दर्द रहित जीवन के लिए करे सारे काम खुद


हर साल 12 अक्टूबर को वर्ल्ड आर्थराइटिस डे मनाया जाता है और इसका मकसद लोगों को जागरूक करना है ताकि इस बीमारी से बचा जा सके। अगर रह-रह कर पैर की उंगलियों, घुटनों और एड़ियों में दर्द होता है तो समझ जाइये कि
आर्थराइटिस यानी जोड़ों की बीमारी जिसे आम भाषा में 'गठिया' कहा जाता है।समझ जाये आपके खून में यूरिक ऐसिड की मात्रा बढ़ गई  है।यह उम्र से जुड़ी बीमारियों में सबसे कॉमन है। इसकी प्रमुख वजहों में बदलती लाइफस्टाइल भी बढ़ा रही है। यह हाथ-पैरों के जोड़ों में क्रिस्टल के रूप में जम जाता है और इसे ही आर्थराइटिस यानी गठिया कहते हैं। पहली बार विश्व गठिया दिवस 12 अक्टूबर, 1996 को मनाया गया था. यह पहल पहली बार गठिया और अर्थराइटिस इंटरनेशनल (ARI) द्वारा आयोजित किया गया था।
यह बढ़ती उम्र के साथ आमतौर पर 50 साल के बाद परेशान करता है। हालांकि खराब लाइफस्टाइल की वजह से अब यह युवाओं को भी परेशान कर रहा है। इसमें आमतौर पर घुटनों पर असर होता है। इसके अलावा, उंगलियों और कूल्हों में भी परेशानी होती, शायद इस बात को कम ही लोग जानते होंगे कि गठिया होने से शरीर में ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और हृदय रोग जैसी घातक बीमारियां भी हो सकती हैं। लेकिन भारत में सबसे कॉमन घुटनों की दिक्कत ही है इसमें(आर्थराइटिस )सर्दियों में दिक्कत बढ़ जाती है।
आर्थराइटिस यूं तो कई तरह का होता है, लेकिन सबसे कॉमन है ऑस्टियो-आर्थराइटिस और रूमैटायड आर्थराइटिस (गठिया)।
पैरंट्स को आर्थराइटिस है, तो बच्चों को होने के चांस काफी ज्यादा होते हैं, खासकर महिलाओं में। 
विटमिन डी की कमी या हॉर्मोनल गड़बड़ से भी आर्थराइटिस होता है। 
आर्थराइटिस से बचने व इसमें लाभ के लिए रोज़ाना व्यायाम करें हफ्ते में कम-से-कम 5 दिन 45-50 मिनट एक्सर्साइज जरूर करें। कार्डियो के लिए जॉगिंग,तेज पैदल चले , स्विमिंग और साइक्लिंग कर सकते हैं। तेज पैदल चलना हर उम्र और हर किसी के लिए सबसे आसान और फायदेमंद है। कुछ एक्सपर्ट मानते हैं कि ट्रेडमिल के बजाय पार्क में  जोगिग करना  बेहतर है, क्योंकि ट्रेडमिल पर समतल सतह मिलती है, जबकि रियल लाइफ में हम उतनी चिकनी जगहों के बजाय ऊंची-नीची जगहों पर भी चलते हैं। 
हर साल विश्व आर्थराइटिस दिवस मनाने के लिए आयोजकों के पास एक विशेष विषय या थीम होती है. हालांकि विश्व गठिया दिवस 2020 का आधिकारिक विषय विश्व गठिया दिवस 2019 -  टाइम टू वर्क ( Time2Work) के समान है विषय अनुरूप हम सब को काम लेते रहना है अर्थात आप सब अपने शरीर से जितना काम में लेंगे आर्थराइटिस से पीड़ित होने के चांस उतने कम होंगे। छोटे-मोटे काम खुद करें। लंबे समय तक एक ही पोजिशन में बैठने से बचें। साथ ही, किसी एक जॉइंट या हिस्से पर जोर डालने से बचें। मसलन एक पैर पर वजन डालकर खड़े होना आदि। साहब वाला काम  में हों तो भी हर 60 मिनट के बाद 5 मिनट का ब्रेक लें। कुर्सी पर बैठे-बैठे भी बीच-बीच में टहलते रहें। 
प्रोटीन और कैल्शियम से भरपूर खाना खाएं, जैसे कि पनीर, दूध, दही, ब्रोकली, पालक, राजमा, मूंगफली, बादाम, टोफू, तिल के बीज, टूना मछली आदि। हरी सब्जियां और फल भी खाएं। साथ ही, दिन भर में 8-10 गिलास पानी जरूर पिएं। यह शरीर में नमी बनाए रखता है और जोड़ों के लिए शॉक अब्जॉर्वर की तरह काम करता है। 
वजन काबू में रखना से इस के होने चान्स काफ़ी कम होते है कारण है वजन ज्यादा होने से जोड़ों जैसे, घुटनों, टखनों और कूल्हों आदि पर बहुत जोर पड़ता है।धूम्रपान दिल, फेफड़े के अलावा हड्डियों के लिए भी नुकसानदेह है। स्मोकिंग छोड़ने से आर्थराइटिस के मरीजों के दर्द में कमी और सेहत में सुधार देखा गया है। ज्यादा शराब से भी हड्डियों को नुकसान होता है। आज हम सब आपके अच्छे स्वस्थ की कामना करते है स्वर्ग बिना दर्द के जाना है लगातार व्यायाम व दादी माँ के नुस्खे से दर्द रहित जीवन जिये।


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