मशहूर शायर समर बिसवानी की पुण्यतिथि आज

वकील के साथ बेहतरीन शायर भी थे "समर बिसवानी" 


मशहूर शायर समर बिसवानी की पुण्यतिथि आज



सरजमीने बिसवां में कई महापुरुषों ने जन्म लिया इसमें पंडित उमादत्त सारस्वत, जिगर बिसवानी, कानून विद कृपा दयाल, बासित बिसवानी, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी जगन बाबू आदि हैं। यह नगरी हमेशा से ही साहित्यकारों, अदीबों, शायरों व कवियों राजनीतिज्ञों एवं कानूनविदों से भरी रही है। ऐसा ही बिसवां के एक व्यक्तित्व फारूक आजम एडवोकेट "समर बिसवानी" जो स्वतंत्रता सेनानी मौलाना हिदायत अली बिसवानी के बेटे थे। इनका जन्म 1 अगस्त 1942 को हुआ। वहीं  28 अक्टूबर 2007 को  हमेशा के लिए इस दुनिया से रुखसत हो गए । इन्होंने प्रारंभिक शिक्षा बिसवां से करने के बाद लखनऊ विश्वविद्यालय से स्नातक एलएलबी की पढ़ाई की ओर बिसवां में अधिवक्ता के रूप में कार्य करने लगे। अपने वकालत के पेशे के साथ-साथ इन्होंने मशहूर शायर जिगर बिसवांनी के शागिर्द में अदीब की दुनिया में कदम रखा। अपनी सुरीली आवाज व बेहतरीन शेरों की बदौलत हिंदुस्तान में होने वाले अधिकतर लोगों मुशायरा कामयाबी की जमानत जाने जाते थे। इनकी गजलें रेडियो, टीवी चैनल अखबारों व रिसाले की जीनत बनती हैं। इनका यह शेर "ये रौनके गुलजार वतन बढ़ के रहेगी। गुलशन को हम अब खून-ए-जिगर देखे रहेंगे" समर बिसवानी ने लिखा था कि- "कहते थे किसको जुल्म की टहनी वह फल गई। इस दौर में तो नाव भी कागज की चल गई" इन्होंने कई किताबें लिखी इनमें अफ़कर मोहनी, फिक्रपन, रूहे निशात, आईने नजम उर्दू कौमी यकजहती पर आधारित पुस्तक एकता का चमन त्योहारों के फूल इस पुस्तक पर इनको राज्य साहित्य पुरस्कार तत्कालीन राज्यपाल अकबर अली द्वारा राजभवन में दिया गया। समर बिसवानी ने उर्दू को दूसरी सरकारी जबान का दर्जा दिए जाने की मांग की थी उर्दू को दूसरी जबान का दर्जा न दिए जाने के कारण इन्होंने उर्दू एकेडमी की मेंबरशिप स्वीकार नहीं की थी। समर बिसवां एक बेहतरीन शायर अदीब के साथ-साथ वकील भी थे। समर बिसवानी को राज्यपाल ने बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश का सदस्य नामित किया था। इनका घराना साहित्यिक, सामाजिक, राजनीतिक एवं समाजसेवी के रूप में जाना जाता है। इनके भतीजे शमीर कौसर सिद्दीकी एडवोकेट पूर्व जिलाध्यक्ष समाजवादी पार्टी सीतापुर रहे हैं। वही इनके दोनों बेटे नय्यर सुहेल, नय्यर शकेब इनके मिशन को आगे बढ़ाने के लिए बज्म समर के नाम से एक संस्था बनाई है जो इनके अधूरे कामों को आगे बढ़ा रही हैं।


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