समाजवादी लोहिया वाहिनी की "मासिक बैठक"

समाजवादी पार्टी जिलाध्यक्ष तिलक यादव एड.बताया गया कि केन्द्र और प्रदेश की भाजपा सरकारों की नीतियों से किसान और श्रमिकों के हितों को गहरा आघात लग रहा है। इन नीतियों से कारपोरेट घरानों को ही फायदा होगा जबकि किसानों और श्रमिकों की बदहाली और बढ़ेगी। कृषि और किसान के साथ श्रमिक ही कठिन समय देश की अर्थ व्यवस्था को सम्हालता है पर अब अन्नदाता को ही हर तरह से उत्पीडऩ का शिकार बनाया जा रहा है। यदि समय रहते कृषि और श्रमिक कानूनों को वापस नहीं लिया गया तो प्रदेश में खेती बर्बाद हो जाएगी और श्रमिक बंधुआ मजदूर बनकर रह जाएंगे। किसानों के सम्बंध में भाजपा सरकारों का रवैया पूर्णतया अन्यायपूर्ण है। वह खेतों से किसानों का मालिकाना हक छीनना चाहती है। इससे एमएसपी सुनिश्चित करने वाली मंडिया धीरे- धीरे खत्म हो जाएंगी। किसानों को फसल का लाभप्रद तो निर्धारित उचित दाम भी नहीं मिलेगा। फसलों को आवश्यक वस्तु अधिनियम से बाहर किए जाने से आढ़तियों और बड़े व्यापारियों को किसानों का शोषण करना आसान हो जाएगा। सच तो यह है कि लम्बे संघर्ष के बाद किसानों को जो आजादी मिली थी, कांट्रैकट खेती से वह देर सबेर फिर पुराने हाल में लौट आएगा और अपनी ही खेती पर मजदूर हो जाएगा। तंगहाली में किसान आत्महत्या के लिए विवश होगा। पिछले पांच वर्षों में हजारों किसान अपनी जान गंवा बैठे हैं। गन्ना किसानों का अभी तक 13 हजार करोड़ रूपया बकाया है। किसान को फसल की लागत से डयोढ़ी कीमत देने, आय दुगनी करने और सभी कर्जे माफ करने के वादे जब हवा में रह गए तो भाजपा नेतृत्व के किसानों के समर्थन में दिए गए भाषणों पर कौन भरोसा करेगा? प्रदेश में अन्ना पशु किसानों की फसल बर्बाद कर रहे हैं। खेत मालिक चौकीदार बनकर रात- रात भर खेत की रखवाली करते हैं।



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