संकल्प की जीत
एकदा
संकल्प की जीत
रूस में जार का शासन था। तभी यहूदी परिवार में जन्मे एजिलर बेन यहूदा वहां यहूदियों के सम्मान के लिए चल रहे आन्दोलन में शामिल हो गये। बेन ने हिब्रू को यहूदियों के आपसी संवाद की भाषा बनाने का विचार लोगों के सामने रखा। शुरू में लोगों ने उसके इस विचार का उपहास उड़ाया पर बेन इन प्रतिक्रियाओं से हताश नहीं हुआ। सबसे पहले उसने यहूदियों के भाषाई स्वाभिमान को जगाने का प्रयास किया और दूसरी ओर सामान्य बातचीत के लिए हिब्रू के वाक्य विकसित करने की कोशिश की। उनकी निष्ठा रंग लाई। हिब्रू भाषा को जीवित करने के लिए पहले एक समिति बनाई गई, पर कार्य की गुरुता का अनुमान लगने पर एक अकादमी का गठन किया गया। वर्ष 1948 में इस्राइल राष्ट्र के उदित होने पर बेन यहूदा के संकल्प को एक नया आयाम मिल गया। हिब्रू इस्राइल की राजभाषा बन गई।
प्रस्तुति : अंजु अग्निहोत्री