------------- जेड सिक्योरिटी पाकर के भी राष्ट्र घात.. ****इंजिनियर अरुण कुमार जैन, ------- महातपस्वी, त्यागी, योगी, गौरव राष्ट्र कहाते हैं, देव, इंद्र कर इनका वंदन, सुख, शांति नित पाते हैं. जिनका दर्शन नव निधि देता, आशीष अनुपम होते हैं, सानिध्य पाकर जड़, चेतन सब, हर्षित, प्रमुदित होते हैं. रंक सा लेकर, तप निष्ठा से राजा हमें बनाते हैं, जिस वसुधा पर ये होते हैं, योगीश्वर भी आते हैं. किंचित दुःख, वेदना इनको, महाप्रलय ले आती है, नवनिधि जातीं, रंक बनातीं, नर्क वेदना लातीं हैं. इनकी सेवा रक्षा करना, सुख, सौभाग्य हमारा है, अंग भंग कर, पीड़ा देकर, क्यों गुरुवर को मारा है? गगन, धरा, सागर मन आँसू, महावेदना कण कण में, कोटि नयन मन सिसक रहे हैं, मर्मान्तक पीड़ा मन में. श्रेष्ठ सुरक्षा, श्रेष्ठ जनों की, देश क्यों नहीं करता है? कातिल, गुंडे, दुर्दान्त दानवों, की यह रक्षा करता है. जिनके अपराधों से होकर, बेबस लाखों रोते हैं, जेड सिक्योरिटी पाकर के भी, राष्ट्रघात वे करते हैं. कैसी अंधी बिषम व्यवस्था, भारत भू पर आयी है? अनाचार, अनीति की नीति, क्यों वसुधा पर छायी है? संभलो, जागो कर्णधार अब, पापों का प्राय