पशुओं पर अत्याचार करा सकता है जेल


विश्व पशु दिवस 4 अक्टूबर 20 पर हम बात कर रहे हैं पशुओं की| आप भी जानते हैं कि हर पशु में अपनी एक विशेषता होती है और उस विशेषता से मानव जाति हमेशा लाभान्वित होती है |सदियों से पशु  (जानवर ) मनुष्य का हमेशा ही सबसे अच्छा दोस्त बन कर रहा है ।समय-समय पर मनुष्य की हमेशा मदद करता रहा है ,परंतु समय की परिवर्तनशील से मनुष्य और पशु के बीच के संबंध में भी परिवर्तन आया है जो पशु कभी मनुष्य को दूध देते थे बुरी बला से बचाते थे चोर के आने पर या भूकंप आने पर आगाह करते थे उन्हीं पशुओं को हमने ना केवल बेघर किया है बल्कि अब उन्हें मार कर खाने भी लगे हैं| आज जिस तरीके से हम पशुओं को बंधक बनाते हैं उन्हें बेघर करते हैं उन पर अत्याचार करते हैं जो जंगल में रहकर पर्यावरण का संरक्षण देते थे वह हमारी प्रताड़ना के  भागी बन गए| वह दिन दूर नहीं जब हमें पर्यावरण की तरह इनके अभाव में अनेक समस्याओं का, तमाम तरह की महामारी सामना करना पडेगा|इस बात को ध्यान में रखते हुए पशुओं के अधिकारों के बारे में जागरुकता फैलाने के लिये दुनिया भर में हर साल चार अक्टूबर के दिन को विश्व पशु दिवस के रूप में मनाया जाता है| इसकी शुरुआत 1931 में इटली के फ्लोरेंस शहर से हुई थी|आज यह हर देश में चार अक्टूबर को विश्व पशु दिवस के रूप में मनाया जाने लगा है| ताकि मानव जाति को पशुओं के लाभ बारे में जागरूकता व विलुप्त होती जातियों को संरक्षक किया जा सके तथा पृथ्वी पर रहने वाले समस्त जीवो के प्रति प्रेम के सिद्धांत  को भी अपनाया जा सके| आज पूरे विश्व में अनेक सामाजिक संस्थाएं व समाजिक लोग पशुओं से ना केवल प्रेम करते हैं उनकी देखभाल भी करते हैं ,कानूनी लड़ाई तक लड़ते हैं| ध्यान रहे  पशुओं पर अत्याचार में जेल की हवा तक  खिला सकते हैं| आगरा में भी अनेक संस्थाएं जानवरों के प्रति काफी संवेदनशील हैं और वह उन लोगों की ना केवल देखभाल करते हैं उन पशुओं की भोजन  की व्यवस्था से लेकर उनकी बीमारियों के साथ उन्हें रहने का संसाधन भी उपलब्ध कराते हैं| कोविड-19 में मनुष्य तो मनुष्य परेशानी में रहा, पशुओं को भी खाने के लाले पड़ गए ऐसे समय पर शहर की पशुओं से संबंधित संस्थाओं ने व पशु प्रेमी ने ना केवल मदद की बल्कि रहने खाने के साथ दवा का  इंतज़ाम  किया| वो भी  अपने जीवन को खतरे में डालकर| हम सभी उनका हृदय से नमन करना चाहते हैं| मैं किसी भी संस्था के कार्य को कम नहीं आक रहा पर दो सिरोही बहनों ने तो कमाल ही कर दिया था कोविड-19 जैसे समय में अपनी स्कूटी से पशुओं को आहार पहुंचाया और उनकी देखभाल भी कीछोटी उम्रमें |नीचे चित्र में आगरा के पूर्व ज़िला अधिकारी कोमिसनोर  लखनऊ मंडल ने भी  लगभग 150 स्वयंसेवक और 30 पशु कल्याण एनजीओ नगर निगम ने एक साथ पशुओं को निस्वार्थ रूप से पशु प्रेम किया। पशुओं के प्रति स्नेह चित्र में साफ़ दिखता है |आज विश्व पशु कल्याण दिवस पर मैं सभी मानव जाति के लोगों से यह आग्रह करता हूं कि जो जीव धरती पर आया है उसे जीने का पूर्ण अधिकार है जब हम किसी व्यक्ति की मृत्यु पर अपने आप को अछूत मानते हैं तो कैसे हम किसी पशु को मार कर उसे अपने घर में पका लेते हैं और खा लेते हैं| इस मानसिकता को ना केवल छोड़ना पड़ेगा बल्कि सृष्टि द्वारा यह कार्य संपूर्ण रुप से अनैतिक ,प्रकृति के विरूद्ध है| कानून के दृष्टिकोण से पशुओं को प्रताड़ित करना कानूनन अपराध है ।आप अपनी खाने की खुराक से खुद अंदाज़ा लगा ले कि आपका  शाकाहारी होना साल में अनेक पशुओं की जान बचा सकता है|मैं और आप देखते ही होंगे कि दिन-प्रतिदिन पशु प्रेम न केवल बढ़ता जा रहा है बल्कि उनके अधिकारो के लिए लड़ने वालों की फौज भी खड़ी हो रही है परंतु हमको जो आवारा पशु होते हैं उनको भी उतना ही सम्मान देना है जितना हम जंगल में रहने वाले या अपने घरों में पालने वाले को देते हैं।पशुओं को आप प्यार दे ,भोजन दे  रहने को घर दे मतलब रोटी प्यार और मकान देते हैं तो वह आपको अपनी जान की बाजी लगाकर भी आपके बुरे वक्त में आपका साथ देता है। किसी ने सच कहा है 
 * मनुष्य वफादार नहीं हो सकता, पशुओं से वफादार कोई  नहीं हो सकता 


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