सोलह श्रृँगार में सजी दुल्हन

सोलह  श्रृँगार में सजी दुल्हन
सुन्दरता  की मूर्त बनी दुल्हन


माथे पर टीका कानों में बाली
नाक में नथनी पहनी  दुल्हन


लंबे  लंबे काले  केश सजाए
गेसू से गुड़हल बनाए दुल्हन


आँखों को काजल से सजाया
हाथों में  गजरा पहनी दुल्हन


मौन हो घर आँगन को झांके
छोड़ जिसे है जा रही दुल्हन


बाबुल  की आँखों का पानी
नैनों से आँसू बहाती दुल्हन


माँ के आँचल  का थी पल्लू
ममतामयी आंहें भरे दुल्हन


बाल  सखा संग खेली कूदी
पुरानी यादें निहारती दुल्हन


नव जीवन के  नूतन सपने
दिल में प्रेम जगाती दुल्हन


कैसे होंगे जीवन के नायक
मन में डरती सहमी दुल्हन


घरद्वार बारात लाया दुल्हा
ले फेरे डोली  बैठी  दुल्हन


मनसीरत मन में उठें तरंगे
प्रेम बंधन में बंधती दुल्हन


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