साल संविदा के बाद नियमित हो जाएग।
3. अगली सरकार उन संविदा कार्मिको रखेगी या नही इसकी क्या गारंटी है।
4. क्या इसी तरह की प्रक्रिया विधायक,सांसद और मंत्री बनने के लिए अपनाई जाएगी।
5. क्या सरकार बता पाएगी नई पेंशन मद में काटी गई धनराशि कितनी है और वह कहाॅ जमा है।


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