पहेलियाँ

पहेलियाँ


(1) दो सींगो का एक बीर।
  पीता रैन-दिवस है नीर।।


(2) लाठी सा पेड़ तलवार सा पत्ता।
  काख में बच्चा, और ऊपर छत्ता।।


(3) एक आँख उसमें भी जाला।
  दिन में बंद रात उजियाला।।


(4) छोटे से रामदास।
  कपड़े पहने सौ पचास।।


(5) एक किले के द्वार अनेक,
  रहने वाला केवल एक।
  फिर भी बाहर सके न जाय,
  जब निकले दीवार गिराय।।


(6) कभी इधर से आते है हम,
  कभी उधर को जाते हैं।
  खाली रहते तो मुँह फाड़े,
  अपना पेट दिखाते है।।


(7) चार खम्भ हम चलते देखे,
  उन पर दीपक जलते देखे।
  वा पंखे पर दो मेहमान,
  यही पहले अचरज मान।।



उत्तर-
(1) सिंघाड़ा, (2) मक्का का पेड़, (3) चन्द्रमा, (4) भुट्टा, (5) मच्छरदानी, (6) जूते, (7) हाथी


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