उत्तर प्रदेश परिवहन निगम में मार्ग पर बसों में हो रही राजस्व चोरी!!


लखनऊ, उत्तर प्रदेश परिवहन निगम  मार्ग पर बसों में हो रही राजस्व चोरी का खेल लगातार चल रहा है। पूर्व मे इस चोरी पर अंकुश लगानेे एवं भ्रष्टाचार रोकने े के उद्देश्य से  टाटा सूमो को प्रवर्तन वाहन के रूप में प्रयुक्त हेतु क्रय किया गया था और क्षेत्रीय अधिकारियों को स्पष्ट रूप से निर्देश दिए गये थे कि इन वाहनों पर यातायात अधीक्षकों को तैनात किया जाय।  निगम के अधिकांश क्षेत्रों में अधिकारियों द्वारा अपने चहेतों को अर्थात लिपिक श्रेणी के अंतर्गत आने वाले कार्मिकों को प्रवर्तन कार्मिक के रूप में तैनात करते हुए वाहन को अपने निजी स्वार्थ में प्रयोग कराया जा रहा है।  निगम को प्राप्त इनोवा कार  इंटरसेप्टर पर यातायात अधीक्षकों को तैनात करते हुए सीमा निर्धारित कर दी गयी है। पाकेट रूट पर राजस्व की चोरी हो रही है  जिसका फायदा परिचालक उठा रहे हैं। पाकेट रुप पर इंटरसेप्टर पर तैनात यातायात अधीक्षक मार्ग सीमा तय होने के कारण नहीं जा सकता है। निगम की इस नीति से यातायात अधीक्षक पद का औचित्य पर प्रश्न चिन्ह लग रहा है। परिचालकों में रूट पर यातायात अधीक्षक का भय होता है जिसे एक खूंटे। से अर्थात इंटरसेप्टर वाहन पर तैनात कर दिया गया है। जर्ब  भ्रष्टाचार का मामला क्षेत्र में पकड़ा जाता है तो सीधे जिम्मेदारी यातायात अधीक्षक की तय होती है। यह निगम की कैसी नीति है? प्रबंध निदेशक को उत्तर प्रदेश परिवहन निगम  मार्ग पर बसों में हो रही राजस्व चोरी का खेल  रोकने के लिए प्रवर्तन वाहनों पर तत्काल यातायात अधीक्षकों को तैनात कराते हुए क्षेत्र में सघन चेकिंग करानी चाहिए एवं प्रवर्तन वाहन के हो रहे दुरुपयोग को रोकना चाहिएं।


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