विश्व नदी दिवस -मानुष को अंतिम साँस तक करने होंगे नदी बचाने के प्रयास


मानव के जीवन संचार में तीन चीजें हैं जिसके बिना जीवित रहना संभव ही नहीं नामुमकिन है जैसे जल ,अन्न और वायु ।आज विश्व नदी दिवस के अवसर पर हम जल यानी नदियों के विषय में बात करेंगे| विश्व नदी दिवस 2005 से हर साल सितंबर के आखिरी रविवार को नदियों को  शुद्ध रखने के लिए मनाया जाने लगा| भारत सहित तमाम देश और देशों के शहरों में नदी की रक्षा  को लेकर अनेक कार्यक्रम होते हैं| हम सभी जानते हैं कि भारत नदी प्रधान देश है ज्यादातर भारत के शहर नदियों के किनारे ही बसाये गए हैं |देखे मुगल काल में आगरा को यमुना नदी के कारण अपनी राजधानी बनाया । नदियों के सहारे शहर बनाने (बसाने )के पीछे बड़ी सीधी सोच थी| शहर में पीने के पानी के साथ वहां की जलवायु भी हमेशा शुद्ध और स्वच्छ रहेगी इसलिए ज़्यादा तर नदियों के सहारे शहर बसे ।परंतु जो नदियां हमको जीवन देती हैं उन्हीं नदियों को मनुष्य ने अपने स्वार्थ व लापरवाही और आर्थिक लाभ के लिए ना केवल उसका दोहन किया बल्कि उसको प्रदूषित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी । कुछ लालची लोगों ने तो नदी किनारे की जमीनों पर  बहुमंजिल इमारतें तक खड़ी कर दी यह जानते हुए कि वहअसुरक्षित हैं। जो नदियां आज हमें जल के रूप में जीवन देती हैं पेट की आग बुझाने के लिए अन्न उगाने का साधन है बल्कि अनेक लोगों को रोजगार देती है| आप  सभी जानते हैं की ताजमहल यमुना नदी किनारे बसा हुआ है और इसके पीछे वास्तुकार की बहुत दूर की सोच थी कि इससे ना केवल ताजमहल की सुरक्षा होगी बल्कि आने वाले सैलानियों को पीछे से निकलती हुई यमुना देखकर दिल दिमाग को बहुत सुकून देगी और उसका मन बार-बार यहां आने के लिए करेगा परंतु पब्लिक की आदतों और सरकार की लापरवाही से आज जो विशालकाय यमुना जी वह पगडंडी नदी में परिवर्तित हो गई है |उस नदी में नालों के द्वारा शहर का मलवा और कचरा जाता है । पब्लिक द्वारा हर वस्तु हर धार्मिक वस्तु को नदी में प्रभावित किया जाने लगा जिसने आग में घी का काम किया।आज पीने के पानी  समस्या तो उत्पन्न होई व  जलवायु पर बहुत असर पड़ रहा है ।


आगरा में यमुना बचाने के लिए दशहरा घाट से लेकर कैलाश घाट पर भी कई समाजसेवी वा समाज सेवी संगठन इकट्ठे होकर हर शाम को या सप्ताह में एक दिन आरती का आयोजन करके नदियों को बचाने का प्रयत्न करते हैं| परंतु ना तो पब्लिक में कोई सुधार आ रहा है और ना ही सरकार के प्रशासनिक अधिकारी उस नदियों के प्रति गंभीर हैं|  संस्था लोकस्वर हमेशा शहर के प्रशासन व प्रदूषण कार्यालय से लेकर राज्य सरकार व मुख्यमंत्री से लेकर देश के प्रधानमंत्री तक को अनेकों बार आग्रह कर चुकी है की नगर निगम द्वारा नालों का इस तरीके से संचालन हो कि शहर की गंदगी नालों में ना जाए वह एसटीपी प्लांट भी चालू रहे |,  जब दुर्गा पूजा -गणेश पूजा होती है तो ना तो नदियों में विसर्जन रुक रहा है और ना ही प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्ति बनने पर रोक लग रही है| 
लोकस्वर की श्रीमती संध्या शर्मा बताती है हमारे शास्त्रों में नदियों को मां का दर्जा दिया गया है जब हम अपनी ही मां को अत्यधिक दोहन करते हैं,आप निश्चित मानिए हम अपने पैरों पर खुद कुल्हाड़ी मारते हैं आगरा की यमुना इसका जीता जागता उदाहरण है और अगर उसका सम्मान करते हैं उसकी पूजा करते हैं तो हमें कभी भी जलवायु की ,खाद्यान्न की ,जल की दिक्कत नहीं होगी एक बात और मैं विशेष रूप से कहना चाहती हूं कि हमारे सनातन धर्म के अनुसार नदी में वर्ष में अनेकों बार ऐसे दिन आते हैं जब नदियों में स्नान करके अपने पापों से न केवल मुक्ति मिलती है बल्कि पुण्य मिलता है |
लोकस्वर के अध्यक्ष राजीव गुप्ता कहते है मानुष की अंतिम साँस तक करने होंगे नदी बचाने के प्रयास। इस लेख के माध्यम से मैं अपने समस्त आगरा वासियों को यह आग्रह करूंगा जिस तरीके से आगरा की अनेक संस्था और आगरा राइट्स नदियों को बचाने के लिए काम कर रही हैं हमें उनका समर्थन भी करना चाहिए और साथ ही देना चाहिए तभी हम आज विश्व नदी दिवस पर अपनी नदियों को बचा पाएंगे| अब जहाज़ चलवाना है तो यमुना बचानी है अब अन्य सभी वादे सरकार बदलते ही बदल गयी है। अब योगी जी आगरा से चुनाव लड़वाना शायद आगरा के समाज सेवी संगठनों को उनकी माँग में बल मिले जो हर साल सितंबर के आखरी रविवार को नही पूरे साल लड़ते है|


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