राज्य ललित कला अकादमी, उ0प्र0 द्वारा कला रंग कार्यक्रम के अंतर्गत वाराणसी में दो आॅनलाइन कार्यशाला का आयोजन


लखनऊः दिनांक 19.10.2020
राज्य ललित कला अकादमी, उ0प्र0 द्वारा कला रंग कार्यक्रम के अंतर्गत वाराणसी में दो  आॅनलाइन चित्रकला कार्यशाला (काशी में शिव और गंगा) तथा मूर्तिशिल्प कार्यशाला (काशी में शिव और गंगा) का आयोजन दिनांक 19 से 23 अक्टूबर, 2020 तक किया जा रहा है।
कार्यशालाओं का शुभारम्भ आज दिनांक 19 अक्टूबर, 2020 को उत्तर प्रदेश के माननीय राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार), संस्कृति डाॅ0 नीलकंठ तिवारी जी द्वारा सायं 5ः00 बजे गूगल मीट के माध्यम से सभी प्रतिभागियों एवं नारी शक्ति को सम्बोधित कर किया गया। मा0 मंत्री जी द्वारा कार्यशाला के विषय पर प्रकाश डालते हुए आशा की गई कि यह दोनो कार्यशालाएं कला सृजन के माध्यम से काशी के सौन्दर्य को अभिव्यक्त करेंगी। साथ ही कार्यशाला में उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों एवं अन्य राज्यों के जुड़े हुए प्रतिभागी काशी, शिव एवं गंगा के विविध रूपों को कला के माध्यम से सृजित करेंगे, जो कि कार्यशाला समाप्ति के पश्चात यथासमय एक प्रदर्शनी के माध्यम से सभी के समक्ष प्रस्तुत होगें।
चित्रकला कार्यशाला में वाराणसी के वरिष्ठ चित्रकार श्री वेद प्रकाश मिश्र द्वारा चित्रकारों को आॅनलाइन कला की बारीकियों से अवगत कराते हुए चित्रकला के सृजन हेतु प्रशिक्षित किया जायेगा तथा श्री मिश्र द्वारा प्रशिक्षक के रूप में विषय पर आधारित एक कृति का भी सृजन किया जायेगा।



मूर्तिकला कार्यशाला में वाराणसी के वरिष्ठ मूर्तिकार श्री राजेश कुमार द्वारा क्ले माध्यम में मूर्तियों के सृजन से प्रतिभागियों को अवगत कराते हुए मूर्तिशिल्प सृजन हेतु प्रशिक्षित किया जायेगा तथा श्री राजेश कुमार द्वारा प्रशिक्षक के रूप में विषय पर आधारित एक मूर्तिशिल्प का भी सृजन किया जायेगा।
उक्त दोनों कार्यशालाओं में उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों के अतिरिक्त दिल्ली, मध्य प्रदेश, प0 बंगाल, राजस्थान, बिहार, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा आदि-आदि राज्यों के लगभग 300 प्रतिभागियों द्वारा पंजीकरण करवाकर प्रतिभाग किया जा रहा है।
अकादमी के सचिव, डाॅ0 यशवन्त सिंह राठौर द्वारा यह भी अवगत कराया गया कि उपरोक्त दोनों कार्यशालाओं का संयोजन स्थानीय स्तर पर श्री सुमित घोष, सहायक आचार्य (ललित कला), महात्मा गाँधी काशी विद्यापीठ, गंगापुर परिसर, वाराणसी द्वारा किया जा रहा है। संयोजक द्वारा भी कार्यशाला अवधि में कृति का सृजन किया जायेगा। कार्यशाला में सृजित कृतियों की यथासमय प्रदर्शनी आयोजित की जायेगी। दोनों कार्यशालाओं में सफलतापूर्वक प्रतिभाग करने वाले प्रतिभागियों को अकादमी द्वारा प्रमाण-पत्र प्रदान किया जायेगा।


 


 


 



इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

सबसे बड़ा वेद कौन-सा है ?

कर्नाटक में विगत दिनों हुयी जघन्य जैन आचार्य हत्या पर,देश के नेताओं से आव्हान,