डॉ हिमांशु द्विवेदी द्वारा लिखित नाटक का हुआ विमोचन
बुंदेलखंड नाट्य कला केंद्र झांसी के संस्थापक एवं राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय के नाटक एवं रंगमंच संकाय के विभागाध्यक्ष डॉ हिमांशु द्विवेदी द्वारा लॉकडाउन मैं बुंदेली नाटकों का लेखन पूर्ण किया, जिसमें एक नाटक संस्कृत के महान नाटककार महाकवि बोधायन द्वारा लिखित "भगवदअज्जूकीयम " का बुंदेली अनुवाद "साधु- सुंदरी" नाम से किया और दूसरा नाटक बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ विषय पर है जिसे बुंदेलखंड की विलुप्त होती लोक नाट्य परंपरा स्वांग शैली पर लिखा गया " मैं बोझ नहीं भविष्य हूं "...इन नाटकों की पूर्व में भी 30 से अधिक प्रस्तुतियां संपूर्ण देश भर में हो चुकी है जिसे डॉ हिमांशु द्विवेदी ने किताब का रूप देखकर प्रकाशित किया जिससे आने वाली पीढ़ियों को फायदा हो .... डॉ हिमांशु द्विवेदी विगत कई वर्षों से बुंदेलखंड की विलुप्त होती लोक नाट्य परंपरा स्वांग शैली के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु कार्य कर रहे हैं उन्होंने इस विषय पर भारत की पहली शोध उपाधि पूर्ण की है और पूरे हिंदुस्तान की पहली पुस्तक बुंदेली लोकनाट्य स्वांग के ऊपर भी लिख चुके हैं जिसे इंलेक्स थिएटर अवार्ड 2013 में प्राप्त हुआ!
साधु सुंदरी का विमोचन विख्यात अभिनेता , निर्माता-निर्देशक एवं नेता राजा बुंदेला ने किया , इस अवसर पर उन्होंने कहा डॉ हिमांशु द्विवेदी बुंदेलखंड के एक प्रतिष्ठित रंगकर्मी और साहित्यकार हैं जिन्होंने बुंदेलखंड की कलाओं के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य किया है इस तरह के नाटक लेखन से बुंदेलखंड की नाट्य परंपरा और बुंदेली भाषा का विकास होगा , इस अवसर पर आरिफ शहडोली सहित बुंदेलखंड के अनेक रंगकर्मी एवं पूर्व डीआईजी भी मौजूद रहे , डॉ हिमांशु द्विवेदी द्वारा अनेकों पुस्तक रंगमंच विषय से संबंधित लिखी जा चुकी है जो अमेजॉन पर उपलब्ध है .... छात्र-छात्राएं वहां से खरीद सकते हैं कोरोना महामारी को देखते हुए निजी स्तर पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया .