अरबी पत्ता की सब्जी


अरबी बहुत प्राचीन काल से उगाया जाने वाला कंद है। कच्चे रूप में इसका पेड़ जहरीला हो सकता है। ऐसा इसमें मौजूद कैल्शियम ऑक्जेलेट के कारण होता है। हालाकि यह लवण पकने पर नष्ट हो जाता है। अरबी की प्रकृति ठंडी होती है। अरबी के पत्तों से पत्तखेलया नामक सब्जी बनती है। अरबी की किस्म हैं- राजालधावालु, काली-अलु, मंडले-अलु, गिमालु और रामालु। इन सबमें काली और दस्त रोकने वाली है। इसे घुइयां, अरबी, अरुई नाम से जाना-पहचाना जाता है। __ अखी शीतल, भूख को बढ़नेवाली, बल की वृद्धि कसे वाल और स्त्रियों के बल की स्तन में दूध बढ़ाने वाली है। अरबी सेवन से पेशब अधिक मात्रा में होता है एंव कफ और वायु की वृद्धि होती है। अखी कंद में धातुवृद्धि की भी शक्ति है। अखी के पत्तों का साग वायु तथा कफ बढ़त है। पत्तबेलिया बेसन के कारण स्वादिष्ट और रुचिकर लगता है। उसका अधिक मात्रा में सेवन उचित नहीं है। अखी की किस भी किस्म को कच्ची न रखें। जिन लोगों को गैस बनती हो, घुटनों के दर्द की शिकायत और खांसी हो, उनके लिए अरबी का अधिक मात्रा में उपयोग हानिकारक हो सकता है।


पत्तखेलिया यह अरबी के पत्तों को बेसन में लपेट कर बनाया जाता है। इसे बनाने के लिए अमचूर या खटाई का उपयोग बहुत जरूरी है। इसके अलावा गरम मसाला, हींग, हल्दी पाउडर, लाल मिर्च पाउडर, अजवाइन और नमकले लें। एक कप बेसन में इन चीजों को डालें और दो बड़े चम्मच अमचूर पाउडर मिला लें। अमचूर इसलिए इसमें ज्यादा मिलाने की जरूरत होती है, क्योंकि अरबी खाने पर गले में खुजली पैदा करती है।


भी न हो कि बाहर निकलने लगे।  अमचूर या खटाई उसमें मौजूद खुजली पैदा करने वाले लवण को समाप्त कर देती है। सारी चीजों को मिला कर थोड़ा-थोड़ा पानी डालते हुए गढ़ घोल तैयार करें ध्यान रहे, घोल ऐसा हो कि पत्तों पर आसानी से चिपक जाए। इतना पतलापकौड़े बनाने के लिए जैसा घोल तैयार करते हैं, उससे थोड़ा गाव घोल रखें।


अरबी के पत्तों को नमक के पानी से धोकर साफ कर लें। एक चौड़ी प्लेट में पहले एक पत्ता बिछाएं। उस पर चम्मच से बेसन के घोल की परत चढ़एं। उसके ऊपर एक पत्ता और बिछाएं और उस पर भी बेसन की परत चढ़ाएं। इस तरह तीन-चार पत्ते रखते हुए परत चढ़ाएं और फिर उन्हें गोल करते हुए लपेट लें। इसी तरह जरूरत भर के पत्तों का रोल बना लें। अब इन रोल्स को इडली स्टैंड या स्टीमर में रख कर भाप से पकाएं। रोल पक जाएं तो उन्हें चर-छह घंटे के लिए फ्रिज में रख दें। जब रोल कड़े हो जाएं ते उन्हें गेल-गोल छेटे टुकड़ों में काट लें और प्राइंग पैन या कड़ाही में हल्का सरसें तेल डाल कर कुस्कुरा क्ल लें। उन्हें आप पकौड़े की तरह भी चाय के साथ खा सकते हैं और चावल-दाल-रोटी के सथ सूखी सब्जी के तौर पर भी। इन्हें तरी बना कर कोफ्ते की तरह भी इस्तेमाल किया जा सकता है। पत्तखेलिया की तरी वाली सब्जी बनाने के लिए टमाटर-प्याज की जगह राई पाउडर. दही और हल्के सौंफ पाउडर का इस्तेमाल करें तो इसका स्वाद उत्तम होगा। कच्चे नारियल के दूध में भी इसकी तरी स्वादिष्ट बनती है। तरी बनाने के लिए पहले एक कड़ाही में तेल गरम करें। राई, जीरा, हींग, साबुत धनियादालचीनी का छेटा टुकड़ा और कुछ दाने सैफ का तड़का लगाएं। उसमें दही के घोल या कच्चे नारियल का दूध डालें। ऊपर से गरम मसाला, अमचूर, थोड़ा लाल मिर्च पाउडर और सरसों पाउडर डालें। इस घोल को चलाते हुए पकाएं, जैसे कढ़ी पकाते हैं। घोल तैयार हो जए तो तले हुए पत्तखेलिया पर डालें और उसे हरा धनिया, अदरक और हरी मिर्च के टुकड़ों से सजाएं। रोटी या चावल के साथ गरमागरम खाएं।


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