रावण पूछता है
तुम मुझे क्या
भला जलाओगे
कब तलक
ढोंग ये फैलाओगे
जल गया मैं और
जली मेरी लंका
अब क्या बची राख़
भी जलाओगे ?
माना थी गलती मेरी
जिसकी सजा भोग चुका
अपनी गलतियों को
तुम
कब चर्चा में लाओगे ?
हाँ बुरा था मैं
तुम भी कम नहीं
अपने पुतलों को
तुम कब जलाओगे ?
हाँ मैं रावण हूँ
श्री राम ने
मेरा अंत किया
अंत मन के रावण का
क्या तुम कर पाओगे ?
भयमुक्त रही सीता
मेरी विशाल वाटिका में
क्या तुम
भयमुक्त माहौल
महिलाओं को दे पाओगे ?
मुझे गर्व है
मैंने अपनी लंका में
‘हाथरस’ नहीं होने दीया
न ‘निर्भय’ भय में रही
अपने गिरेबान में झांको
और पूछो
महिलाओं से,
बेटीओं से
बहनों से ,
माताओं से
मर्यादा पुरुषोत्तम से
क्योंकि मुझे
कब तक जलाओगे ?
का
जवाब चाहिए !!!
प्रस्तुति : गणेश सिंह 'विद्यार्थी'