बथुआ के व्यंजन ,सफेद तिल की हरी चटनी

बथुआ-चने की दाल


सर्दी का मौसम शुरू हो गया है। भर्तृहरि ने कहा है कि सर्दी में तप्त भोजन का सेवन करना चाहिए। तप्त से तात्पर्य ऐसे भोजन से है, जो शरीर में गरमी बनाए रख सके। इसलिए इस मौसम में गरमा-गरम भोजन करना चाहिए। मसालेदार और गरम भोजन इस मौसम में अनुकूल रहता है।


सर्दी में बथुआ सहजता से उपलब्ध होता है। यह खून को साफ और शरीर में गरमी बनाए रखता है। यह फाइवर और लौहतत्त्व से भरपूर होता है। इसलिए पेट को साफ रखने में भी सहायक होता है। बथुआ चने की दाल बनाने के लिए सबसे पहले चने की दाल को कम से कम दो घंटे के लिए भिगो दें। फिर बथुए के डंठल से पत्तों को अलग कर लें। पत्तों को तीन-चार बार पानी से धोएं। अब कुकर या कड़ाही में दो चम्मच देसी घी गरम करें। उसमें जीरा, राई और हींग का तड़का लगाएं। तड़का तैयार हो जाए तो उसमें बारीक कटे लहसुन, प्याज, हरी मिर्च और अदरक के टुकड़े डाल कर कुछ देर भून लें। फिर उसमें एक चम्मच गरम मसाला और रुचि हो तो थोड़ा लाल मिर्च पाउडर भी डालें। अब उसमें चने की दाल और बथुआ डाल कर धीमी आंच पर दो से तीन सीटी तक पकाएं। अगर _कड़ाही में पका रहे हैं, तो हमेशा ढक्कनदार कड़ाही का ही इस्तेमाल करें और धीमी आंच पर उसे करीब आधे घंटे तक ढक कर पकने दें। चने की दाल गल कर फटने लगे तो आंच बंद कर दें। तैयार है बथुआ-चने की दाल। कई लोग दाल और बथुए को अलग-अलग उबाल कर बाद में तड़का लगाते हैं। मगर वह लंबी प्रक्रिया है और इस तरह पकाने से तड़के में डाली गई चीजों का स्वाद ठीक से नहीं रच-बस पाता। इसलिए कुकर में सब कुछ एक साथ पकाना बेहतर होता है। बेशक चाहें तो दाल के पकने के बाद एक चम्मच घी में जीरे और साबुत लाल मिर्च का तड़का अलग से तैयार कर ऊपर से डाल लें।


सफेद तिल की हरी चटनी


सर्दी में तिल शरीर की गरमी बनाए रखने में बहुत मददगार साबित होती है। भर्तृहरि ने तप्त भोजन के साथ सर्दी में तिल के सेवन का भी महत्त्व बखान किया है। सफेद तिल की चटनी बनाने के लिए सबसे पहले गरम तवे पर थोड़ी देर के लिए चलाते हुए तिल को गरम कर लें। उसका रंग बादामी होने लगे तो तवे से उतार लें। इसकी चटनी बनाने के कई तरीके हैं। मगर फिलहाल अमरूद के साथ इसे बनाने की बात करते हैं। इसके लिए एक मध्यम आकार का हरा अमरूद लें और उसके टुकड़े कर लें। हरा धनिया, हरी मिर्च, लहसुन की तीन-चार कलियां, साबुत जीरा और साबुत धनिया भी थोड़ी-थोड़ी मात्रा में लें। अब इन सारी चीजों को मिक्सर में डाल कर चटनी की तरह पीस लें। उसमें जरूरत भर का नमक डालें और चाहें तो आधा नींबू का रस भी निचोड़ सकते हैं। तिल की हरी चटनी को परांठे के साथ खाकर देखें, अलग ही मजा आएगा। स्वाद का स्वाद और सेहत की सेहत।


बथुए का परांठा


बथुए का परांठा बनाने के लिए कई लोग उसे पहले मिक्सर में इस तरह उसके तत्त्व नष्ट तो नहीं होते, पर बथुए का स्वाद पूरी तरह नहीं आ पाता। बथुए का परांठा बनाने की दूसरी विधि आजमाएं और फिर उसका स्वाद देखें। बथुए को ठीक से साफ कर लें। उसे बारीक काटें। फिर एक कड़ाही में घी गरम करें। उसमें जीरा, राई, हींग और बारीक कटे लहसुन का तड़का लगाएं और फिर उसमें बथुए को डाल कर उसे धीमी आंच पर खुली कड़ाही में पकने दें। ऊपर से गरम मसाला और थोड़ा-सा लाल मिर्च पाउडर डालें और तब तक पकने दें जब तक कि बथुए का सारा पानी सूख न जाए। अब बथुए को ठंडा होने दें। उसमें कट हुई हरी मिर्च और अदरक के टुकड़े डाल कर ठीक से मिला लें। फिर इस मिश्रण को आटे की छोटी-छोटी लोइयां बना कर भरें और जैसे आलू या फिर दाल के परांठे बेलते हैं, उस तरह बेल लें। बथुए का मिश्रण फैलने में परेशानी पैदा करता है, इसलिए पहले आटे में उसे भर कर चकले पर हाथ से दबा कर फैलाएं और अंत में हल्के हाथों से बेल लें। अब तवे पर देसी घी के साथ पलटते हुए करारा होने तक सेकें और हरी चटनी, अचार और दही के साथ खाएं, इसका स्वाद निराला होगा।



जनसत्ता से साभार 


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