अटल  तारा 

अटल  तारा 


 


सरल   राह  भाती कहाँ 


कठिन पथ अपनाती  हूँ


संघर्ष   के थपेड़ो    में 


ख़ुदको आनंदित पाती हूँ।


 


मौन  धर   धीरज पकड़ 


हौले हौले चलती मैं


दुविधा भरी कई राहों में


लक्ष्य देख सुख पाती मैं।


 


टिमटिमाता आसमान में  


नन्हा पुंज  बन जाऊँमैं 


भटके हुए,लक्ष्यहीन को 


ऊर्जित राह दिखलाऊँ मैं।   


 


अटल ताराबनजाऊँ मैं 


ध्रुव  तारा कहलाऊँमैं।


 


 


 


 


 


 


 


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