बकासन: एक ऐसा आसन है जिसे हमेशा जवां बने रहने का एशियाई प्रतीक माना जाता है

बकासन: एक ऐसा आसन है जिसे हमेशा जवां बने रहने का एशियाई प्रतीक माना जाता है, जानिए इसके और लाभ व विधि



बकासन संस्कृत के दो शब्दों बक (Baka) और आसन (Asana) से मिलकर बना है, जहां बक का अर्थ बक या बगुला (Crane) और आसन का अर्थ मुद्रा ( Posture) है। इस आसन को करते समय बगुले की तरह पैर उठाकर शरीर का संतुलन बनाया जाता है इसी कारण इसे बकासन कहा जाता है। हड्डियों एवं मांसपेशियों सहित शरीर के विभिन्न विकारों को दूर करने के लिए लोगों के बीच यह आसन बहुत लोकप्रिय है। चीन के लोग इस आसन को लंबी उम्र का प्रतीक मानते हैं। यह आसन स्त्री और पुरुष दोनों के लिए समान रूप से फायदेमंद होता है लेकिन स्त्रियों के शरीर को छरहरा बनाने में यह महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पेट और पीठ की मांसपेशियों एवं भुजाओं को मजबूत बनाने के लिए बकासन योग सर्वोत्तम आसन माना जाता है। हालांकि यह आसन करने में व्यक्ति को थोड़ी कठिनाई जरूर होती है लेकिन एक बार शरीर का संतुलन बनने के बाद इसका अभ्यास आसानी से किया जा सकता है।


बकासन करने के लाभ –


1 चूंकि इस आसन को करने में पूरे शरीर एक साथ शामिल होता है इसलिए शरीर के सभी अंगों को इसका लाभ पहुंचता है। बकासन करने से व्यक्ति के अंदर आत्मविश्वास तो पैदा होता ही है साथ में वह भावनात्मक रूप से भी मजबूत होता है। इसके अलावा बकासन करने के अन्य फायदे निम्न हैं।


2 प्रतिदन निर्धारित समय पर बकासन करने से व्यक्ति शारीरिक एवं मानसिक रूप से मजबूत होता है और वह हर तरह की परेशानियों का सामना आसानी से कर सकता है। यह आसन करने से व्यक्ति में ऐसी क्षमता विकसित होती है कि वह भावनात्मक रूप से कमजोर नहीं पड़ता है।


3 बकासन करने से शरीर की मांसपेशियां लचीली होती है जिससे व्यक्ति का शरीर आकर्षक दिखायी देता है। यह आसन करने से कलाई और भुजाएं भी मजबूत होती हैं जिससे व्यक्ति को हाथों में आसानी से चोट नहीं लगती है।


4 बकासन करने से पीठ और पेट की मांसपेशियां सीधी अवस्था में हो जाती हैं। यह आसान रीढ़ की हड्डी को टोन करने का कार्य करता है जिसके कारण हड्डी से जुड़े रोगों का खतरा कम होता है।


5 बकासन करते समय पूरा भार हथेलियों पर रहता है इसलिए व्यक्ति पूरा ध्यान केंद्रित करके अपने शरीर के भार को संभाले रखता है, तभी यह आसन पूरा होता है। इसकी वजह से व्यक्ति की एकाग्रता बढ़ती है और वह अधिक केंद्रित होकर अपना काम करता है।


6 यह आसन करने से व्यक्ति के पेट में अम्ल कम मात्रा में बनता है जिसके कारण सीने में जलन या खट्टी डकार नहीं आती है और पाचन क्रिया बेहतर होती है। जिन लोगों को अपच की समस्या है उनके लिए बकासन काफी फायदेमंद हो सकता है।


7 यह आसन करने से कूल्हों पर जमा अतिरिक्त फैट घटता है और कूल्हे मजबूत और आकर्षक होते हैं।


8 नियमित रूप से बकासन करने से तंत्रिका तंत्र मजबूत होता है जिसके कारण उसकी इम्यूनिटी बढ़ती है और उसे भूख न लगने, कब्ज और पेट से संबंधित परेशानियां नहीं होती हैं।


9 बकासन शरीर के विकास में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह शरीर को लचीला तो बनाता ही है साथ में शरीर के विभिन्न अंगों के क्रियाओं को सही तरीके से संचालित करने का काम करता है जिसकी वजह से व्यक्ति को शारीरिक विकार नहीं होते हैं।


बकासन योग विधि – 


1 सबसे पहले फर्श पर ताड़ाशन मुद्रा में अर्थात् एकदम सीधे खड़े हो जाएं।


2 इसके बाद नीचे झुकते हुए अपनी दोनों हथेलियों को खोलकर जमीन पर रखें।


3 उंगलियां आगे की ओर सीधी और खुली होनी चाहिए और कोहनी हल्की सी झुकी होनी चाहिए।


4 इसके बाद अपनी भुजाओं को झुकाएं और जितना संभव हो सके अपने घुटनों को फर्श पर आर्मपिट (armpits) के पास लाने की कोशिश करें।


5 अपने घुटनों को अपनी भुजाओं से हल्का सा दबाएं और पैरों की उंगलियों को जमीन से ऊपर उठाने की कोशिश करें।


6 इसके बाद अपने कूल्हों को ऊपर की ओर उठाएं और भुजाओं पर शरीर का संतुलन बनाने की कोशिश करें।


7 गर्दन को सीधा रखते हुए उसी क्रम में अपने सिर को भी लाएं। सामने देखें और किसी एक जगह ध्यान केंद्रित करें।


8 एक प्वाइंट पर ध्यान केंद्रित करने के बाद जब शरीर का संतुलन बन जाए तब अपने पैरों को जितना संभव हो सके एक दूसरे के नजदीक लाएं।


9 इसके बाद सिर्फ हथेलियों पर पूरे शरीर का भार टिकाकर दोनों पैरों को हवा में उठाएं और शरीर का संतुलन हथेलियों पर बनाए रखें।


9 आपके कूल्हे भी ऊपर की ओर उठे हुए होने चाहिए।


10 सामान्य रूप से सांस लेते हुए 15 से 20 सेकेंड तक इसी मुद्रा में बने रहें और फिर धीरे-धीरे अपनी वास्तविक पोजीशन में लौट आयें।


इस मुद्रा को कम से कम चार बार दोहराएं।


बकासन करते समय सावधानियां


यदि आप किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हों तो आपको बकासन नहीं करना चाहिए।


यदि कंधे में चोट लगी हो, हृदय से संबंधित कोई रोग हो या कार्पल टनल सिंड्रोम (Carpal Tunnel Syndrome) से पीड़ित हों तो बकासन न करें।


गर्भवती महिलाओं को बकासन नहीं करना चाहिए।


अगर आपको साइटिका का दर्द और स्पॉन्डिलाइटिस (Spondylitis) की समस्या हो इस आसन से परहेज करें।


बकासन करते समय अपने कूल्हों (buttocks) को बहुत अधिक ऊपर न उठाएं अन्यथा भुजाओं (arms) में तनाव के कारण दर्द हो सकता है।


यह आसन करते समय पहले भुजाओं पर शरीर का सारा भार टिकाएं इसके बाद एड़ियों को जमीन से उठाएं अन्यथा आप गिर सकते हैं।


इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

सबसे बड़ा वेद कौन-सा है ?

कर्नाटक में विगत दिनों हुयी जघन्य जैन आचार्य हत्या पर,देश के नेताओं से आव्हान,