‘राजगीर’ जैन,बौद्ध मत के लोगों के लिए विशेष महत्व का स्थल


प्राकृतिक सौन्दर्य से भरपूर राजगीर वैभवगिरि, विपुलाचल, रत्नगिरी, उदयगिरी और सोनारगिरी नाम के पाँच पहाड़ियों से घिरा हुआ है। ये पहाड़ियाँ करीब 1000 फीट ऊँची हैं,जिन्हें पंच पहाड़ी के नाम से जाना जाता है। ऐतिहासिक तथा पौराणिक महत्व के साथ यह शहर उन प्रमुख शहरों में है।-जो बौद्ध व जैन मतालंबियों दोनेां के लिए पवित्र तीर्थस्थल रहा हें पटना से 105 कि.मी. दक्षिण-पूर्व में स्थित राजगीर 48कि.मी.लम्बी पाँच पहाड़ों की श्रृंखलाओं से घिरा हुआ है। माना जाता है कि रामायण काल में लगवान ब्रहा्रा के पुत्र वसु ने इस भू-भाग को बसाया था। रामायण काल में सइाक नाम वसुमति कहा गया,जबकि जैन ग्रंथों में इसका नाम कशाग्रहपुर था। सभी दिशाओं से पहाड़ियों द्वारा घिरी हुई घाटी में स्थित होने के कारण इसे गिरिवज नाम दिया गया था। महाभारत काल में ब्रहदयपुर के नाम से प्रसिद्ध इस स्थल परसब्राट जरासंघ ने अनेक प्रतिद्वंदी राजाओं को युद्ध में हराकर राजगीर के दुर्ग में बंदी बनाकर रखा था।



कई ऐतिहासिक तथा पौराणिक महत्व के साथ यह शहर उन प्रमुख शहरों में है, जो बौद्ध और जैन मतालंबियों देानों के लिए पवित्र तीर्थस्थल रहा है। गौतम बुद्ध ने यहाँ स्थित गृहकूट पर्वत पर कठोर साधना की थी। उन्हें यह स्थान बड़ा प्रिय था। निर्वाण प्राप्ति के बाद भगवान बुद्ध ने दूसरा औरतीसरा चैमासा राजगीर में ही बिताया था। उनके परिनिर्वाण के बाद प्रथम बौद्ध संघ की बैठक यहीं हुई थी और बुद्ध के संदेशों को पहली बार लिपिबद्ध किया गया था। जैन धर्मग्रंथ जैन काल सूत्र के अनुसार वर्द्धमान महावीर ने 567 ई.पूू. में 14 वर्ष यहाँ शिक्षा व ध्यान में बिताये थे। ज्ञान प्राप्ति के बाद महावीर ने अपना पहला शिष्य यहीं बनाया और यहां स्थित विपुलागिरी पर्वत पर अपना प्रथम प्रवचन दिया था। जैन मत के 20 वें तीर्थकर मुनि सुब्रत का जन्म इसी स्थान पर हुआ था। यही कारण है कि जैन मत के लोगों के लिए राजगीर का विशेष महत्व है। राजगीर छठी सद ई.पू. में मगध साम्राज्य की प्रथम राजधानी थी। राजगीर का निर्माण महान स्थापत्व कलाविद् महागोविन्द ने किया था। ए्रेतिहासिक तथ्य है कि वर्षा ऋतु मंे गृहकूट पर्वत पर गौतम बुद्ध हर साल 3 माह के लिए आते थे और अपने शिष्यों को धर्मोपदेश देते थे। इसी पर्वत पर भगवान बुद्ध ने राजा बिंबिसार को बौद्ध मत की दीक्षा दी थी। गृहकूट पर्वत के सामने स्थित रत्नागिरी पर्वत पर विश्व शांति स्तूप बना हुआ है। सन् 1965 में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति ने विश्व शांति स्तूप का शिलान्यास किया, जो कि 4 साल 7 माहमें बनकर तैयार हुआ था। जापान-भारत सर्वोदय मैत्री संघ द्वारा शांति के प्रतीक के रूप में निर्मित इसका उद्घाटन राष्ट्रपति  वी.वी. गिरि ने सन् 1969 में किया था।



संगमरमर से सुसज्जित विश्व शांति स्तूप के शीर्ष पर चारों ओरविभिन्न मुद्राओं में बुद्ध संघ के अध्यक्ष निचिदासु फुजी की कल्पना का जीता जागता सबूत है। इस स्तूप की ऊँचाई 120 फुट है,जिसके शीर्ष भाग पर 10 फुट ऊँचा कमल कलश स्थापित है।गृहकूट पर्वत से रत्नगिरि पर्वत के बीच रोप-वे संचालित है,जिससे 7 कि.मी. का रास्ता तय कर15 मिनट में पहंुचा जा सकता है। राजगीर में ही स्थित मनियार मठ वस्तुतः एक कुँआ है, जिसके ऊपर एक छोटा जैन मंदिर है। गरम जल के झरने से 1 कि.मी. दूरी पर यह मठ स्थित है। मनियार-मठ को जैन इतिहास में रानी चेलना और शीलभद्र का निर्माण कूप कहा गया है। मनियार मठ को बौद्धकालीन यज्ञ का स्थान भी माना जाता है। यह एक बेलनाकार ईटों की संरचना है।यह स्थान नाग शक्तिभद्र की स्मृति में बना है, जिसके बारे में कहा जाता हे कि जिन्होंने अपना खजाना इसी कुँआ में गड़वा दिया था। सन् 1861-62 में जनरल कनिंधन ने इस स्थल की खुदाई कराइ थी।उत्खनन में कदई मूर्तियाँ भी मिली थी। हिदुग्रंथ महाभारत में राजगृह में मणिनाग के पवित्र आवास का वर्णन है। 



संभवतः यह स्थल महाभारत में वर्णित मणि-नाग का निवास स्थान था और मनियार शब्द प्राचीन मणिमाल से ही विकसित हुआ बताया जाता है। गृहकूट की ओर जाने पर क्षण-गिरि पहाड़ी के आधार की धूर्व की ओर जीवक आम्रवन विहार हैं।मगध के प्रधान गणिका शालबति के पुत्र जीवक ने राजकीय सहायता सेतक्षशिला से चिकित्सा शास्त्र का अध्ययन करमगध के राजवैध बने थे।  राजा बिंबिसार ने जीवक को एक आम्रवन दिया था, जिसमें वे रहते थे,जो जीवक आम्रवन के नाम से जाना गया। जहाँ एक बार गौतम बुद्ध आये थे और उनके जख्म पर जीवक ने पठ्ठी बाँधी थी। कहा जाता है कि उनके चचेरे भाई देवत्त ने ईष्यावश बुद्ध को घायल कर दिया था, जिससे उपचार के लिए वे यहा आये थे। जीवक ने गौतम बुद्ध व संघ को अपना आम्रवन भेंट करके यहां एक विहार का निर्माण किया था।



इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

सबसे बड़ा वेद कौन-सा है ?

कर्नाटक में विगत दिनों हुयी जघन्य जैन आचार्य हत्या पर,देश के नेताओं से आव्हान,