श्रम आयुक्त संगठन के अंतर्गत निर्गत नवीन निरीक्षण प्रणाली व स्वप्रमाणन व्यवस्था में संशोधन

लखनऊ, दिनांक: 26.10.2020
 प्रदेश सरकार ने स्टार्टअप नीति के तहत स्थापित की जाने वाली इकाइयों हेतु जनहित में श्रम आयुक्त संगठन के अंतर्गत निर्गत नवीन निरीक्षण प्रणाली व स्वप्रमाणन व्यवस्था के तहत बिन्दु संख्या-07 की पूर्व प्रचलित प्रक्रिया में संशोधन कर दिया है। इसके अलावा निरीक्षण एवं स्वप्रमाणन की निर्धारित प्रक्रिया एवं अन्य व्यवस्थाएं यथावत रहेंगी। इस सम्बंध में अपर मुख्य सचिव श्रम एवं सेवायोजन श्री सुरेश चंद्रा ने आदेश जारी कर दिया है।
अपर मुख्य सचिव श्रम एवं सेवायोजन श्री सुरेश चंद्रा ने अपने आदेश में कहा है कि संशोधन के पश्चात वर्तमान प्रक्रिया में स्टार्टअप नीति के तहत स्थापित होने वाले प्रतिष्ठानों/इन्क्यूबेटर/उत्कृष्टता केंद्रों को इकाई स्थापित होने की दिनांक से 10 वर्ष तक स्वप्रमाणन के अंतर्गत आवेदन किए जाने के आधार पर श्रम अधिनियमों के अंतर्गत निरीक्षण से छूट होगी। उन्होंने कहा कि अब श्रम कानूनों के उल्लंघन/शिकायत की स्थिति में कोई निरीक्षण उक्त अवधि तक नहीं किया जाएगा, जब तक उल्लंघन की विश्वसनीय और सत्यापन योग्य लिखित शिकायत प्राप्त न हो। लिखित शिकायत मिलने पर श्रम आयुक्त की अनुमति से निरीक्षण अधिकारी से कम से कम एक स्तर ऊपर वरिष्ठ अधिकारी द्वारा स्टार्ट अप का निरीक्षण किया जायेगा।
अपर मुख्य सचिव ने कहा कि श्रमिकों के हित संवर्धन तथा श्रमिक व सेवायोजक के मध्य मधुर औद्योगिक संबंधों को स्थापित करने एवं श्रमिकों के व्यापक हित में श्रम अधिनियमों का प्रभावी प्रवर्तन सुनिश्चित किए जाने हेतु निरीक्षण एवं स्वप्रमाणन की प्रक्रिया निर्धारित की गई है। उन्होंने बताया कि नवीन निरीक्षण प्रणाली व स्वप्रमाणन व्यवस्था के बिंदु संख्या-07 में पूर्व में व्यवस्था थी कि स्टार्टअप नीति के तहत स्थापित होने वाले प्रतिष्ठानों को इकाई स्थापित होने के दिनांक से 3 वर्ष तक स्वप्रमाणन के अंतर्गत आवेदन किए जाने के आधार पर श्रम अधिनियमों के अंतर्गत निरीक्षण से छूट रही है।


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