रंगकर्म तो जीना सिखाता है - भारतेन्दु नाट्य अकादमी के यू-ट्यूब पर प्रसारित हुआ पुनीत अस्थाना का साक्षात्कार


लखनऊ बुधवार 14 अक्टूबर


भारतेन्दु नाट्य अकादमी की ओर से संचालित रंग समागम-2 वेबिनार में अकादमी के पूर्व निदेशक और वरिष्ठ रंगकर्मी पुनीत अस्थाना का साक्षात्कार, भारतेन्दु नाट्य अकादमी के यू-ट्यूब चैनल पर बुधवार 14 अक्टूबर को प्रसारित किया गया। अकादमी के निदेशक रमेश गुप्ता की परिकल्पना में संचालित इस वृहद आर्काइव योजना में पुनीत अस्थाना ने संदेश दिया कि रंगकर्म में व्यक्तित्व के निखार की अपार संभावनाएं है। वास्तव में रंगकर्म तो जीना सिखाता है। 


उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी सम्मान से अलंकृत पुनीत अस्थाना, भारतेन्दु नाट्य अकादमी के पहले बैच के स्टूडेंट और बाद में रंग-प्रशिक्षक, अकादमी के निदेशक और अकादमी समिति के एक्जीक्यूटिव मैंबर भी रह चुके हैं। वर्तमान में गेस्ट फैकल्टी के रूप में भी अपनी सेवाएं दे रहे हैं। उन्होंने बताया कि 1965 में सीतापुर से शौकिया रंगकर्म की शुरुआत हुई थी। उनके पिता डॉ.दरबारी लाल और माता शान्ति देवी दोनों ही स्वतंत्रता सेनानी थे। पिताजी को स्वतंत्रता संग्राम के दौरान जेल भी जाना पड़ा था। 1970 में पिता के बीमार पर जाने के कारण उन्हें स्कूटर रिपेयरिंग की दुकान तक करनी पड़ी थी। बाद में उन्हे पीडब्लूडी की नौकरी मिल जान के कारण जब स्थितियां बेहतर हुई तब नौकरी करते हुए उन्होंने बीएनके जो अब बीएनए के नाम से जाना जाता है, वहां से विधिवत नाट्य प्रशिक्षण लिया। बीएनके की क्लासेज चारबाग स्थित मिनी रविन्द्रालय ऑडिटोरियम में लगती थीं। उन्होंने अकादमी आये वरिष्ठ सिनेमा कलाकार उत्पल दत्त से की गई बातचीत भी साझा की, जिसमें उन्होंने कहा था कि कथानक का उबाऊपन, कभी भी कलाकार पर हावी नहीं होना चाहिए। कुशल रंगकर्मी वही है जो उबाऊ चरित्र में भी दर्शकों की रूचि जगा सके। 


पुनीत अस्थाना ने बताया कि साल 1990 में उन्होंने अपनी नाट्य संस्था भारतीयम् गठित की। उन्होंने कहा कि रंगकर्म एक कठिन कार्य है और ये पूर्ण समर्पण मांगता है। स्थितियां कितनी भी विषम क्यों न हो पर “शो मस्ट गो ऑन”। उन्होंने नेशनल एसोसिएशन फॉर द ब्लाइंड के देखने में अक्षम बच्चों से जुड़े अपने निर्देशकीय अनुभवों को भी साझा किया और बताया कि किस प्रकार उन्होंने उन बच्चों से सीखा कि देखने में अक्षम होने के बावजूद जिन्दगी को किस जीवन्तता के साथ जिया जा सकता है। उन्होंने श्याम बेनेगल की फिल्म जुनून में अभियन सहित टीवी के सीरियल और टेलीफिल्मों से जुड़ी दिलचस्प जानकारियां भी दी। लाइट डिजाइनिंग के अपने अनुभवों के साथ ही उन्होंने सेट डिजाइनिंग में नेट और फोल्डिंग तकनीक सम्बंधी अपने प्रयोगों के बारे में भी बताया।


 


इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

सबसे बड़ा वेद कौन-सा है ?

कर्नाटक में विगत दिनों हुयी जघन्य जैन आचार्य हत्या पर,देश के नेताओं से आव्हान,