मानवीय गरिमा को परिभाषित करता है हमारा संविधान: -डाॅ. अशोक कुमार अवस्थी

हिन्दी संस्थान द्वारा ‘भारतीय संविधान का वैशिष्ट्य’ विषय पर केन्द्रित संगोष्ठी का आयोजन किया गया


16 अक्टूबर, 2020

उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा ‘भारतीय संविधान का वैशिष्ट्य’ विषयक संगोष्ठी का आयोजन गूगल मीट के माध्यम से किया गया। संगोष्ठी की अध्यक्षता डाॅ. सदानन्द प्रसाद गुप्त, कार्यकारी अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा की गयी। संगोष्ठी में सम्मानित अतिथि के रूप में डाॅ. अशोक कुमार अवस्थी, पूर्व विभागाध्यक्ष, विधि विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय एवं डाॅ. राकेश कुमार मिश्र, पूर्व विभागाध्यक्ष, राजनीतिशास्त्र विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय उपस्थित रहे।
श्रीकांत मिश्रा, निदेशक, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान ने अभ्यागतों का स्वागत करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा कोविड-19 को दृष्टिगत रखते हुए बदली हुई परिस्थिति में साहित्यिक गतिविधियों को निरंतरता प्रदान करने के उद्देश्य से हिन्दी दिवस 14 सितम्बर, 2020 को आनलाइन संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें आप सबका सहयोग और सानिध्य प्राप्त हुआ। इसी क्रम में 03 अक्टूबर, 2020 को आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की जयन्ती की पूर्व संध्या पर आचार्य शुक्ल के रचना संसार का सादर स्मरण आनलाइन संगोष्ठी के माध्यम किया गया।
भारतीय संविधान के वैशिष्ट्य को रेखांकित करते हुए कार्यकारी अध्यक्ष डाॅ. सदानन्द प्रसाद गुप्त ने कहा कि यह संगोष्ठी 7 अप्रैल, 2020 को आयोजित की जानी थी, जिसमें विद्वान वक्ताओं द्वारा भारतीय संविधान की विशेषताओं के साथ-साथ हमारे नैतिक दायित्व एवं अधिकारों पर भी चर्चा की जानी थी। कोविड-19 महामारी के कारण लाकडाउन की विषम परिस्थिति में तत्समय यह संगोष्ठी आयोजित नहीं हो सकी। अवसर मिला है कि हम आदरणीय डाॅ. अशोक कुमार अवस्थी व डाॅ. राकेश कुमार मिश्र के सानिध्य में भारतीय संविधान के महत्वपूर्ण पक्षों पर जानकारी प्राप्त कर सकेंगे। साथ ही अपने संविधान के प्रति दायित्व की भी जानकारी हमें प्राप्त होगी।
सम्मानित अतिथि के रूप में उपस्थित डाॅ. अशोक कुमार अवस्थी ने कहा कि मानवीय गरिमा को परिभाषित करना आसान नहीं है। मानवीय गरिमा को समझना प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता का अर्थ पशुवत जीवन से नहीं है वरन् मानवीय जीवन से है। न्यायालय ने किन्नरों को थर्ड जेंडर का दर्जा देते हुए उन्हें गरिमा पूर्ण जीवन जीने का अधिकार दिया। इसी प्रकार अस्पृश्यता को अपराध घोषित करते हुए मानवीय गरिमा की स्थापना की गयी है। सिर पर मैला ढोने की परिपाटी समाप्त कर दी गयी है, जो मानवीय गरिमा के अनुरूप है और भी भारतीय संविधान की विशेषताएं है। भारतीय संविधान में नागरिकता संशोधन विधेयक द्वारा मनुष्यों को गरिमापूर्ण जीवन जीने के योग्य बनाया जा रहा है।
सम्मानित अतिथि के रूप में उपस्थित डाॅ. राकेश कुमार मिश्र ने कहा कि संसार का सबसे बड़ा संविधान भारतीय संविधान माना जाता है। हमने इंग्लैण्ड, अमेरिका, कनाडा आदि की संवैधानिक स्थिति से प्रेरणा ली। हमारी संविधान सभा में बड़े-बड़े विधिवेत्ता थे, जिनके विचार विमर्श से संविधान बना। भारत संसार का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है यह संविधान की सबसे बड़ी विशेषता है। एकात्मकता विधि के शासन का सिद्धान्त, स्वायत्ता, सर्वोच्च न्यायालय को संरक्षक बनाया जाना हमारे संविधान की महत्वपूर्ण विशेषताएं हैं।
अभ्यागतों का स्वागत श्री श्रीकांन्त मिश्रा, निदेशक, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा किया गया तथा संचालन डाॅ. अमिता दुबे, सम्पादक, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान ने किया।


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